-आई नेक्स्ट से बातचीत के दौरान

ज्योति के पिता शंकर नागदेव ने कहा, पिता होकर भी एक बेटी के दिल की आवाज नहीं सुन पाने का जीवन भर रहेगा दुख, बेटी के हत्यारे को सजा दिलाने के लिए सब कुछ करने को तैयार

KANPUR (4 Aug):

पहली बार जब उसको अपनी उंगली पकड़कर घर के आंगन में चलना सिखाया था तो जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी मिली थी। रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद उसका चेहरा देखकर ही सारी उलझनें दूर हो जाती थीं। इतना कहते-कहते ही ज्योति के पिता शंकर नागदेव का गला भर आया। उनकी आंखों के ये आंसू शायद अब जीवनभर नहीं रुकेंगे, क्योंकि उन्होंने जिस लड़के को अपनी फूल सी बेटी ज्योति जीवनभर के लिए सौंपी थी, उसी ने उसका बेरहमी से कत्ल कर दिया। पीयूष समेत सभी आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। कोर्ट आरोपियों को सजा भी सुना देगा। ज्योति को न्याय भी मिल जाएगा लेकिन शंकर नागदेव को एक पिता की हैसियत से पूरी जिंदगी भर के लिए मिलेंगे सिर्फ और सिर्फ आंसू पढि़ए पश्चाताप और बेबसी में तड़पते एक बाप की दास्तां

अगर जरा भी आभास होता

मुझको जरा सा भी आभास नहीं था कि मेरी फूल सी बच्ची के साथ उसका ही पति ऐसी घिनौनी हरकत करेगा। अगर जरा भी एहसास होता तो उसको कभी कानपुर जाने नहीं देता। जिंदगी भर मुझको इसका अफसोस रहेगा कि मैं उसके दिल की बात को क्यों नहीं समझ पाया। उसको कितना दर्द झेलना पड़ा, जब सोचता हूं तो दिल दहल जाता है।

'कभी आंसू नहीं आने दिए.'

ज्योति के पिता बताते हैं कि बचपन से लेकर शादी तक कभी उसके आंखों में आंसू नहीं आने दिए। एक बार स्कूल में टीचर ने डांटा तो वहां पहुंच गया। वहां से घर ले आया और घंटों अपनी बांहों से लगाए रखा। बोली, मैडम स्कूल में डांटती हैं। स्कूल नहीं जाऊंगीमैंने समझाया और कहा, अब नहीं डांटेंगीस्कूल जानाउसकी मां ने भी कभी डांटा तो मेरे पास आकर शिकायत जरूर करतीऐसे ही खेलते-कूदते पता ही नहीं चला कि कब वो बड़ी हो गई। पर इतनी बड़ी शिकायत मुझसे क्यों नहीं कीबात करते-करते शंकर नागदेव की आवाज भर आती है।

वो बचपन से चाकू से डरती थी

शंकर नामदेव के मुताबिक ज्योति ने सेंट एलॉयसिस कॉलेज जबलपुर से ग्रेजुएशन किया है। शादी से पहले कुछ दिन कंगारू किड्स स्कूल में पढ़ाने भी जाती थी। उसे बच्चों से बहुत प्यार था।

कॉलेज की फ्रैंड को लेकर घर आती थी तो अपने हाथों से उनको एक से बढ़कर एक चीजें बनाकर खिलाती थी। लेकिन सब्जी काटने या फिर दूसरे काम के लिए चाकू का प्रयोग खुद नहीं करती थी, किसी और से कटवाती थी । वो कहती थी कि इससे डर लगता है। अक्सर कॉलेज से आने के बाद मुझसे उस दिन की हर बात शेयर करती थी। अगर किसी फ्रैंड से लड़ाई करके आती थी तो भी बिना मुझे बताए नहीं रहती थी, लेकिन इतना बताने के बाद वो फिर वही बात दोहराते हैंपर मुझसे इतनी बड़ी बात उसने क्यों छिपाई? मैं ये नहीं समझ पा रहा हूंअब तो जिंदगी भर रोने के सिवाए और कुछ नहीं बचामेरी इतनी प्यारी बच्ची पर उसने इतने अत्याचार किए और मुझको भनक तक नहीं लगी। वो कहते हैं कि ज्योति से फोन पर हुई बात के बाद मुझको हर हालत में उसको जबलपुर ले आना चाहिए था। ये अफसोस मुझे जिंदगी भर रहेगापर कुछ भी हो मैं अपनी बेटी के कातिल को किसी भी सूरत में छोड़ूंगा नहीं फिर इसके लिए मुझे किस हद तक जाना पड़े।

-------------------

मामले की जांच चल रही है। मैं खुद हर दिन जांच की मॉनिटरिंग कर रहा हूं। आरोपी को हर हालत में सख्त से सख्त सजा मिलेगी। इस मामले में पुलिस कोई भी ढील नहीं करेगी। हर पहलू पर गंभीरता से जांच की जा रही है। ज्योति के पिता लगातार मेरे संपर्क में हैं और वो पुलिस की जांच की दिशा से संतुष्ट हैं।

आशुतोष पांडेय, आईजी जोन