-दीपावली पर कानपुर में 14 गुना प्रदूषण बढ़ा, पीएम-2.5 का स्तर मानक से 14 गुना ज्यादा

-पटाखों से होने वाले पॉल्यूशन से शहर की हवा हुई 'जहरीली', तीन दिन बाद स्थिति होगी सामान्य

-अस्थमा और सांस की मरीजों के लिए खतरनाक साबित होंगे ये तीन दिन

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KANPUR: कानपुर में दिवाली भले ही हर्षोल्लास और शांतिपूर्ण तरीके से मन गई हो, लेकिन दीपावली पर हुई आतिशबाजी ने सिटी की आबोहवा को 14 गुना तक ज्यादा 'जहरीला' बना दिया है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि सीपीसीबी के आंकड़े कह रहे हैं। दिवाली के बाद केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली के बाद कानपुर में पार्टिकुलेटेड मैटर-2.5 का स्तर पहुंच गया जोकि देश में सबसे ज्यादा रहा। वहीं सीपीसीबी के नेहरू नगर स्थित एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सेंटर की रिपोर्ट पर गौर करें तो और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। दिवाली के बाद परेवा को भी शहर में पार्टिकुलेटेड मैटर यानि पीएम-2.5 का स्तर मानक से 10 गुना से भी ज्यादा रहा। वहीं पीएम-10 स्तर भी मानक से चार गुना ज्यादा रिकॉर्ड ि1कया गया।

आसमान पर 'स्माॅग' का असर

मंडे सुबह और शाम व ट्यूजडे को भी सुबह-शाम को शहर के इर्द-गिर्द धुंध की चादर जिसे 'स्मॉग' कहते हैं वह साफ दिखाई पड़ी। आईआईटी कानपुर के एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक 'स्मॉग' का असर अभी दो-तीन दिन रहेगा। लेकिन 15 नवंबर तक अभी खेतों में जलाई जाने वाली पयार की वजह से भी कोहरे के साथ पॉल्यूशन बढ़ेगा। उनके मुताबिक करीब तीन दिनों के बाद स्थिति कुछ सामान्य हो सकेगी। फिलहाल दो दिन तक अस्थमा और सांस की बीमारी के मरीजों को एहतियात बरतने की जरूरत है।

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इन बातों का रखें ध्यान

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1. सांस की बीमारी संबंधित पेशेंट्स घर से बाहर निकलें तो मॉस्क पहनकर।

2. इनहेलर का यूज करते हैं तो फिर लापरवाही न करें। समय पर इनहेल करें।

3. सांस फूले तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। लापरवाही न बरतें वरना मुश्किल होगी।

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30 अक्टूबर की शाम 16.55 बजे पॉल्यूश्ान का स्तर

(सभी स्तर माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में)

पीएम-10- मानक औसत- 100

रिकार्ड किया गया- 401

पीएम 2.5- मानक स्तर - 60

रिकार्ड किया गया- 823.71

31 अक्टूबर शाम 16.55 बजे पॉल्यूशन का स्तर

पीएम2.5- 609.25

स्त्रोत - समस्त आंकडे़ सीपीसीबी के नेहरू नगर केंद्र से।

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पीएम-2.5- प्रदूषण के ऐसे कण जिनका डायमीटर 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है। यह डस्ट, स्मोक, रेस्पेरेबल पार्टिकल या इनहेलेबल पार्टिकल के रूप में हो सकते हैं।

पीएम-10- हवा में प्रदूषण के ऐसे कण जोकि 10 माइक्रोमीटर डायमीटर से कम साइज के होते हैं।

'इस प्रदूषण में पार्टिकुलेटेड मैटर ही नहीं हैं, बल्कि नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का भी स्तर काफी बढ़ा है। इन दोनों का सीधा असर इंसान के रेस्पेरेटरी सिस्टम और फेफड़ों पर पड़ता है। अस्थमा के पेशेंट्स के लिए यह और भी खतरनाक है.'

- डॉ। आनंद कुमार, एचओडी चेस्ट रोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

'6 महीने से कम उम्र के बच्चों को तो ऐसे वातावरण से दूर रखें। क्योंकि उनको बहुत जल्दी इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। बच्चों को हो सके तो घर के अंदर रखें। जिससे प्रदूषण उनके फेफड़ों तक न पहुंचे.'

- डॉ। राजतिलक, वरिष्ठ बाल विशेषज्ञ