टेलिविज़न पर प्रसारित अपने भाषण में मुर्सी ने कहा कि जिस क्रांति ने होस्नी मुबारक को सत्ता से हटाया वह तब तक जारी रहेगी जब तक उसके लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाते। उन्होंने कहा, ''आज मैं मिस्र के सभी लोगों का राष्ट्रपति हूं, वे लोग चाहे कहीं भी हों.''

सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ''एकजुटता और इस प्रेम के लिए शुक्रिया। हम अपने लिए एक सुरक्षित भविष्य का निर्माण करने में सक्षम होंगे.'' मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों का कहना है कि सैन्य परिषद ने राष्ट्रपति के अधिकार लगभग खत्म कर दिए हैं, ऐसे में नए राष्ट्रपति के लिए काम करना आसान नहीं होगा।

उनके समर्थकों का कहना है कि नये राष्ट्रपति के पास जब अधिकार ही नहीं होंगे तो वे शासन कैसे करेंगे। उन्हें पूरे अधिकारों के साथ सत्ता में आना चाहिए। सैन्य परिषद ने पिछले ही हफ्ते शासन के ज्यादातर अधिकार अपने हाथ में ले लिए हैं। ऐसे में राष्ट्रपति के हाथ में बहुत ज्यादा अधिकार नहीं बचे हैं।

अमरीका की सधी प्रतिक्रिया

पिछले कुछ समय से, खास तौर पर जब से यह लगने लगा था कि मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थित मुर्सी की जीत तय है, अमरीका ने उनकी तरफ़ धीरे धीरे दोस्ती का हाथ बढ़ाना आरंभ कर दिया था। मुर्सी की जीत पर व्हाईट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने दोनों देशों के साझा हितों को बढ़ाने की बात की है। मुर्सी की जीत पर मिस्र के अंदर और बाहर से आ रही प्रतिक्रियाओं में उल्लास और आशंकांएं दोनों ही दिखती हैं।

इस मौके पर एक बयान में कार्नी ने ने देश पर शासन कर रही सैन्य नियंत्रण वाली अंतरिम सरकार से आग्रह किया है कि वो सत्ता को लोकतांत्रिक ताकतों की तरफ़ हस्तांतरित करने का काम करें। इस बयान में मिस्र की नई सरकार से यह भी आग्रह किया गया है कि वो अल्पसंख्यकों सहित महिलाओं और देश के सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करें। अमरीका ने मिस्र इसरायल शांति समझौते की तरफ़ संकेत करते हुए कहा है कि यह ज़रूरी है कि मिस्र क्षेत्र में शांति का मज़बूत स्तंभ बना रहे।

इससे पहले, राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की जैसे ही घोषणा हुई, वैसे ही तहरीर चौक में आतिशबाजी और पटाखे फूटने शुरु हो गए। अनेक लोगों ने ढोल बजाकर और हॉर्न बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया। लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धताओं के बारे में संदेह रखने वाले अनेक लोग इन नतीजों से सहमें हुए थे। कट्टरपंथी माने जाने वाली संस्था मुस्लिम ब्रदरहुड के मोहम्मद मुर्सी को कुल एक करोड़ 32 लाख मत मिले और पूर्व प्रधानमंत्री अहमद शफ़ीक़ को एक करोड़ 23 लाख मत मिले।

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