इस मौके पर रागी जत्थों ने शबद-कीर्तन की गंगा बहाकर श्रद्धालुओं को निहाल कर दिया।

मेला जैसा नजारा

थर्सडे को मोतीझील में सुबह से शाम तक मेला जैसा नजारा रहा। लोग बच्चों और अन्य फैमिली मेंबर्स के साथ पहुंचे। ट्रैफिक जाम और पार्किंग प्रॉब्लम के कारण उनको थोड़ी परेशानी भी हुई। उन्होंने मोतीझील के बाहर गाड़ी पार्क कर फैमिली के साथ पैदल दूरी नापी।

भक्त हुए निहाल

भक्तों ने गुरूग्रन्थ साहिब के दरबार में माथा टेका और सभी के भले की अरदास की। रागी मनप्रीत सिंह और सतविंदर सिंह के अलावा स्कूली बच्चों ने कीर्तन, कथा सुनाकर भक्तों को निहाल कर दिया। तीसरे दिन थर्सडे को अखंड पाठ साहिब की समाप्ति हुई। लोगों ने यहां बच्चों का नामकरण भी कराया।

घर से भी बनाकर लाए रोटियां

थर्सडे को सुबह से शाम तक मोतीझील लॉन में लंगर का दौर चला। लोग अपने घर से भी प्रसादे (रोटियां) बना कर लाए थे। सिटी के ही नहीं बल्कि कई दूसरी सिटीज से भी श्रद्धालु लंगर छकने आए। मोतीझील में लाखों श्रद्धालुओं ने लंगर छका।