- कानपुर के जीएसवीएम और मेरठ मेडिकल कॉलेज को मिलेगी सौगात, हैलट में इमारत के लिए जमीन चिन्हित
-55.54 करोड़ से आंखों के सुपर स्पेशिएलिटी इलाज की सुविधा के साथ ही वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा
KANPUR: नए साल में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में आने वाले हजारों नेत्र रोगियों को यूपी के दूसरे रीजनल आई इंस्टीटयूट की सौगात मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कानपुर और मेरठ मेडिकल कॉलेज में आई इंस्टीटयूट खोलने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इस इंस्टीटयूट में आंख के सुपर स्पेशिएलिटी इलाज की सुविधा के साथ ही वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा। कॉलेज प्रशासन की ओर से इस बाबत 55.54 करोड़ का प्रस्ताव डीजीएमई को भेजा गया था। जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय ने सैद्धांतिक सहमति दी है।
5 मंजिला बिल्डिंग बनेगी
रीजनल आई इस्टीटयूट के लिए इंस्टीटयूट ऑफ मेडिसिन और एसआईसी आफिस के बीच खाली पड़ी जमीन चिन्हित की गई है। इसी के पास आई विभाग भी है। 5 मंजिला बिल्डिंग का प्रस्ताव भेजा गया है। जिसमें आई डिपार्टमेंट, मेल व फीमेल वार्ड, ओटी कॉम्प्लेक्स, पीओपी वार्ड, लेक्चर हॉल, लाइब्रेरी इत्यादि का निर्माण होगा।
नेत्ररोग विभाग में मरीजों का लोड
वर्ष -2013-14
ओपीडी-39296
इनडोर मरीज-2424
साल-2014-15
ओपीडी-42433
इनडोर मरीज-2143
साल-2015-16
ओपीडी-47141
इनडोर- 2289
साल-2016-17
ओपीडी-48696
इनडोर-2548
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नेत्ररोग विभाग एक नजर में -
6- फैकल्टी मेंबर (प्रोफेसर,एक एसोसिएट प्रोफेसर)
5- पीजी की सीटें
40- बेड के दो वार्ड
2- एयरकंडीशंड रूम
1- ओटी
1- लेजर रूम
सुपरस्पेशिएलिटी ट्रीटमेंट की ये सुविधाएं
रेटिना व विट्रियस का इलाज, आकुलोप्लास्टिक्स व ऑरर्बिट सर्जरी ,कार्निया व आईबैंक और ग्लूकोमा ट्रीटमेंट, फेको इमल्सीफिकेशन, पीडियाट्रिक ऑप्थमोलॉजी, भेंगापन, कम्यूनिटी आई सर्विसेज, कैटरैक्ट सर्जरी
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रीजनल आई इंस्टीटयूट के फायदे-
- जटिल नेत्र सर्जरी के लिए एम्स की भागदौड़ होगी खत्म
- भर्ती मरीजों के लिए बेडों की संख्या बढ़ कर दोगुनी यानी 80 हो जाएगी
- ऑप्थेल्मिक सर्जरी में पोस्ट ग्रेजुएशन की सीटें 5 से बढ़ कर 15 होगी
- 5 ओटी बनेगी, जिसमें 3 कैटरेक्ट सर्जरी, एक सैप्टिक ओटी, एक स्पेशिएलिटी ओटी बनेगी
- आई कैंसर, आई टयूमर,ग्लूकोमा का इलाज भी संभव होगा।
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वर्जन-
रीजनल आई इंस्टीटयूट के लिए यूपी में दो मेडिकल कॉलेज चुने गए हैं। जिसमें जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज भी शामिल है। इंस्टीटयूट के लिए प्रस्ताव डीजी को भेजा गया है जोकि स्वास्थ्य मंत्रालय के पास भी पहुंच गया है। इस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है।
- डॉ। आरसी गुप्ता, एक्टिंग प्रिंसिपल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज