-कानपुर से पकड़े गए मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी रमेश शिवहरे के 'चेलों' का नया ठिकाना बना उत्तराखंड

-मेडिकल, रेलवे व बैंकों में नौकरी दिलाने के लिए देहरादून और आसपास के जिलों में बुना जाल

-कानपुर की कोचिंग मंडी से बनाया गया सॉल्वरों का बड़ा जाल फैलाया

-आई नेक्स्ट के हाथ लगी खुफिया जानकारी, रमेश के चेलों ने इस बार उत्तराखंड को बनाया अपना निशाना

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KANPUR : सीबीआई और यूपी एसटीएफ की कई टीमों के ज्वॉइंट ऑपरेशन के बाद करीब दो महीने पहले व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी रमेश शिवहरे को कानपुर से गिरफ्तार किया गया था। उसने खुफिया को जानकारी दी थी कि उसके चेलों का अगला टारगेट उत्तराखंड है। संडे को देहरादून में पकड़े गए मुन्ना भाईयों से ये बात पुख्ता हो गई। कानपुर के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे मुन्नाभाई के देहरादून में पकड़े जाने के बाद खुफिया को जो इनपुट मिले हैं, उससे बिल्कुल साफ है कि शिवहरे के चेलों ने मिलकर उत्तराखंड में एक और व्यापमं घोटाला करने की पूरी तैयारी कर ली है। वहीं इस 'नये व्यापमं' की खबर सीबीआई को लग चुकी है।

आईटी के एक्सप‌र्ट्स, डॉक्टर्स शामिल

आई नेक्स्ट को मिली खुफिया जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड पीएमटी के एग्जाम में पकड़े गए मुन्नाभाई शिवहरे के गैंग के 'चेले' हैं। वो लोग सिर्फ मेडिकल ही नहीं बल्कि बैंक, रेलवे समेत कई सरकारी विभागों की नौकरियों में नकल कराने का सबसे बड़ा रैकेट उत्तराखंड में चला रहे हैं। इस रैकेट में शिवहरे के चेलों ने इस बार आईटी के कई एक्सप‌र्ट्स के साथ-साथ एमबीबीएस और एमडी के स्टूडेंट्स को भी शामिल कर लिया है। इसमें से कई देश के जाने-माने टेक्निकल इंस्टीट्यूट से ताल्लुक रखते हैं।

एक बार फिर एक अरब का खेल

शिवहरे के एक करीबी ने आई नेक्स्ट को नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि इस बार उसने उत्तराखंड में मेडिकल और सरकारी नौकरियों के नाम पर करीब एक हजार कैंडिडेट्स को अपने जाल में फंसा लिया है। एक क्लर्क ग्रेड की नौकरी के लिए 7-8 लाख की मोटी रकम वसूली गई है। इस बार फिर करीब 1 अरब का 'खेल' का इंतजाम उसके चेलों ने कर रखा है। एग्जाम में कैंडिडेट को पास कराने के लिए उसके चेलों ने पूरा नेटवर्क बना लिया है।

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विदेश से मंगाई गई खास चिप

उसके रैकेट में शामिल एक शख्स ने पहचान छिपाने की रिक्वेस्ट पर बताया कि विदेश से मंगाई गई चिप के सहारे कैंडिडेट्स को एग्जाम में पास कराने का खेल उत्तराखंड में उसके चेलों ने खेलना शुरू कर दिया है। वो चिप एक मशीन से कैंडिडेट के कान में इम्प्लान्ट कर दी जाती है, जिसके बाद कंट्रोल रूम में बैठा आईटी एक्सप‌र्ट्स उसको सारे क्वैश्चन का ऑन्सर बताता है। इसके अलावा जो प्राइवेट कंपनीज पेपर कराती हैं उनके मुख्य लोगों को भी खरीद लिया गया है। जिससे की कम्प्यूटर से पूरी की पूरी हार्ड डिस्क ही गायब करवा दी जाती थी, जिसके बाद उसमें दूसरी हार्ड डिस्क लगाकर अपने कैंडिडेट्स का पास करवा दिया जाता था। फिलहाल रमेश शिवहरे अभी जेल में है, लेकिन उसके चेले अपना काम कर रहे हैं। शिवहरे महोबा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष का पति भी है।

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रेलवे अधिकारी भी शामिल

रमेश शिवहरे के चेलों ने रेलवे की नौकरियों में नकल कराने का जो रैकेट शुरू किया है। उसमें कुछ रेलवे के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। इसके लिए उनको 50 लाख से एक करोड़ रुपए दिए गए हैं। इतना ही नहीं उसने रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के कई सॉफ्टवेयर भी अपने कब्जे में ले लिए हैं। उसके आईटी की टीम ने कई सरकारी विभागों के डाटा को चुरा लिया है। खुफिया की कई टीमें उसके चेलों पर पैनी नजर रखे हुए हैं।