आई एक्सक्लूसिव

-पुखरायां रेल हादसे में डी कंपनी और आईएसआई का हाथ होने के खुलासे के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने शुरू की जांच

- आईएसआई एजेंटों और डी कंपनी के गुर्गो के शहर से पुराने संबंध पर भेजी जा रही गोपनीय रिपोर्ट

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पुखरायां रेल हादसे में डी कम्पनी का हाथ होने के सबूत मिलने के बाद एक बार फिर कानपुर खुफिया एजेंसियों के राडार पर आ गया है। साथ ही रेल हादसे में आईएसआई के शामिल होने के खुलासे के बाद अलर्ट हुई यूपी एटीएस व अन्य खुफिया एजेंसियों ने डी कम्पनी के कानपुर कनेक्शन पर अपनी निगाह लगा ली है। खुफिया एजेंसिया एक-एक इनपुट जुटा रही हैं। एक गोपनीय रिपोर्ट इंटेलिजेंस ब्यूरो ने गृह मंत्रालय को भेजी है। इस रिपोर्ट के कुछ अंश आई नेक्स्ट के हाथ लगे हैं, जिसमें साफ लिखा है कि कानपुर डी कंपनी के टारगेट पर है।

दशकों पुराना संबंध

रिपोर्ट में कानपुर को अतिसंवेदनशील बताया गया है। पूर्व पुलिस अधिकारी ने नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर बताया कि 'डी' कम्पनी का कानपुर से दशकों पुराना कनेक्शन है। यहां के एक गैंग के सरगनाओं के डी कम्पनी के सरगना से करीबी संबंध सामने आ चुके हैं। जिसकी जांच देश की बड़ी खुफिया एजेंसियां कर रही हैं। इसके अलावा यहां पर आईएसआई एजेंट समेत कई आतंकी भी पकड़े जा चुके हैं। कई गैंग कानपुर के हैं जिनके भी संबंध डी कंपनी से हैं।

डी-2 गैंग सबसे आगे

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर में एक्टिवडी-2 गैंग का डी कम्पनी से करीब तीन दशक पुराना कनेक्शन है। यह शहर का सबसे खतरनाक और बड़ा गैंग है। इस गैंग के सरगनाओं के डी कम्पनी के सरगना दाउद इब्राहिम समेत उनके गुर्गो से करीबी संबंध होने की बात सामने आ चुकी है। इस गैंग को नई सड़क के अतीक अहमद, शफीक, बिल्लू, बाले और उसके तीन भाइयों ने खड़ा किया था। अतीक और उसके भाइयों की दाउद और उनके गुर्गों से बात भी होती थी। अतीक के जेल जाने के बाद उसके भाई ने कमान संभाली। ये हम नहीं कह रहे बल्कि खुफिया एजेंसियों ने इन बिंदुओं पर जांच भी की, लेकिन रिपोर्ट का अब तक कोई पता नहीं है।

असलहों और नशे का गोरखधंधा

रिपोर्ट के मुताबिक करीब दो दशक पहले डी-2 गैंग का शहर में आतंक था। उस वक्त यह गैंग अपहरण कर फिरौती वसूलना और भाड़े में कत्ल कर काली कमाई करता था, लेकिन जब यह गैंग डी कम्पनी के टच में आया तो इस गैंग ने डी कम्पनी की मदद से यहां पर सूखे नशे (स्मैक) और असलहे का काला कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे यह शहर नशे में टॉप मंडी हो गई। यह गैंग अब पहले की अपेक्षा कमजोर हो गया है, लेकिन डी कम्पनी की अभी भी जड़े जमी हुई हैं। अभी भी नशे का जो काला कारोबार हो रहा है। उसके पीछे डी कम्पनी ही है।

अब टायसन के पास कमान

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक तीन दशक पुराने इस गैंग में अभी भी सौ से ज्यादा क्रिमिनल हैं। अतीक के जेल जाने के बाद उसके भाई शफीक ने गैंग की कमान संभाली। इसके बाद बिल्लू, बाले और फिर रफीक ने गैंग को संभाला। इस दौरान उनका भतीजा टायसन भी गैंग में शामिल हुआ। उसकी चाचाओं से बनी नहीं और उसने पुलिस की मदद से दो चाचाओं का एनकाउंटर करा दिया, जबकि अन्य जेल में है। अब गैंग की कमान उसके पास है। पुलिस की खुफिया टीम उस पर पल-पल नजर रख रही है।

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इनका भी है शहर से कनेक्शन

-इम्तियाज और वकास

आईएसआई एजेंट इम्तियाज और वकास का कानपुर कनेक्शन है। एटीएस ने दोनों को कानपुर से ही पकड़ा था। दोनों इस समय जेल में हैं। पुलिस पूछताछ में दोनों ने यहां पर रहकर गोपनीय जानकारी आईएसआई को देने की बात कबूली थी।

-आतंकी टुण्डा

लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकी और बम एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा का शहर से कनेक्शन रहा है। यहां के शातिरों ने उससे बम बनाने की ट्रेनिंग ली है। शहर में पठान और आतिफ उसकी कमान संभालते हैं। उसकी नेपाल बार्डर पर हुई गिरफ्तारी के समय तत्कालीन डीआईजी आरके चतुर्वेदी ने उसके शहर से कनेक्शन की बात स्वीकार की थी।

-दिलशाद मिर्जा

नेपाल का दहशतगर्द दिलशाद मिर्जा का भी यहां से कनेक्शन है। वो पठान और आतिफ के टच में रहता था। सोर्सेज की माने तो वो कई बार शहर में आकर रुक भी चुका है। यहां के शातिर दिलशाद की मदद से लग्जरी कार चुराकर नेपाल में बेचते थे। साथ ही वे दिलशाद की मदद से स्मैक और चरस यहां पर लाते है। दिलशाद की तो हत्या हो चुकी है, लेकिन उसके गुर्गे भी शहर के शातिरों के टच में है।

-अबू सलेम

आतंकी अबू सलेम और उसके परिवार का भी कानपुर में नेटवर्क फैला है। अबू सलेम जब बैंकाक में फरारी काट रहा था तो यहां से कुछ लोग उससे मिलने बैंकाक जाते थे। उसका भाई अबू जैश तो अक्सर शहर आकर रुकता है। जब मुंबई में ताज होटल में आतंकी हमला हुआ था। उस समय जांच एजेंसी सभी शातिरों पर शिकंजा कस रही थी। तब अबू जैश घंटाघर के एक होटल में ही रुका था।