कानपुर(ब्यूरो)। किसी के बीमार होने या लक्षण नजर आने पर सबसे पहले उसको डॉक्टर के पास लेकर जाते हैैं। कभी कभी शुरुआती लक्षणों में हम किसी सीरियस डिसीज को नार्मल डिसीज मानकर लापरवाही करते हैैं। ऐसे में आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर (एसआईआईसी) के स्टार्टअप ने एक ऐसी एआई पावर्ड वॉइस लैब बनाई है जो कि 60 सेकेंड के वॉइस सैैंपल से आपकी मेंटल, हार्ट और इमोशंस समेत कई तरह की डिसीज को बताएगी। यह लैब आपके मोबाइल पर वर्चुअल तौर पर काम करेगी। सिर्फ आपको 60 सेकेंड की वाइस को लैब में ऑनलाइन रिकार्ड करना है। यह लैब आपके स्मार्टफोन पर भी काम करेगी। जल्दी ही इसको गवर्नमेंट के साथ मिलकर लांच किए जाने की संभावना है।

ऐसे करती है काम
स्टार्टअप के फाउंडर संजय भारद्वाज ने बताया कि हमने अलग अलग डिसीज के पेशेंट्स की वॉइस को रिकार्ड करके अपनी लैैब में अपलोड किया है। इसमें जब आप अपनी वाइस को रिकार्ड करके पोस्ट करते हैैं तब आपकी वॉइस जिस भी अपलोड सैैंपल से मैच कर रही होती है, वह डिसीज निकलकर सामने आ जाती है। इसमें एक फीचर ऐसा भी है जो कि आपकी वाइस और अपलोज वाइस की कंडीशन से एनालिसिस करके डिसीज के नार्मल। माइल्ड, मॉडरेट या हाइपर होने का पता चल जाता है।

इन डिसीज का चल जाएगा पता
इस वर्चुअल लैब में 10 डिसीज का पता लगाया जा सकता है। इन डिसीज में न्यूरोडिजेनेरेटिव, इन्फ्लेमेट्री, कार्डियोमेटाबॉलिक, कार्डियोवस्कुलर, वॉइस डिसआर्डर, रेस्पिरेट्री सिंड्रोम, मेटल हेल्थ, इमोशंस और थकान शामिल है। लैैब को बनाने से पहले इन सभी डिसीज से ग्रसित पेशेंट्स की वाइस का सैैंपल लिया गया और अपलोड किया गया है। आपके वॉइस सैैंपल और अपलोड वॉइस सैैंपल को मैच कराने के लिए एआई टेक्नोलॉजी से इस लैब को लैस कराया गया है।

यह फीचर भी हैैं अवेलेबल
इस लैैब को आप वेबसाइट के फार्मेट में स्मार्टफोन से कनेक्ट कर सकते हैैं। इसमें वोकल चैट बॉक्स, वॉइस असिस्टेंट्स है। इसके अलावा इसको टीवी, वॉच, रोबोटिक्स टॉय आदि में भी कनेक्ट कर सकते हैैं। क्लीनिकल रिसर्च की बात करें तो रिमोट मॉनिटरिंग इन क्लीनिकल स्टडीज और डिजिटल हेल्थ इंटरवेंशंस में इसका यूज किया जा सकता है। इसका यूज डाइग्नोसिस और टेली मानिटरिंग में भी किया जा सकता है।

यह है फायदा
इस लैब का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि आप घर बैठे अपनी किसी बीमारी का पता लगा सकते हैैं। इसमें सामान्य लक्षण होने पर की जाने वाली लापरवाही से डिसीज के बढऩे की प्राब्लम में कमी आएगी। इसके अलावा शुरुआती लक्षणों में आपको अवेयर किए जाने से जल्द इसका ट्रीटमेंट शुरु हो जाएगा, जिससे डिसीज के घातक बनने का खतरा नहीं रहेगा।