-रेल हादसे के दिन राजू और जुबैर की शहर में लोकेशन तलाशने में जुटी जांच एजेंसियां

-घटना को अंजाम देने के लिए रिटायर्ड रेलवे कर्मियों ने की मदद, खुफिया एजेंसी की जांच में खुलासा

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KANPUR : रेल हादसे को अन्जाम देने वाले शातिर शहर में ही रुके थे। इसकी पुष्टि मोतिहारी में पकड़े गए मोती ने कर दी है। साथ ही उसने यह भी बताया कि वो आधा दर्जन शातिरों समेत वारदात को अन्जाम देने आया था, जिसमें जुबैर और जियाउल को पकड़ा जा चुका है, जबकि अन्य की तलाश चल रही है। इसी बीच गुरुवार को उनके एक और साथी राजू पटेल की पहचान हो गई है। साथ ही यह भी पता चला कि रेल हादसे के दिन राजू और जुबैर की कानपुर में ही लोकेशन थी। अब खुफिया एजेंसी समेत शहर की पुलिस यह पता कर रही है कि इन दोनों का यहां के किन लोगों से कनेक्शन है, ये कहां पर रुके थे और इनकी किसने मदद की थी?

फोटो के सहारे सुराग खोज रहे

खुफिया एजेंसी समेत शहर की पुलिस को जुबैर और राजू की फोटो मिल गई है। अब पुलिस दोनों के मोबाइल नम्बर जुटा रही है, ताकि सर्विलांस के सहारे दोनों की शहर में कहां पर लोकेशन थी, यह पता लगाया जा सके। इधर, शहर की पुलिस के साथ ही एनआइए, एसटीएफ, एटीएस, आइबी, एलआइयू समेत अन्य खुफिया एजेंसियों ने लोकल मुखबिरों को दोनों की फोटो देकर उनके बारे में पता लगा रही है।

भोजपुरी में बात करते हैं शातिर

शहर की पुलिस को रेल हादसे से संबंधी तीन कॉल रिकॉर्डिग भी मिल गई हैं, जिसमें एक कॉल में रेल हादसे का मास्टर माइंड बृज किशोर गिरी मोतिहारी में हत्थे चढ़े मोती पासवान से बात कर रहा है। दूसरी रिकॉर्डिग में गिरी राजू और जुबैर से बात कर रहा है, जबकि तीसरी रिकॉर्डिग में मोती पासवान और राजू के बीच है। तीनों रिकॉर्डिग में शातिर भोजपुरी में रेल हादसे की बात कर रहे हैं। जिसमें गिरी काम पूरा न होने पर रुपए वापस मांग रहा था। वो कह रहा था कि तुमने पटरी को ब्लास्ट नहीं किया। इसलिए तुम्हें रुपए वापस करने पड़ेंगे।

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रिटायर्ड रेल कर्मी ने दी थी ट्रेनिंग

रेल हादसे की आतंकी साजिश में रिटायर्ड रेल कर्मी भी शामिल है। इसकी पुष्टि खुफिया एजेंसी की जांच में हो गई है। जांच के मुताबिक इस वारदात को अन्जाम देने वाले शातिरों को रिटायर्ड रेल कर्मियों ने ही ट्रेनिंग दी है। मोतिहारी में ही इसका कैम्प लगा था, जिसमें रिटायर्ड रेल टेक्नीशियन, गैंग मैन समेत अन्य रेल कर्मियों ने उनको ट्रेनिंग दी थी। जिसमें उन्हें प्रैक्टिकली यह बताया गया था कि उनको कैसे पटरी काटनी या उखाड़नी है।

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माओवादियों की तलाश्ा भी जारी

शहर में 8 फरवरी 2010 को बसन्त नगर में आठ माओवादी कृपाशंकर, बंशीधर उर्फ चिंतक, शिवराज सिंह उर्फ बगदावल, अमरीश उर्फ राजेंद्र दास, नवीन प्रसाद सिंह उर्फ अशोक, दीपकराम, राजेंद्र उर्फ अरविंद और बच्चा प्रसाद उर्फ बलराज को पकड़ा गया था, जिसमें कृपा शंकर ही जेल में है, जबकि अन्य बेल पर छूट गए हैं। सोर्सेज के मुताबिक माओवादी कब छूटे और अब वे क्या कर रहे हैं? इस बारे में खुफिया एजेंसियों को नहीं पता है। रेल हादसे में आतंकी साजिश पुख्ता होने के बाद अब खुफिया एजेंसियों को इनकी सुध आई है। अब एजेंसियां इनकी तलाश में जुट गई हैं।