- करीब 10 हजार डीजल वाहन पार कर चुके हैं 10 साल का समय

- वाहनों के धुएं से हर साल बढ़ रहा है प्रदूषण

KANPUR। सिटी में रोड पर चल रहे डीजल वाहनों से बड़े स्तर पर प्रदूषण हो रहा है। यहां चल रहे करीब 10 हजार डीजल वाहन 10 साल की समय सीमा पार कर चुके हैं और इनसे बड़े स्तर पर प्रदूषण फैल रहा है। जो हमारे फेफड़ों को कमजोर कर रहा है।

सिटी में बढ़ रहा है हर साल .5 प्रतिशत प्रदूषण

सिटी में हर साल डीजल वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। आरटीओ आकड़ों के मुताबिक करीब 2 लाख डीजल कारें सिटी की रोड्स पर चल रही हैं। वहीं करीब 1 लाख अन्य डीजल वाहन जैसे ट्रक, बस, लोडर आदि चल रहे हैं। इन सबको मिला लें तो डीजल वाहनों की संख्या लगभग 3 लाख है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक अगर डीजल व पेट्रोल दोनों को मिला लिया जाए तो हर साल .5 प्रतिशत प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

10 हजार वाहन बने मुसीबत

सिटी में करीब 10 हजार ऐसे डीजल वाहन हैं, जो दस साल से अधिक उम्र के होकर चल रहे हैं। ऐसे वाहनों से ही सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। मोटर नियमों के अनुसार 10 साल के बाद डीजल वाहनों का दोबारा रजिस्ट्रेशन कराना होता है। दोबारा रजिस्ट्रेशन कराते वक्त वाहन की क्षमता देखी जाती है कि क्या अभी भी वो रोड पर चलने के लायक हैं या नहीं। जिसके बाद उनका दोबारा रजिस्ट्रेशन होता है। फिर हर 5 साल में वाहनों की फिटनेस होती रहती है।

प्रदूषण जांच के नाम पर सिर्फ खानापूरी

सिटी में प्रदूषण जांच के नाम पर सिर्फ खानापूरी ही होती है। आरटीओ के द्वारा अधिकृत कई प्रदूषण जांच केंद्र हैं लेकिन जांच के नाम पर वे सिर्फ खानापूरी ही करते हैं। वहीं रोड पर भी आरटीओ की टीम ढीली रहती है। शायद ही कहीं प्रदूषण सर्टिफिकेट की जांच की जाती हो।

30 रुपये में होती है जांच

वेहिकल में वायु प्रदूषण की जांच मात्र 30 रुपये में होती है। सिटी में आरटीओ से ऑथराइज्ड करीब 15 प्रदूषण जांच केंद्र खुले हैं। जहां एनालाइजर मशीन लगाकर वाहन के आइडलिंग गति पर कार्बन-मोनो ऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन स्तर को जांचा जाता है। अगर प्रदूषण मानक से कम है तो 30 रुपए में आपको प्रमाण पत्र मिल जाएगा। वहीं प्रदूषण नियंत्रण से बाहर है तो प्रदूषण प्रमाण-पत्र नहीं बनाते है। फिर गाड़ी को सही कराना होगा। प्रमाण पत्र की वैधता छह महीने की होती हैं। नये वाहन पर एक साल की छूट होती हैं। यह परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिया जाता है। प्रमाण पत्र न होने पर 50 से 500 रुपए तक जुर्माना हो सकता है।

प्रदूषण का मानक

केंद्रीय मोटर वेहिकल एक्ट 1989 की धारा 155(2) में वाहनों के प्रदूषण के मानकों को बताया गया है। पेट्रोल से चलने वाले सभी टू व थ्री व्हीलर वेहिकल के लिए कार्बन मोनोआक्साइड उ‌र्त्सजन 4.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं अन्य सभी वाहनों के लिए कार्बन मोनोआक्साआइड उ‌र्त्सजन 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। डीजल वेहिकल के लिए धुएं का घनत्व 65 हार्टिज धुआ एकक से अधिक नहीं होना चाहिए।

ये बात सच है कि 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों से प्रदूषण बढ़ रहा है। हमारी कोशिश रहती है कि जो भी वाहन बिना फिटनेस या अन्य नियमों की अनदेखी करके चल रहे हैं, प्रवर्तन दल उनके खिलाफ लगातार अभियान चला कर कार्रवाई कर रहा है। आगे कार्रवाई भी जारी रहेगी।

- प्रभात पांडे, एआरटीओ