एक्सक्लूसिव

-हैलट में मरीजों को ऑक्सीजन लगाने के लिए न मॉस्क और न घड़ी

-कर्मचारियों को भी नहीं सही जानकारी, किस मरीज को कितनी ऑक्सीजन चाहिए

KANPUR: हैलट में ऑक्सीजन नहीं मिलने से वृद्धा की मौत के बाद मरीजों की सांसों के साथ हो रही लापरवाही उजागर होती है। हैलट में आईसीयू को छोड़ बाकी सभी जगह लगे ऑक्सीजन प्लांट करोड़ों खर्च के बाद भी बंद पड़े हैं वहीं सिलेंडर से जो सप्लाई होनी है इसको लेकर लापरवाही साफ नजर आती है। दरअसल मरीजों को कितनी मात्रा में कितनी ऑक्सीजन की जरूरत है ये बात उन कर्मचारियों को पता है जो इसे मरीजों को लगाते हैं। साथ ही ऑक्सीजन सप्लाई के लिए उपकरणों का भी बड़ा अभ्ाव है।

न घड़ी का पता न मॉस्क का

हैलट में रोजाना 50 से ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं इनमें से 20 से 30 मरीजों को ऑक्सीजन की भी जरूरत होती है। पनकी स्थित दो ऑक्सीजन प्लांटों से हैलट में रोज 100 से ज्यादा छोटे बड़े ऑक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई होती है। इस सिलेंडरों से ऑक्सीजन मरीजों को मास्क के जरिए दी जाती है। मरीजों को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिले इसके लिए हर सिलेंडर में प्रेशर बताने वाला मीटर भी लगा होना जरूरी होता है। यह दोनों चीजें तो हैलट की ओर से मुहैया करानी होती हैं। लेकिन इन सिलेंडरों में लगने वाली ज्यादातर घडि़यां खराब पड़ी हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन मॉस्क की भी कमी है। कई बार ऑक्सीजन मॉस्क तो तीमारदारों से बाहर से ही 100 से 200 रुपए में खरीदकर लाना पड़ता है।

प्रेशर कितना यह भी पता नहीं

मरीज को सिलेंडर से ऑक्सीजन देने के लिए उसका ना‌र्म्स के हिसाब से प्रेशर 50 से 55 पीएसआई के बीच होना चाहिए। लेकिन हैलट में इसे चेक करने के लिए प्रेशर मीटर की बेहद कमी है। इसके अलावा कर्मचारियों को भी इसकी सही जानकारी नहीं हैं। वह सिर्फ अंदाजे के हिसाब से ही मरीज को ऑक्सीजन लगा देते हैं। ऐसे में कई बार प्रेशर ज्यादा होने से गैस जल्दी खत्म हो जाती है और मरीज की हालत बिगड़ जाती है।

हैलट में रोज ऑक्सीजन की जरूरत

- 10 बड़े सिलेंडर

- 50 छोटे सिलेंडर

- 30 मीडियम साइज सिलेंडर

- 10 सिलेंडरों की जरूरत ओटी में रोज