कानपुर(ब्यूरो)। अभी कानपुराइट्स सुरेश मांझी को अगवा कर भीख मंगवाने वाले गैंग की बात भूल भी न पाए थे कि कानपुर में एक और सनसनीखेज मानव तस्करी का मामला सामने आया है। नाव बनाने के लिए सरसैयाघाट से युवक को ले जाकर आरोपियों ने नशीला पदार्थ सुंघा दिया और उसे मध्य प्रदेश ले गए। मजदूरी कराई, खाना मांगने पर मारा-पीटा। मनमाना काम न करने पर शरीर पर कई जख्म दिए। लेकिन, बीते सोमवार को युवक किसी तरह से आरोपियों के चंगुल से छूटकर अपने घर पहुंचा। मामले की जानकारी परिवार वालों को दी। परिवार वाले उसे लेकर कोतवाली पहुंचे। जहां कोतवाली पुलिस ने तहरीर तो ले ली लेकिन 48 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की।

ये है पूरा मामला
कोतवाली के सरसैया घाट निवासी 40 साल का मनोज सब्जी का ठेला लगाता था। साथ ही नाव बनाने का कारीगर भी था। परिवार में बहन रानी और भाई नन्हक्के है। मनोज की बहन रानी ने बताया कि 4 सिंतबर को पड़ोस में रहने वाला भारत निषाद (मल्लाह) उसके भाई को नाव बनवाने के लिए झांसी ले जाने के लिए साथ ले गया था। इसके बाद मनोज से कोई बात नहीं हुई। 7 सितंबर तक जब कोर्ई संपर्क नहीं हुआ तो उसने भारत को फोन किया। भारत ने बताया कि मनोज उसके ठेकेदार के साथ काम कर रहा है। 9 सितंबर को जब मनोज से बात कराने की जिद की तो भारत ने मनोज की हत्या कर फेंक देने की बात बताई।

सीएम से लेकर अधिकारियों को भेजा पत्र
रानी ने बताया कि भाई की मौत की जानकारी मिलने पर उसने रजिस्टर्ड डाक से सीएम से लेकर सभी अधिकारियों तक शिकायती पत्र भेजे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रानी ने बताया कि अभी वह अपने भाई तो तलाश ही रही थी कि 16 सितंबर को मनोज घर आ गया। उसके चेहरे, हाथ पैर, सीना, पेट, जांघ और पैरों पर गंभीर चोट के निशान दिखाई दिए। रानी ने बताया कि उसका भाई बात करते करते बेहोश हो जा रहा था, उसे लेकर वह कोतवाली पहुंची और तहरीर देकर शिकायत दर्ज कराने को कहा। रानी के मुताबिक, कोतवाली से सरसैयाघाट चौकी इंचार्ज को मामले की जांच दी गई। रानी ने बताया कि पुलिस भारत की गिरफ्तारी करने के बजाय उसके आने का इंतजार कर रही है, न ही इस मामले में केस दर्ज किया गया।

मनोज की कहानी उसकी जुबानी
मनोज ने बताया कि भारत उसे 4 सितंबर को अपने साथ नाव बनवाने के लिए कहकर ले गया था। उसे ट्रेन में बैठाया और समोसा खाने को दिया। पड़ोस का होने की वजह से भरोसा कर लिया और समोसा खा लिया, जिसमें नशीला पदार्थ मिला हुआ था। नशे में उसे न जाने कहां ले जाकर बंद कर दिया। घर जाने के लिए कहने पर मारपीट की। मनचाहा काम कराया। निर्धारित समय पर नशा दिया जाता था, जिससे वह होश में नहीं रहता था। 15 सितंबर की शाम जिस जगह वह था, वहां किसी के न होने पर भाग निकला और स्टेशन का पता पूछते रेलवे स्टेशन पहुंच गया और वहां से ट्रेन में बिना टिकट सवार होकर कानपुर पहुंच गया। 16 सितंबर को अंधेरा होने पर डरते-डरते घर पहुंच गया और सभी को पूरे मामले की जानकारी दी।

पहले भी शहर में आ चुका है मानव तस्करी का मामला
ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मानव तस्करी का मामला सामने आ चुका है। जिसमें सुरेश मांझी को दिल्ली ले जाकर &बेगर गैंग&य को बेच दिया गया था। जानकारी मिलने पर पुलिस की टीम ने सुरेश मांझी को दिल्ली से मुक्त कराया था। इसके अलावा भी तमाम मामले मानव तस्करी के सामने आ चुके हैं।

कमिश्नेरट में है मानव तस्करी सेल
आपको बताते चलें कि कमिश्नरेट में मानव तस्करी सेल है। जिसे इसी तरह के मामलों को डिस्पोज करने में लगाया गया है, लेकिन सेल के पुलिस कर्मी न तो मानव तस्करों तक पहुंच पा रहे हैं और न ही पीडि़तों तक। हालात ये हैं कि जनवरी से लेकर अभी तक एक भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस दर्ज नहीं किया गया है।

आरोपी भारत और मनोज दोनों एक दूसरे को जानते हैं। दोनों नौकरी करने मध्य प्रदेश गए थे। जहां दोनों के बीच विवाद हुआ, जिसमें मारपीट हुई है, घटनास्थल मध्य प्रदेश का है, जो आरोप लगाए गए हं, उनकी जांच चौकी इंचार्ज सरसैयाघाट कर रहे हैं।
चंद्रकांत मिश्र, प्रभारी निरीक्षक कोतवाली कानपुर कमिश्नरेट