संडे मॉर्निंग कानपुर सेंट्रल पर बेहद खौफनाक और दर्दनाक हादसा होते-होते बच गया। जब प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर खड़े वीटीपीएन पेट्रोल के टैंक के ऊपरी हिस्से में आग लग गई। टैंक के बाहरी हिस्से पर फैले हुए पेट्रोल ने भीषण आग पकड़ ली। पूरे कानपुर सेंट्रल पर हडक़म्प मच गया। आनन फानन में प्लेटफॉर्म नंबर 6,7,8 और 9 को खाली कराया गया। पेट्रोल के वैगन खाली होने के बावजूद फायर ब्रिगेड को आग पर काबू पाने में लगभग डेढ़ घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। हजारों लोगों की जान और तबाही होने से बच गई लेकिन इस हादसे ने कानपुर सेंट्रल पर आग पर काबू पाने के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी. 
कोई इंतजाम नहीं 
नार्थ सेंट्रल रेलवे के सबसे इम्पॉर्टेंट स्टेशन पर आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। एक हल्की सी चिंगारी भी पूरे स्टेशन को आग के ढेर में बदल सकती है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इस हादसे के बाद कानपुर सेंट्रल पर फायर सेफ्टी अरेंजमेंट्स की पड़ताल की तो चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए.
पक्षी के गिरने से हुई घटना
कानपुर सेंट्रल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सुबह 8 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर वीटीपीएन पेट्रोल टैंक की ट्रेन खड़ी हुई थी। ट्रेन में 65 वैगन लगे हुए थे। लखनऊ एंड पर हवा में उड़ता हुआ एक पक्षी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया और आग का गोला बन चुका पक्षी पेट्रोल के वैगन के ऊपर गिर पड़ा। वैगन के बाहरी हिस्से पर फैले हुए पेट्रोल ने आग पकड़ ली और देखते ही देखते आग बढऩे लगी। पेट्रोल के टैंक में लगी आग देखकर स्टेशन पर मौजूद सभी लोगों में हडक़म्प मच गया। प्लेटफॉर्म नंबर 7 पर लखनऊ जाने के लिए एलकेएम ट्रेन खड़ी हुई थी। एनाउंसमेंट करके उसे फौरन स्टेशन से आगे बढ़ा दिया गया। प्लेटफार्मों को खाली कराया गया। मौके पर पहुंचे जीआरपी और आरपीएफ के जवानों ने रेलवे ट्रैक पर लगे हुए पानी के पाइपों से आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू की लेकिन आग भडक़ती गई। आखिर में मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया.
पूरा एरिया ही उड़ जाता 
प्लेटफॉर्म पर खड़े पेट्रोल टैंकों में अगर पेट्रोल भरा होता तो किसी भी हाल में एक बड़ी तबाही होने से कोई भी नहीं बचा सकता था। सिटी साइड की तरफ बसा हुआ पूरा घंटाघर और सुतरखाना एरिया पलक झपकते राख के ढेर में बदल जाता। इस पूरे एरिया में 20 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। इसके अलावा हादसे के वक्त कानपुर सेंट्रल पर लगभग 8 हजार लोगों की भीड़ मौजूद दी.
नहीं हैं अरेंजमेंट्स
कानपुर सेंट्रल से हर दिन लगभग 300 ट्रेंस गुजरती हैं। हजारों की भीड़ यहां पर हर वक्त मौजूद रहती है। नार्थ सेंट्रल रेलवे का इम्पॉर्टेंट स्टेशन होने के चलते हर ट्रेन का यहां पर स्टॉपेज रखा गया है। इन स्थितियों के बावजूद कानपुर सेंट्रल पर सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है। आई नेक्स्ट की टीम कानपुर सेंट्रल के सभी प्लेटफॉम्र्स पर फायर सेफ्टी एक्यूपमेंट्स की पड़ताल करने के लिए पहुंची लेकिन कहीं पर फायर सेफ्टी के लिए किसी तरह के अरेंजमेंट्स नहीं दिखे। प्लेटफॉर्म नंबर एक से लेकर 9 नंबर तक एक भी फायर इस्टिंग्यूशर नहीं थे। फायर ब्रिगेड की भी कोई गाड़ी कानपुर सेंट्रल के आसपास नजर नहीं आ रही थी.
आई नेक्स्ट की टीम ने कानपुर सेंट्रल में रेलवे अधिकारियों के ऑफिस में भी फायर सेफ्टी अरेंजमेंट्स का जायजा लिया। लेकिन यहां पर भी कोई अरेंजमेंट्स नहीं मिले। स्टेशन सुप्रीटेंडेंट, डिप्टी एसएस, टीटी स्टाफ रूम, ऑपरेटिंग ऑफिस सभी जगहों पर अगर आग जैसी कोई घटना हो जाए तो अधिकारियों के लिए मुश्किल हो सकती है क्योंकि उनके ऑफिस में आग पर काबू पाने के लिए एक भी फायर एक्यूपमेंट मौजूद नहीं थे.
 पानी कहां से लाओगे?
कानपुर सेंट्रल पर पानी की सप्लाई के लिए तीन बड़ी टंकियां लगी हुई हैं। लेकिन सेंट्रल पर पानी के लिए हर दिन मारामारी होती है। ऐसे में आगजनी की घटना होने पर आग बुझाने के लिए तो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। वहीं स्टेशन के अंदर फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों का आना भी आसान काम नहीं है। इसलिए आग पर काबू पाने के लिए स्टेशन के ही पानी पर भरोसा करना मजबूरी है.
आग लगने की सूचना मिलते ही आरपीएफ की टीम और जीआरपी की टीम ने आग पर काबू पाने के लिए कोशिश शुरू कर दी थी। फायर ब्रिगेड को भी फौरन सूचना दी गई थी, जिसकी मदद से आग पर काबू पा लिया गया.
संजय पांडे, आरपीएफ इंस्पेक्टर

 

संडे मॉर्निंग कानपुर सेंट्रल पर बेहद खौफनाक और दर्दनाक हादसा होते-होते बच गया। जब प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर खड़े वीटीपीएन पेट्रोल के टैंक के ऊपरी हिस्से में आग लग गई। टैंक के बाहरी हिस्से पर फैले हुए पेट्रोल ने भीषण आग पकड़ ली। पूरे कानपुर सेंट्रल पर हडक़म्प मच गया। आनन फानन में प्लेटफॉर्म नंबर 6,7,8 और 9 को खाली कराया गया। पेट्रोल के वैगन खाली होने के बावजूद फायर ब्रिगेड को आग पर काबू पाने में लगभग डेढ़ घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। हजारों लोगों की जान और तबाही होने से बच गई लेकिन इस हादसे ने कानपुर सेंट्रल पर आग पर काबू पाने के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी. 

कोई इंतजाम नहीं 

नार्थ सेंट्रल रेलवे के सबसे इम्पॉर्टेंट स्टेशन पर आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। एक हल्की सी चिंगारी भी पूरे स्टेशन को आग के ढेर में बदल सकती है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इस हादसे के बाद कानपुर सेंट्रल पर फायर सेफ्टी अरेंजमेंट्स की पड़ताल की तो चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए।

पक्षी के गिरने से हुई घटना

कानपुर सेंट्रल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सुबह 8 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर वीटीपीएन पेट्रोल टैंक की ट्रेन खड़ी हुई थी। ट्रेन में 65 वैगन लगे हुए थे। लखनऊ एंड पर हवा में उड़ता हुआ एक पक्षी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया और आग का गोला बन चुका पक्षी पेट्रोल के वैगन के ऊपर गिर पड़ा। वैगन के बाहरी हिस्से पर फैले हुए पेट्रोल ने आग पकड़ ली और देखते ही देखते आग बढऩे लगी। पेट्रोल के टैंक में लगी आग देखकर स्टेशन पर मौजूद सभी लोगों में हडक़म्प मच गया। प्लेटफॉर्म नंबर 7 पर लखनऊ जाने के लिए एलकेएम ट्रेन खड़ी हुई थी। एनाउंसमेंट करके उसे फौरन स्टेशन से आगे बढ़ा दिया गया। प्लेटफार्मों को खाली कराया गया। मौके पर पहुंचे जीआरपी और आरपीएफ के जवानों ने रेलवे ट्रैक पर लगे हुए पानी के पाइपों से आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू की लेकिन आग भडक़ती गई। आखिर में मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया।

पूरा एरिया ही उड़ जाता 

प्लेटफॉर्म पर खड़े पेट्रोल टैंकों में अगर पेट्रोल भरा होता तो किसी भी हाल में एक बड़ी तबाही होने से कोई भी नहीं बचा सकता था। सिटी साइड की तरफ बसा हुआ पूरा घंटाघर और सुतरखाना एरिया पलक झपकते राख के ढेर में बदल जाता। इस पूरे एरिया में 20 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। इसके अलावा हादसे के वक्त कानपुर सेंट्रल पर लगभग 8 हजार लोगों की भीड़ मौजूद दी।

नहीं हैं अरेंजमेंट्स

कानपुर सेंट्रल से हर दिन लगभग 300 ट्रेंस गुजरती हैं। हजारों की भीड़ यहां पर हर वक्त मौजूद रहती है। नार्थ सेंट्रल रेलवे का इम्पॉर्टेंट स्टेशन होने के चलते हर ट्रेन का यहां पर स्टॉपेज रखा गया है। इन स्थितियों के बावजूद कानपुर सेंट्रल पर सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है। आई नेक्स्ट की टीम कानपुर सेंट्रल के सभी प्लेटफॉम्र्स पर फायर सेफ्टी एक्यूपमेंट्स की पड़ताल करने के लिए पहुंची लेकिन कहीं पर फायर सेफ्टी के लिए किसी तरह के अरेंजमेंट्स नहीं दिखे। प्लेटफॉर्म नंबर एक से लेकर 9 नंबर तक एक भी फायर इस्टिंग्यूशर नहीं थे। फायर ब्रिगेड की भी कोई गाड़ी कानपुर सेंट्रल के आसपास नजर नहीं आ रही थी।

आई नेक्स्ट की टीम ने कानपुर सेंट्रल में रेलवे अधिकारियों के ऑफिस में भी फायर सेफ्टी अरेंजमेंट्स का जायजा लिया। लेकिन यहां पर भी कोई अरेंजमेंट्स नहीं मिले। स्टेशन सुप्रीटेंडेंट, डिप्टी एसएस, टीटी स्टाफ रूम, ऑपरेटिंग ऑफिस सभी जगहों पर अगर आग जैसी कोई घटना हो जाए तो अधिकारियों के लिए मुश्किल हो सकती है क्योंकि उनके ऑफिस में आग पर काबू पाने के लिए एक भी फायर एक्यूपमेंट मौजूद नहीं थे।

 पानी कहां से लाओगे?

कानपुर सेंट्रल पर पानी की सप्लाई के लिए तीन बड़ी टंकियां लगी हुई हैं। लेकिन सेंट्रल पर पानी के लिए हर दिन मारामारी होती है। ऐसे में आगजनी की घटना होने पर आग बुझाने के लिए तो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। वहीं स्टेशन के अंदर फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों का आना भी आसान काम नहीं है। इसलिए आग पर काबू पाने के लिए स्टेशन के ही पानी पर भरोसा करना मजबूरी है।

आग लगने की सूचना मिलते ही आरपीएफ की टीम और जीआरपी की टीम ने आग पर काबू पाने के लिए कोशिश शुरू कर दी थी। फायर ब्रिगेड को भी फौरन सूचना दी गई थी, जिसकी मदद से आग पर काबू पा लिया गया।

संजय पांडे, आरपीएफ इंस्पेक्टर