-कानपुर कॉलिंग पर आई ढेरों शिकायतों के बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के अभियान आरटीओ में 'खेल' के तहत एक और खुलासा -दलालों और आरटीओ के कर्मचारियों के बीच कोड वर्ड में होती है बातचीत, खुलेआम कैंपस में दलाल करते हैं आम लोगों से 'वसूली' kanpur@inext.co.in KANPUR। आरटीओ साहब, आपके कैंपस में कर्मचारियों के साथ मिलकर खुलेआम 'वसूली भाई' आम लोगों को 'लूट' रहे हैं और आप चुपचाप बैठे हैं। वेडनेसडे के अंक में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने खुलासा किया था कि कैसे आरआई के 'वसूली भाई' वसूली कर रहे हैं? खबर पब्लिश होने के बाद आरटीओ ऑफिस में हड़कंप मच गया। आरटीओ कैंपस में चल रहे दलाल'राज' का पर्दाफाश के लिए दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के अभियान आरटीओ में 'खेल' के तहत जब थर्सडे को पड़ताल की गई तो मालूम चला कि आरटीओ कैंपस के हर रूम में दलालों की खुलेआम इंट्री है। इंट्री के लिए बकायदा कोड चलता है। ये कोड है 'हैलो दुर्गा'जबकि हर कदम पर दलालों के प्रवेश वर्जित है का बोर्ड लगा हुआ है। 'हैलो दुर्गा' जैसे ही दलाल बोलता है उससे वसूली के पैसे ले लिए जाते हैं। आम आदमी नहीं सिर्फ दलाल दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने थर्सडे को स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस की नई बिल्डिंग के कई रूम का जायजा लिया। हर तरफ दलालों की कोड वर्ड बताते ही इंट्री हो रही थी। आप दलाल को पैसे दीजिए और आपका काम आसानी से हो जाएगा। ड्राइविंग लाइसेंस के एक आवेदक ने नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर बताया कि कई दिनों से चक्कर लगाने के बाद जब लाइसेंस नहीं बना तो दलाल को पकड़ा। दलाल ने तीन गुने पैसे लिए और शाम को लर्निग लाइसेंस दे दिया अब परमानेंट भी उसी से बनवाएंगे। आरटीओ कैंपस में आम आदमी खुद काम नहीं करवा सकता है। और खुल गया दरवाजा थर्सडे को खुफिया कैमरे के साथ टीम आरटीओ कैंपस पहुंची। वहां परमानेंट डीएल रूम के विंडो में आवेदकों की लंबी लाइन लगी थी। वहीं दूसरी ओर दलाल और 'वसूली भाइयों' की इंट्री वीआईपी कोटे से हो रही थी। रिपोर्टर अभी ऑफिस के गेट में खड़ा था। तभी एक 'वसूली भाई' अग्निहोत्री वहां आया और बोला, 'हैलो दुर्गा' दरवाजा खोलो। उसकी आवाज सुनते ही अंदर बैठे एक कर्मचारी ने दरवाजा खोल दिया। उसके साथ जब रिपोर्टर ने कमरे में अंदर जाना चाहा तो कार्यालय का चपरासी बोला, यहां आम लोगों का प्रवेश वर्जित है। क्यों खामोश हैं आरटीओ? आरटीओ ऑफिस कैंपस में आरआई के 'वसूली भाइयों' का पर्दाफाश करने के बाद भी आरटीओ संजय सिंह ने कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन साहब भी खामोश हो गए। अब बड़ा सवाल ये है कि साहब को ये 'वसूली भाइयों' का सिंडीकेट क्यों नहीं दिखता है? दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब उनसे इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात कहकर अपना पलड़ा झाड़ लिया। डर नहीं है आरआई को बाइक, कार के ड्राइविंग टेस्ट की जांच करने वाले आरआई साहब का 'वसूली भाई' से लोभ नहीं छूट रहा है। खबर प्रकाशित होने के बाद भी थर्सडे को आरआई साहब के पास 'वसूली भाई' संजय बड़े आराम से अपना काम करते हुए दिखे। जोकि आरआई से फॉर्मो में साइन करवा रहे थे। यह वह फॉर्म थे जोकि दलालों के माध्यम से उनके पास आए थे। इन फॉर्म के आवेदकों को न तो ड्राइविंग टेस्ट देना पड़ता है और न की कोई ऑफिस के चक्कर लगाने पड़े। ये बात नाम न पब्लिश करने की शर्त पर उन लोगों को खुद स्वीकार किया। दिखावे के लिए है बोर्ड आरटीओ कार्यालय कैंपस में हर ख्0 कदम की दूरी पर वैसे तो प्रशासन ने दलालों का परिसर में प्रवेश वर्जित होने का बोर्ड लगा रखा है। लेकिन हकीकत इससे ठीक उलटी है। कोट आरटीओ कानपुर संभाग दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट में प्रकाशित खबर वाले मामले की जांच कर रहे हैं। इसको लेकर थर्सडे को मीटिंग भी की गई। एक दो दिन में अभियान चलाकर दलालों पर कार्रवाई की जाएगी। जो भी कर्मचारी या अधिकारी संलिप्त पाया जाएगा। उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। आदित्य त्रिपाठी, एआरटीओ प्रशासन