-रेलवे ने झकरकटी पैरलल ब्रिज बनाने का काम शुरू किया लेकिन पीडब्ल्यूडी को नहीं मिली वित्तीय स्वीकृति

-पीडब्ल्यूडी ने अब तक नहीं तैयार की डीपीआर, जनरल अरेजमेंट ड्राइंग, एस्टीमेट भी नहीं

-ब्रिज की अप्रोच रोड की राह में भी बस्ती व धार्मिक स्थल सहित कई और रोड़े

KANPUR: जीटी रोड पर झकरकटी पुल के पैरलल ब्रिज बनने का काम शुरू होने से कानपुराइ्स का खुश होना लाजिमी है। लेकिन ये खुशी आगे चलकर लंबा दर्द देने वाली है। क्योंकि ये ब्रिज आधी-अधूरी तैयारियों के साथ बनना शुरू हुआ है। जिसका हश्र भी सीओडी क्रॉसिंग, गोविन्दपुरी और गोलाघाट पुल की तरह होने के आसार बनने लगे हैं। जो लंबे समय से हवा में अटके होने से पब्लिक की मुश्किलों में इजाफा कर रहे हैं। रेलवे ने झकरकटी पैरलल ब्रिज के अपने हिस्से का काम जरूर शुरू कर दिया है, लेकिन पीडब्ल्यूडी एनएच को अपने हिस्से का ब्रिज बनाने के लिए अभी तक वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। ना ही अभी तक तक उसने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट या एस्टीमेट केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय में सम्मिट की है। ं धार्मिक स्थल, अवैध बस्ती सहित कई और रोड़े ब्रिज के रास्ते में हैं।

दो डिपार्टमेंट को बनाना है ब्रिज

रोडवेज बस टर्मिनल की साइड में जीटी रोड पर स्थित झकरकटी पुल के पैरलल ब्रिज बनना है। रेलवे पोर्शन यानि रेलवे लाइन पर ब्रिज बनाने की जिम्मेदारी नार्थ सेंट्रल रेलवे की है। उसे रेलवे लाइन पर 7फ् मीटर लंबा ब्रिज बनाना है। इसके लिए फ् स्पैन बनाए जाने हैं। इस ब्रिज की चौड़ाई फुटपाथ सहित क्ख् मीटर तय की गई है। रेलवे के पोर्शन के दोनों ओर करीब फ्भ्भ्-फ्भ्भ् मीटर लंबा ब्रिज(अप्रोच रोड) पीडब्ल्यूडी नेशनल डिवीजन को बनाना है।

केबल ने रोका पिलर का काम

रेलवे ने अपने हिस्से का ब्रिज बनाने के लिए अफीम कोठी साइड रेलवेलाइन के पार काम शुरू कर दिया है। लेकिन शुरुआत में ही उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी वजह उसे दो पिलर बनाने का काम रोकना पड़ा है। उसे रेलवे लाइन के दोनो साइड फ्0-फ्0 मीटर गहरे क्म् होल (गढ्डे ) बनाने हैं। लेकिन पहला होल बनाने के दौरान करीब फ् मीटर गहराई पर गढ्डे के बीचोबीच से इलेक्ट्रिसिटी केबिल व टेलीकाम केबिल निकलती मिली। जिसकी वजह से उसे काम रोकना पड़ा। दूसरा होल करने पर टेलीकॉम केबल्स निकलने के कारण यहां भी काम रोकना। इन होल्स से इलेक्ट्रिसिटी व टेलीकॉम केबल्स जिस साइड में जा रही है वहां भी रेलवे को होल बनाने हैं। जिससे उस तरह भी पिलर बनाने के लिए होल नहीं किए जा सके। हालांकि इनसे कुछ दूरी पर तीसरा और चौथा होल बनाने के दौरान उसे ब् मीटर गहराई तक करने में किसी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ा है। रेलवे के सेक्शन इंजीनियर डीके शर्मा के मुताबिक केबल्स शिफ्ट किए बिना होल बनाना संभव नहीं है। इसके लिए केस्को, बीएसएनएल और अन्य टेलीकॉम कम्पनीज को लेटर भेजे गए हैं।

फाइनेंशियल सेंशन भी नहीं

रेलवे के हिस्से के अलावा पीडब्ल्यूडी एनएच को दोनों साइड फ्भ्भ्-फ्भ्भ् मीटर लंबाई तक ब्रिज की अप्रोच रोड बनानी है। जिसकी फाइनेंशियल सेंशन अभी तक उसे केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से नहीं मिली है। इसके लिए पहले उसे ब्रिज की जनरल अरेजमेंट ड्राइंग, एस्टीमेट सहित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनानी होगी। तब कहीं जाकर स्टेट पीडब्ल्यूडी हेडक्वार्टर के थ्रू डीपीआर को केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को सम्मिट की जा सकेगी। यानि की दिल्ली अभी बहुत दूर है।

रोडवेज व रेलवे से जमीन लेनी होगी

इसके अलावा ब्रिज की अप्रोच रोड बनाने में पीडब्ल्यूडी एनएच डिवीजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। पहले तो टाटमिल साइड उसे रोडवेज और रेलवे की जमीन भी लेनी पड़ेगी। बगैर इस जमीन के टाटमिल साइड अप्रोच रोड शुरू नहीं हो सकती है। फिलहाल दिक्कत ये है जहां से ब्रिज की शुरुआत होती है वहां रेलवे कंस्ट्रक्शन करा रहा है। इसके बगल में झकरकटी इंटरस्टेट बस टर्मिनल का मेन गेट है जहां से बसों का आवागमन होता है। इसी हिस्से में पानी की टंकियां और रोडवेज की बिल्डिंग भी बनी हुई है।

तोड़ने पड़ेगी बस्ती

इंटरस्टेट रोडवेज बस टर्मिनल से रेलवे लाइन की साइड बढ़ने पर बस्ती बसी हुई है। जिसमें सैकड़ों घर है। पक्के मकान भी बने हुए है। वहीं दूसरी ओर अफीमकोठी साइड जिस तरफ से ब्रिज की अप्रोच रोड शुरू होनी है, वहां धार्मिक स्थल बना हुआ है। इनको हटाए बना अप्रोच रोड बनना शुरू होना मुश्किल है। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी को अपना काम शुरू करने से कई और काम करने पड़ेगें, जिसमें सर्विस ऑफ शिफ्टिंग है। जिसमें वॉटर लाइन, सीवर लाइन, केस्को की इलेक्ट्रिसिटी लाइन, टेलीकाम केबल्स आदि शामिल है। जिसकी अनदेखी का खामियाजा रेलवे को होल बनाने में भुगतना पड़ रहा है।