कानपुर (ब्यूरो)। &राह कितनी भी मुश्किल हो पर चलना भी आता है, क्योंकि मुझे गिरकर संभलना भी आता है, इरादे के पक्के हैं हमें किस्मत बदलना भी आता है, थोड़ी दम तो भरने दो हमें तैरना भी आता है&य महज ढाई साल की उम्र में पानी में हाथ पांव मारने वाले मोनू निषाद आज तैराकी प्रतियोगिता में एक के बाद एक झंडे गाड़ रहे है। नगर निगम के बेलदार के पद पर तैनात मोनू निषाद नेशनल स्वीमिंग कॉम्पटीशन में चार बार मेडल जीत चुके हैं और इस बार फिर गोवा में मैदान फतह करने की तैयारी में है। नेशनल स्तर पर शहर का नाम रोशन करने वाले मोनू को अपने ही विभाग से कोई सहयोग नहीं मिलता है। जबकि नगर निगम में क्रीडा विभाग कागजों पर काफी तेज दौड़ता है।

पिता की जगह पर मिली जॉब
सिविल लाइन स्थित भगवत दास घाट पर रहने वाले 27 साल के मोनू निषाद नगर निगम के जोन दो में बेलदार के पद पर तैनात हैं। उनके पिता स्व। नरेश कुमार निषाद नगर निगम में जॉब करते थे। 2006 में उनकी मौत हो गई थी, पिता की मौत के बाद फैमिली को पालने के लिए मोनू ने उनकी जगह बेलदार की पोस्ट पर जॉब ज्वाइन की। हालांकि तैराकी के शौक व हुनर को मोनू ने कभी खत्म नहीं होने दिया। नौकरी के साथ अपने तैराकी के शौक को जिंदा रखा और स्वीमिंग पूल व नदी में तैराकी कर अपने आप को नेशनल स्तर पर कॉम्पटीशन के लिए तैयार किया।

डिपार्टमेंट से नहीं मिला कभी सहयोग
मोनू का कहना है कि उन्हें कभी डिपार्टमेंट की तरह से कोई सहयोग नहीं मिला। नगर निगम में एक क्रीड़ा विभाग (स्पोट्र्स डिपार्टमेंट) भी है जिस पर सिटी के प्लेयर्स और गेम को प्रमोट करने की जिम्मेदारी है। अपने विभाग के एक हुनरमंद प्लेयर को कभी प्रमोट नहीं कर पाया। मोनू की बढ़ती उपलब्धि को देखते हुए कुछ दिन पहले महापौर व नगर आयुक्त ने उसे सम्मानित जरूर किया और उसको प्रमोट करने के लिए उसे स्पोट्र्स टीचर बनाने का फैसला भी किया, हालांकि अभी उसकी फाइल टेबल टू टेबल ही रन कर रही है।

अफसरों ने किया पर्सनल सपोर्ट
मोनू का कहना है कि चार बार वह नेशनल कॉम्पटीशन में मेडल लेकर आए और नेशनल कॉम्पटीशन में बाहर जाने-आने का खर्च वह खुद वहन करते हैं। इस बार उन्होंने पहली बार नगर निगम में तीस हजार का बिल लगाया हालांकि वह अभी तक पास नहीं हुआ है। मोनू का कहना है कि विभाग के दो अफसर अश्वनी यादव व अतुल ने उन्हें पर्सनल लेवल पर फाइनेंशियल सपोर्ट भी किया। 9 फरवरी को मोनू के गोवा में होने वाले नेशनल तैराकी कॉम्पटीशन में शामिल होने के लिए जाना है। विभाग से उसने परमिशन की मांगी है। विभाग मंजूरी तो दे देता है लेकिन इसके अलावा कोई सपोर्ट नहीं करता।