कानपुर(ब्यूरो)। शहर में बाइक और कार चोरी की वारदातें बढ़ रही हैं। हर महीने 15 से 20 व्हीकल चोरी हो रही हैं। ऐसे में अलर्ट रहने की जरूरत है क्योंकि अगर आपकी कार या बाइक चोरी होती है तो उसकी रिकवरी मुश्किल है। अगर रिकवरी हो भी जाती है तो आप तक आने में व्हीकल कबाड़ हो चुका होता है। दरअसल, जब बाइक चोरी होती है तो बाइक ओनर ओरिजिनल नंबर पर बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज करा देता है। उधर ऑटो लिफ्टर बाइक चोरी करने के बाद उस पर दूसरी नंबर प्लेट लगा देते हैैं।

फर्जी आरसी भी तैयार कर लेते
दो दिन पहले ही बाइक बरामदगी का गुडवर्क करने वाली टीम के मुताबिक ऑटो लिफ्टर्स जिस नंबर की प्लेट लगाते हैैं, उसकी कंप्यूटर से फर्जी आरसी (जो ओरिजिनल सी दिखती है) बनवा लेते है और धड़ल्ले से बाइक शहर में चलाते हैैं। चेकिंग के दौरान डीएल(ड्राइविंग लाइसेंस), बीमा और आरसी(रजिस्टे्रशन सार्टिफिकेट)देखकर उसे छोड़ दिया जाता है।

बरामदगी के बाद होती है ये परेशानी
बाइक बरामद होने के बाद पुलिस उसकी जानकारी संबंधित कोर्ट में देती है, जिसमें बरामद बाइक और एफआईआर वाली बाइक के नंबर में अंतर होता है। कानूनी प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से कोर्ट इस बाइक का रिलीज ऑर्डर पुलिस को नहीं दे पाती है और इंजन व चेचिस नंबर की जांच करने के आदेश होते हैैं। बाइक बरामदगी के बाद पुलिस के लिए ये प्रॉसेस लंबा होता है, लिहाजा कभी व्यस्तता को कभी लॉ एंड ऑर्डर की ड्यूटी की वजह से पुलिस इसे पूरा नहीं कर पाती और पीडि़त कभी कोर्ट तो कभी थाने के चक्कर लगाता रहता है।

कबाड़ हो रहे 50 लाख से ज्यादा के व्हीकल
पुलिस रिकॉर्ड की माने तो जनवरी 2023 से सितंबर 2023 तक 95 बाइक चोरी की वारदातें दर्ज की गईं। पुलिस ने वर्कआउट किया तो 65 बाइक बरामद भी कर लीं। जबकि 34 बाइकें जिनकी कीमत कम से कम 34 लाख रुपये तो है ही। थाने में कबाड़ हो रही हैैं।

फाइनल रिपोर्ट लगाने में लगते हैैं 90 दिन
बाइक चोरी होने पर नार्मली पुलिस केस दर्ज नहीं करती है। अधिकारियों या नेताओं की दखलंदाजी के बाद केस दर्ज भी कर लिया तो मामले मेें एफआर लगाने में पीडि़त को घर से थाने के लगभग एक दर्जन चक्कर लगाने पड़ते हैैं, इसके बाद एफआर लगती है और पीडि़त बीमा लेने के लिए एलिजिबिल हो जाता है। यहां एक बात और है कि पुलिस आम तौर पर एफआर यानी फाइनल रिपोर्ट कम ही लगाती है।

वाहन चोरी होने पर केस जरूर दर्ज कराएं न करें लापरवाही
- वाहन चोरी होने पर पहले डॉयल-112 को जानकारी दें।
- कंट्रोल रूम से मिला डॉकेट नंबर सेव करके रख लें।
- यूपी कॉप पर ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा दें।
- यूपी कॉप से मिला डॉकेट नंबर भी सेव करके रख लें।
- इसके बाद दोनों डॉकेट नंबर की जानकारी देते हुए थाने में तहरीर दें।
- दरअसल रिकवरी के बाद कोर्ट को एफआईआर की जरूरत होती है।
- गाड़ी चोरी होने पर चेचिस और इंजन नंबर एप्लीकेशन में जरूर डालें।


अपनी गाड़ी का ऐसे रखें सुरक्षित
-अपनी गाड़ी को हमेशा सेफ प्लेस पर पार्क करें
-रोड पर लगाने के बजाए प्रॉपर पार्किंग में खड़ी करें
-गाड़ी में एंटी थेप्ट अलार्म लगवा सकते हैं
-गाड़ी में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगवा सकते हैं
-घर के बाहर गाड़ी करते हैं तो सीसीटीवी से निगरानी रखें
-गाड़ी का इंश्योरेंस जरूर कराएं, समय से रिन्यूअल भी कराएं
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