- शानू बादशाह हत्याकांड में एसएसपी ने तीन सिपाहियों को किया सस्पेंड

- शानू बादशाह के हत्यारोपियों से मोबाइल पर बातचीत के सबूत मिलने पर हुई कार्रवाई

- सिपाहियों की संपत्ति के अलावा सबलू के धंधे में लगे उनके रुपए की जांच आईपीएस को सौंपी

- हत्या के बाद आरोपियों से संबंधों के आरोप में चमनगंज एसओ का हो चुका है निलंबन

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KANPUR: भ् अप्रैल को बेकनगंज में हुई हिस्ट्रीशीटर शानू बादशाह की हत्या किए जाने की जानकारी कुछ पुलिसकर्मियों को पहले से थी। वे पुलिसकर्मी हत्यारोपियों के बराबर संपर्क में थे। हत्या से पहले और बाद में उनकी हत्यारोपियों से लगातार फोन पर बात हो रही थी। इस मामले में एसएसपी ने पहले ही चमनगंज एसओ को सस्पेंड कर गैर जनपद तबादला कर दिया था। वहीं दो दिन पहले चमनगंज और बाबूपुरवा थाने में तैनात फ् सिपाहियों को भी सस्पेंड कर दिया। उनके मोबाइल के कॉल डेटा रिकार्ड में हत्यारोपियों से बातचीत के सबूत मिले। जिसके बाद एसएसपी ने यह कार्रवाई की। अब इन सिपाहियों की संपत्ति की जांच के अलावा आरोपियों से संबंधों और उनके बिजनेस में लगाए गए पैसे की भी जांच के लिए एसएसपी ने एएसपी कैंट को लगाया है।

सांठगांठ में नपे थे चमनगंज एसओ

शानू बादशाह की हत्या के बाद जांच में उस समय चमनगंज एसओ रहे अलाऊद्दीन अंसारी को एसएसपी ने सस्पेंड कर दिया था। उनका नाम हत्यारोपियों से सांठगांठ में आया था। इसके बाद चमनगंज और बेकनगंज में अपराधियों, पुलिस और नेताओं के गठजोड़ की जांच शुरू हुई तो कई के चेहरों से नकाब उठे। एक बिल्डर से लेकर क्राइम ब्रांच के एक सिपाही की भूमिका भी मर्डर में सामने आई। आरोपियों की जिस तरह से गिरफ्तारी या सरेंडर हुआ। वह अपने आप पुलिस को कठघरे में खड़ा करता है।

कॉल डेटा रिकार्ड से ख्ाुली पोल

शानू बादशाह की हत्या के बाद से ही पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। घटना के बाद मौके पर एसएसपी के पहुंचने से पहले ही एक दरोगा वहां पर शानू बादशाह की हिस्ट्रीशीट की कापियां बांट रहे थे। क्राइम ब्रांच के सिपाही से लेकर बेकनगंज थाने की बीट के सिपाहियों की सांठगांठ पर भी नजर रखी जा रही थी। इसके अलावा पड़ोस के चमनगंज थाने के सिपाहियों पर भी नजर रखी गई थी। कई के मोबाइल को भी सर्विलांस पर लिया गया। जिसके बाद फ् सिपाहियों का नाम सामने आया। इसमें से चमनगंज थाने में तैनात सिपाही राजेंद्र सिंह और कैलाश सिंह यादव और बाबूपुरवा थाने में तैनात सिपाही योगेंद्र यादव शामिल है।

इनके सबलू समेत कई आरोपियों से कई बार बातचीत के सबूत मिले हैं।

तो क्यों न इन पुलिसवालों पर चले हत्या की साजिश का मुकदमा

दरअसल शानू बादशाह की हत्या के बाद पहले चमनगंज एसओ फिर फ् सिपाहियों के सस्पेंशन की कार्रवाई करके भले ही पुलिस सांठगांठ करने वालों पर कार्रवाई करने का दावा कर रही हो, लेकिन इस कार्रवाई से एक सवाल यह भी उठता है कि अगर हत्यारोपियों की पुलिसकर्मियों से सांठगांठ थी तो इसमें उन पुलिस कर्मियों का क्या हित था और अगर कोई हित था तो हत्या की साजिश के आरोपी तो वह भी बनते हैं। फिर क्यों न उन पर भी धारा क्ख्0बी के तहत मामला दर्ज किया जाए। पुलिस अपने इन विभीषणों पर किस हद तक कार्रवाई करेगी यह बड़ा सवाल है।

सिपाहियों की संपत्ति की भी हो रही जांच

एसएसपी शलभ माथुर ने बताया कि इस मामले में कार्रवाई सिर्फ सस्पेंशन पर ही नहीं रूकेगी। एएसपी कैंट सुशील घुले को निलंबित सिपाहियों की संपत्ति की जांच के भी आदेश दिए हैं। इसके अलावा हत्यारोपियों के बिजनेस में इनकी काली कमाई लगी है या नहीं इसकी भी जांच होगी। उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

प्रापर्टी खाली कराने के बिजनेस में शामिल पुलिस

बेकनगंज, चमनगंज एरिया में अवैध निर्माण चरम पर है। छोटे छोटे प्लॉटों पर अपार्टमेंट बनाए जा रहे हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी की कीमत भी काफी बढ़ गई है। इस अवैध निर्माण को कराने में पुलिस भी भागीदार होती है। इलाके के पुराने मकान खाली कराने में होने वाली गुंडई को पुलिस इसी लिए नजरअंदाज करती है या दबंगों का साथ देती है, क्योंकि उसका हिस्सा फिक्स होता है।