कानपुर (ब्यूरो) वहीं जो लोग बॉर्डर पार हो गए हैैं। उनके मोबाइल भी बंद हो गए हैैं। अब उनके परिजन भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैैं। वहीं खारकीव में अभी भी हालात पहले जैसे बने हुए हैैं। स्टूडेंट्स को अंडरग्राउंड बंकर में रखा गया है। जहां न तो पीने के लिए पानी है और न ही खाने के लिए खाना। हालात ये हैैं कि माइनस टू डिग्री के टेम्प्रेचर पर स्टूडेंट्स फर्श पर सोने को मजबूर हैैं।

सुबह से लगातार हो रहे हैैं धमाके
खारकीव के अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन के अंदर रुके सूटरगंज के आरव को सुबह से ही फीवर है। उसके लिए मेडिसिन का इंतजाम भी नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को भेजी ऑडियो में आरव की बहन अक्षरा ने बताया कि शेल्ंिगस और एयर फायरिंग हो रही हैैं। मिसाइल गिर रहे हैैं बाहर, हम लोगों को तेज धमाके की आवाजें सुनाई दे रही हैैं। इस वजह से हम लोग आज रूम पर भी नहीं जा पाए हैैं। दिन भर हम लोग बंकर्स के अंदर ही हैैं। ग्राउंड फ्लोर पर भी नहीं गए हैैं निकल के। हम लोग ठीक हैैं यहां पर नाश्ता तो नहीं मिला बट हम लोग के पास ब्रेड पड़े थे एक दो पीस जो हमने खा लिए हैैं। हमने, भैया ने और हमारी फ्रेंड्स ने। वहीं खारकीव में अंडरग्राउंड सर्पनिया मेट्रो स्टेशन पर दर्शनपुरवा निवासी जेनसी ने बताया कि खारकीव के लिए एंबेसी ने कोई एडवाइजरी जारी नहीं की है। मंडे सुबह से ही धमाके सुनाई दे रहे हैैं। सर्पनिया के पास ही मिसाइल गिरी थी। मुझे फ्लैट पर जाना था। यहां खाना पानी खत्म हो गया था।

डेनिप्रो से रोमानिया के लिए रवाना
कल्याणपुर में रहने वाली सृष्टि यादव डेनिप्रो में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैैं। सृष्टि ने बताया कि यूक्रेन के समय के मुताबिक 11:30 पर उन्हें बस से रोमानिया के लिए रवाना कर दिया गया था। बस में उनके साथ लगभग 100 स्टूडेंट्स हैैं। बस में इंडियन फ्लैग लगा हुआ है। यहां से रोमानिया पहुंचने में 16-17 घंटे लगेंगे। रास्ते में चारों तरफ दहशत ही दहशत दिखाई दे रही है। कुछ-कुछ दूर पर आर्मी लगी हुई है। जिनकी तरफ देखते हुए भी डर लग रहा है। बस को चारों तरफ से बंद कर दिया गया है। किसी को भी बाहर के लोगों को इशारा करने के लिए मना किया गया है। शोर बिल्कुल नहीं मचाने के लिए कहा गया है।

ट्रेन से बाहर देखना मना
जेप्रोजिया से इटावा बाजार निवासी श्रेय ने बताया कि सुबह से ही अफरा तफरी का माहौल बना हुआ था। लगभग 1500 स्टूडेंट्स को जेप्रोजिया के रेलवे स्टेशन लाया गया है। यहां से सभी स्टूडेंट्स को ट्रेन से रवाना किया जाएगा। पहले महिलाओं और बच्चों को भेजा जा रहा है। इसके बाद हम लोगों को ट्रेन में सवार किया गया। ट्रेन के बाहर देखने के लिए मना कर दिया गया है। ट्रेन में मौजूद हर स्टूडेंट सेफ रोमानिया बॉर्डर पहुंचने के लिए प्रे कर रहा है।

एंबेसी के ग्रीन सिग्नल का इंतजार
बर्रा निवासी विपुल सिंह ने बताया कि वे मालदोवा में होटल में रुके हैैं। एंबेसी ने आज रोमानिया बॉर्डर भेजने के लिए कहा था। खाना पानी और रुकने का इंतजाम एक इंस्टीट्यूशन ने कर दिया था। हम लोग एंबेसी के ग्रीन सिग्नल का इंतजार कर रहे हैैं। यहां टेम्प्रेचर भी एवरेज है, लिहाजा कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही है। मालदोवा से चार बॉर्डर करीब हैैं जहां कम लोग होंगे वहीं जाएंगे। अंधेरा होने से पहले हम लोग यहां से निकल जाएंगे हालांकि मालदोवा में कोई टेंशन नहीं है। शाम को कफ्र्यू लगने के बाद घरों मेें लोग चले जाते हैैं और सन्नाटा हो जाता है।

ट्रेन में आ गई चकेरी की आकांक्षा
कीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही आकांक्षा शुक्ला ने परिजनों को बताया कि वे दिन में 11 बजे ट्रेन में पहुंच गई हैैं। रोमानिया बॉर्डर के लिए ट्रेन रवाना हो गई है। वहीं नवनीत कुमार ने रोमानिया बॉर्डर से बताया कि यहां पर टेम्प्रेचर माइनस टू डिग्री सेल्सियस है। जिसकी वजह से सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। नवनीत ने बताया कि वे लोग बॉर्डर से चंद कदम की दूरी पर हैैं। यहां पर कारों की लंबी लाइन लगी हुई है। दिन के समय भी कफ्र्यू सा सन्नाटा है। रुक-रुक कर धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है। कम से कम 50 घंटे की वेटिंग चल रही है।

कई ंिकलोमीटर लंबी लाइन लगी
वहीं पीएसी लाइन निवासी प्रशांत ने बताया कि वे रोमानिया बॉर्डर पर हैैं और अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैैं। मौसम खराब होने से जहां सांस लेने में परेशानी हो रही है वहीं खाना पानी भी नहीं मिल रहा है। हंगरी बॉर्डर पर पहुंचे शांतनु ने बताया कि वे लाइन में लगे हुए हैैं। कई ंिकलोमीटर लंबी लाइन है।