- दूसरे राज्यों और शहरों से डॉक्टर अपने पेशेंट्स को डाक के जरिए भेज रहे हैं मेडिसिन के पैकेट

-मेल मोटर सर्विस से भेजी जा रही डाक, हेड ऑफिस से जुड़े 56 पोस्टमैन लगातार कर रहे डिलीवरी

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KANPUR : कोरोना काल में संक्रमण बढ़ने के साथ आंशिक कफ्र्यू लगा तो डॉक्टरों ने भी टेलीफोन पर पेशेंट्स को ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया। ऐसे समय में दवा मरीज तक पहुंचाना एक चैलेंज था। डाक विभाग ने इस चैलेंज को सहज स्वीकार किया। दूसरे राज्यों और शहरों में रह रहे डॉक्टर अपने मरीज को डाक के जरिए मेडिसिन के पैकेट भेज रहे हैं। पोस्टमैन इन पैकेट्स को पेशेंट्स तक पहुंचाकर लोगों को स्वस्थ कर रहे हैं। जिन लोगों को दवा पहुंचाई जाती है, वे संक्रमित होते हैं। इसके बाद भी पोस्टमैन बिना किसी डर के लोगों को स्वस्थ करने की कवायद में जुटे हैं।

तीन ऑफिस कर रहे हैं काम

जिले में जीपीओ, हेड ऑफिस और कानपुर मुफस्सल काम कर रहे हैं। कानपुर हेड ऑफिस में 56 पोस्टमैन काम कर रहे हैं,। जबकि कानपुर नगर में 97 पोस्टमैन काम कर रहे हैं। वहीं मुफस्सल (रूरल एरियाज) में 270 पोस्टमैन काम कर रहे हैं। कोरोना काल में जब लोग अपने घरों से निकलने में घबरा रहे थे। इसी दौरान ये अपनी साइकिल या बाइक से लोगों की जान बचाने के लिए संजीवनी पहुंचा रहे थे। उनका यह काम अभी भी बदस्तूर जारी है।

14 मेल मोटर सर्विस चालू

पहले फेस का कोरोना हो या दूसरे फेस का कोरोना संक्रमण। इनफेक्शन के पीक में भी इन पोस्टमैनों ने अपने फर्ज को बखूबी अंजाम दिया। लॉकडाउन हुआ तो वाहनों का चलना बंद हुआ, ट्रेनें भी बंद हो गईं। इस दौरान विभाग की 14 मेल मोटर सर्विस शुरू की गईं। जिससे समय से आस-पास के प्रदेशों से दवाइयों के पैकेट सुरक्षित पहुंच सके। ऑस इंडिया पोस्टल इंप्लाइज यूनियन कानपुर शाखा के रीजनल सेक्रेट्री शैलेंद्र दीक्षित ने बताया कि इन दिनों पोस्ट ऑफिस में बचत बैंक का काम नहीं चल रहा है, जिसकी वजह से लोग कम आ रहे हैं। सारे कर्मचारी लोगों तक सुरक्षित दवा पहुंचाने में पूरी लगन से लगे हैं। पैकेट लोड करने से पहले पूरी तरह से सेनेटाइज किया जाता है।

वैक्सीनेशन की सुविधा नहीं मिली

रीजनल सेक्रेट्री के मुताबिक लगातार बिना किसी छुट्टी के डाक कर्मचारी काम कर रहे हैं। पहले फेस में जांच की फैसिलिटी तो दे दी गई थी, लेकिन दूसरे फेस में सभी कर्मियों को वैक्सीनेशन की सुविधा नहीं दी गई। जबकि पोस्टमैन संक्रमित व्यक्ति को दवा भी पहुंचाता है। अपने घर भी जाता है और ऑफिस भी आता है। पचास फीसद से ज्यादा कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगाई गई। यही नहीं कोरोना काल में लगातार ड्यूटी के बाद भी डाककर्मियों को फ्रंट लाइन वर्कर्स में नहीं रखा गया।

हेल्थ प्रोटोकॉल का पूरा पालन

परिसर में एक फॉरेन काउंटर भी बनाया गया है, जहां कस्टम का अधिकारी बैठता है। डॉक्टर का प्रिसक्रिप्शन और पार्सल लेकर जाने पर उसे फॉरेन कंट्रीज के लिए बुक किया जाता है। यहां गेट से लेकर काउंटर तक कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए 13 कर्मचारी लगे हैं। जो लगातार लोगों के साथ संवाद कर उन्हें कोविड नियमों का पालन करने के लिए कहते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। एक काउंटर पर केवल एक व्यक्ति ही काम कराने के लिए पहुंचता है। परिसर में आने वाला कर्मचारी हो या कस्टमर। सभी को पूरी तरह से सेनेटाइज कराया जाता है।

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कानपुर कािलंग लगा लें

- क्या आप मानते हैं कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में डाकिए अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल किया जाना चाहिए ? अपनी राय जरूर दें।

फोन नंबर- 9839116910

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