फ्लैग: गंगा को साफ करने के लिए आगे आए शिक्षण संस्थान

- प्रॉमिनेंट 13 एकेडमिक इंस्टीट्यूशन ने 65 गांवों में सर्वे शुरू किया

- आईआईटी कानपुर ने एक कदम आगे बढ़ टेक्निकल सर्वे भी शुरू कर दिया

pradeep.tripathi@inext.co.in

KANPUR: निर्मल व अविरल गंगा के लिए आईआईटी कानपुर समेत देश के 13 प्रामिनेंट एकेडमिक इंस्टीट्यूशंस ने काम शुरू कर दिया है। आईआईटी कानपुर की टीम ने 5 गांवों के सर्वे का काम पूरा करने के बाद टेक्निकल सर्वे भी शुरू कर दिया है। रमेल नगर में इंस्टीट्यूट की टीम ने पहले राउंड का काम पूरा कर लिया है। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही टीम मुख्य रूप से तीन प्वाइंट्स पर एक्सरसाइज कर रही है। जिसमें गांव का कचरा गंगा में न गिरे। इसके अलावा सॉलिड वेस्ट का निस्तारण कैसे किया जाए और शौचालयों की स्थितियों के बारे में जानकारी जुटाना है। टीम मेंबर्स गांव के हर घर में जाकर इंट्रैक्शन कर रही है ताकि सारी प्रॉब्लम के बारे में जानकारी हासिल कर ली जाए।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़े आईआईटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ। विनोद तारे ने बताया कि देश के फेमस शैक्षणिक 13 अहम संस्थानों ने गंगा के तट से सटे 65 गांवों को गोद लेकर सर्वे का काम शुरू कर दिया है। इन शैक्षणिक संस्थानों में एनआईटी उत्तराखंड, आईआईटी रुड़की, आईआईटी दिल्ली, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, एनआईटी इलाहाबाद, आईआईटी बीएचयू, एनआईटी पटना, आईआईटी पटना, एनआईटी दुर्गापुर, आईएसएम धनबाद, आईआईटी खड़गपुर, आईआईईएसटी शिवपुर और आईआईटी कानपुर शामिल है।

आईएसएम धनबाद व एनआईटी दुर्गापुर के गांव दूर हैं

गंगातट से सटे यह गांव अलकनंदा से लेकर गंगासागर के किनारे बसे हैं। पतित पावनी गंगा 7 राज्यों से गुजरती हुई करीब 2500 किमी का सफर करके गंगासागर में मिलती हैं। आमतौर पर सभी शैक्षणिक संस्थानों ने गंगा के किनारे बसे गांव जो उनकी अप्रोच में आसानी से आ रहे हैं, उन्हें ही सर्वे में शामिल किया गया है। लेकिन एनआईटी दुर्गापुर व आईएसएम धनबाद ने दूर के गांव गोद लिए हैं। इनकी अप्रोच एरिया उनके क्षेत्र के काफी बाहर है।

जून फ‌र्स्ट वीक से सर्वे शुरू हुआ

आईआईटी कानपुर टीम के सीनियर प्रोजेक्ट एसोसिएट अभिषेक गौड़ ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने रमेल नगर, ख्यौरा कटरी, हिन्दूपुर, प्रतापपुर हरि, और लुधवाखेड़ा में सर्वे का काम करीब-करीब पूरा कर लिया है। अब रमेल नगर का टेक्निकल सर्वे भी लगभग पूरा हो चुका है। सर्वे में वहां की भौगोलिक स्थिति पर बारीकी से नजर रखी गई है। जून के फ‌र्स्ट वीक से आईआईटी की टीम ने काम शुरू किया था। संस्थान की टीम में 5 से 10 मेबर्स हैं।

सर्वे में इन पर टीम का ज्यादा फोकस

सर्वे में टीम के मेंबर्स गांव के हर घर में दस्तक दे रहे हैं। उस घर की क्या-क्या समस्याए हैं, उस पर बहुत ही बारीकी से टीम मेंबर्स नजर रख रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि शौचालय की क्या व्यवस्था है। सालिड वेस्ट का निस्तारण कहां हो रहा है। सेनीटेशन की क्या कंडीशन है। वाटर सप्लाई का क्या अरेंजमेंट है। टीम यह भी देख रही है कि गांव से गंगा में कितनी गंदगी डाली जा रही है। गांव में किस तरह के एनीमल हैं। उनके पीने के पानी का क्या अरेंजमेंट है।

बैराज पर नया घाट बनाया जाएगा

आईआईटी प्रोफेसर डॉ। विनोद तारे ने बताया कि कानपुर शहर के सभी घाटों को रेनोवेशन का काम जल्द शुरू होगा। यही नहीं गंगा बैराज पर नया घाट बनाया जाएगा जिसकी तैयारी तेजी से चल रही है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड काम करा है। बिठूर का प्रोजेक्ट कानपुर विकास प्राधिकरण के पास है। बिठूर में गंगा के घाटों का सुंदरीकरण केडीए कराएगा। केडीए की टीम इस पर वर्कआउट कर रही है।

तालाबों पर पैनी नजर रहेगी

आईआईटी कानपुर ने जिन गांवों को गोद लिया है वहां पर ग्रीन टायलेट का कांसेप्ट यूज करेगी जहां पर जरूरत होगी। प्रो तारे ने ग्रीन टायलेट पर अच्छा काम किया है। इसके अलावा डॉ। तारे ने बताया कि जिन गंगा किनारे बसे गांव में तालाब हैं उनकी क्या हालत है उसका भी सर्वे कराया जा रहा है। अगर तालाब पाट दिए गए हैं तो उन्हें एक बार फिर से जीवनदान दिया जाएगा।