ये प्लूटो का चक्कर लगाने वाला चौथा प्राकृतिक उपग्रह है। इससे पहले चेरन, निक्स और हाइड्रा की पहचान हो चुकी है।

वैज्ञानिक इस नए चंद्रमा को फ़िलहाल पी4 कह रहे हैं जिसका व्यास 13 से 34 किलोमीटर का बताया जा रहा है। प्लूटो को 2006 में ग्रह से बौना ग्रह घोषित कर दिया गया था, लेकिन 2015 में ये एक बड़े अंतरिक्ष मिशन का लक्ष्य होगा।

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का न्यू होराइज़न नामक खोजी यान इस बर्फ़ीले बौने ग्रह के पास से गुज़रेगा और उसके चंद्रमाओं को भी देखेगा। न्यू होराइज़न के प्रमुख शोधकर्ता ऐलन स्टर्न ने इसे एक अभूतपूर्व खोज बताया है।

कोलोराडो के साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के एलन स्टर्न कहते हैं, "अब हमें ये मालूम हो गया है कि प्लूटो का एक और चंद्रमा है तो हम अपनी उड़ान के दौरान उसे भी नज़दीक से देखेंगे"।

अंतर

पी4 निक्स और हाइड्रा की कक्षाओं के बीच में स्थित है। निक्स और हाइड्रा की पहचान हबल दूरबीन ने 2005 में की थी। जबकि चेरन की पहचान 1978 में अमरीकी नौसैनिक वेधशाला ने की थी।

अगर प्लूटो और उसके चंद्रमा चेरन के आकार की तुलना की जाए, तो दोनों में बड़ा अंतर नहीं है। प्लूटो का व्यास 2,300 किलोमीटर का है जबकि चेरन का 1,200 किलोमीटर का। लेकिन निक्स और हाइड्रा छोटे हैं। निक्स का व्यास 30 किलोमीटर और हाइड्रा का 115 किलोमीटर है।

हबल दूरबीन ने पी4 को अपने नए वाइड फ़ील्ड कैमरा से पहली बार 28 जून को देखा था। जुलाई में उसके और पर्यवेक्षण होने के बाद उसके अस्तित्व की पुष्टि कर दी गई।

न्यू होराइज़न खोजी यान जुलाई 2015 में प्लूटो के पास से गुज़रेगा। उसके सात उपकरण प्लूटो की सतह की विशेषताओं, उसकी बनावट और वायुमंडल का विस्तृत नक्शा तैयार करेंगे।

ये यान प्लूटो से 10,000 किलोमीटर और चेरन से 27,000 किलोमीटर की दूरी तक जाएगा और उसके बाद आगे बढ़ जाएगा। अगर नासा के पास और धन हुआ तो ये यान क्यूपर पट्टी में यात्रा करता रहेगा जहां सौर मंडल के निर्माण के बाद के कई अवशेष मौजूद हैं।

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