कानपुर (ब्यूरो)। आईआईटी कानपुर के बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग (बीएसबीई) डिपार्टमेंट में न्यू एकेडमिक सेशन से एमटेक और पीएचडी के स्टूडेंट इंजीनियरिंग के साथ साथ मेडिकल के कंटेंट वाले कोर्स को भी पढ़ेंगे। इस डिपार्टमेंट में एमटेक और पीएचडी मेें इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सिग्नल प्रोसेसिंग फॉर बायो-इंजीनियर्स, कम्प्यूटेशनल बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर वेंचर्स एंड इंटरप्राइजेज को जोड़ा गया है। इन कोर्सेज से स्टूडेंट इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के यूज को मेडिकल और बायोसाइंस के क्षेत्र में किया जाना सीखेंगे।

दोनों को मिलाकर सिलेबस
बीएसबीई डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया की मेडिकल रिसर्च में इंजीनियरिंग का यूज तेजी से बढ़ रहा है। कॉलेजों में पढऩे वाले स्टूडेंट या तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं या फिर मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। लेकिन आने वाले समय में मेडिकल रिसर्च में दोनों ही विषयों की जानकारी आवश्यक होगी। इसीलिए हाल ही में आईआईटी कानपुर ने मेहता फॅमिली सेंटर फॉर इंजीनियरिंग इन मेडिसिन की भी शुरुआत की है। इसके अलावा आईआईटी में गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी की भी स्थापना हुई है। इन नए सब्जेक्टस का उद्देश्य मेडिकल और इंजीनियरिंग के साथ मेें मिलाकर रिसर्च करना है। इन कोर्सों में दोनों सेक्टर से कुछ कुछ कंटेंट लिया गया है। यह एमटेक बीएसबीई में इंटरडिसिप्लिनरी सब्जेक्ट हैैं।

मेडिकल डिवाइस में आत्मनिर्भर
प्रो। बंदोपाध्याय ने बताया कि इन नए सब्जेक्ट्स को शुरु किए जाने का उद्देश्य मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। अभी तक 80 परसेंट मेडिकल डिवाइसेज फॉरेन से इंपोर्ट होती हैैं। इन नए कोर्सों को की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट मेडिकल डिवाइस का स्टार्टअप शुरु करेंगे या फिर मेडिकल डिवाइस वाली कंपनी को ज्वाइन करेंगे।

एमबीबीएस के बाद बिना गेट
एमटेक बीएसबीई में आम स्टूडेंट्स को तो गेट स्कोर से एडमिशन मिलेगा। इसके अलावा एमबीबीएस किए कैंडीडेट को बिना गेट स्कोर के एमटेक में एडमिशन दिया जाएगा। इसके अलावा पीएचडी में एडमिशन के लिए 11 अप्रैल तक आवेदन लिए जाएंगे।