हम भी हैं ‘वीआईपी’

शहर में खुद को वीआईपी दिखाने केे लिए कई छुटभैये नेता और अधिकारी गाड़ी में ला व नीली बत्ती लगा लेते हैं। जिससे वे पब्लिक पर रौब गांठ सके। इसमें ज्यादातर मंत्री, अफसर और राजनेताओं के परिजन और रिश्तेदार हैं। साथ ही कुछ बिजनेसमैन भी गाड़ी में लाल या नीली बत्ती का यूज करते हैं।

ड्यूटी के दौरान ही कर सकते हैं यूज

एडवोकेट गुरमीत सिंह को आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, पद के अनुरूप अधिकारियों व राजनेताओं को गाड़ी में लाल और नीली बत्ती लगाने का नियम बनाया गया है। जिसके तहत क्लास ए में उन राजनेताओं और अधिकारियों को रखा गया है, जो गाड़ी में फ्लैशर के साथ लाल बत्ती लगा सकते है। क्लास बी में उनको रखा गया है, जो फ्लैशर के बिना लाल बत्ती लगा सकते है। इसमें अधिकारियों को ड्यूटी के दौरान ही लाल बत्ती का यूज करने की परमीशन है।

लाल बत्ती विद फ्लैशर

क्लास ए की श्रेणी में आने वाले अधिकारी व राजनेताओं की गाड़ी में फ्लैशर के साथ लाल बत्ती लगाने का नियम है। इसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, विधान परिषद के सभापति, विधान सभा के अध्यक्ष, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, लोकायुक्त, प्रदेश के मंत्री, विधान परिषद और विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट के जस्टिस और रिटायर्ड जस्टिस की गाड़ी में फ्लैशर के साथ लाल बत्ती लगाने की नियम है, जो पूर्वकालिक रूप से पुनर्नियोजित हो।

लाल बत्ती बिना फ्लैशर

-विधान परिषद के उप सभापति

-विधान सभा के उपाध्यक्ष

-प्रदेश के राज्यमंत्री व उप मंत्री

-जिलाजज एवं उनके समकक्ष न्यायिक सेवा के अन्य अधिकारीगण

नीली बत्ती विद फ्लैशर

-मण्डलायुक्त

-क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक

-परिक्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक

-जिलाधिकारी

-एसएसपी/एसपी (जिलों के प्रभारी हों)

-सीएमओ

-एसीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, परगना मजिस्ट्रेट

-प्रभारी निरीक्षक, थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक (जो जिलों में तैनात हो)

-प्रवर्तन संबंधी ड्यूटी पर तैनात परिवहन आबकारी, व्यापार कर विभाग के अधिकारी औरवन विभाग के संबंधित प्रवर्तन अधिकारी (वन क्षेत्र

में)

-चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट, सीएमएम

इनमें लगती है बहुरंगी बत्ती

राज्यपाल ने एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां, पेट्रोल कार और शान्ति व्यवस्था से संबंधित गाडिय़ां बहुरंगी बत्ती लगाने का निर्देश दिया है। इन गाडिय़ों में लाल, नीली और सफेद रंग की बत्ती लगाई जा सकती है।

हूटर और सारयन का प्रयोग

प्रदेश में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के स्कॉर्ट में लगे पुलिस अधिकारी की गाड़ी, एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों में हूटर और सायरन (हार्न) लगाने का नियम है। आपातकालीन स्थिति में कार्यकारी पुलिस बल में तैनात पुलिस अधिकारियों के अपने कार्यक्षेत्र में लगाई गाड़ी में हूटर और सारयन लगाने का नियम है। इसी तरह आपातकालीन स्थिति में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की अपनी अधिकारिता के तहत लगाई गई गाडिय़ों और प्रवर्तन संबंधी ड्यूटी के दौरान परिवहन विभाग, व्यापार कर विभाग, आबकारी विभाग और श्रम विभाग के अधिकारियों की गाडिय़ों पर हूटर और सारयन का प्रयोग किया जा सकता है।

नहीं यूज कर सकते सरकारी मोनो ग्राम

एडवोकेट गुरमीत सिंह को आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक कोई भी अधिकारी प्राइवेट कार की नम्बर प्लेट पर भारत सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार या इनका मोनोग्राम नहीं लगा सकता।

"लाल और नीली बत्ती लगाने के नियम है। अगर कोई व्यक्ति फर्जी तरीके से लाल या नीली बत्ती का यूज कर रहा है, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा। इसको लेकर पुलिस अभियान चला रही है। हाल में हुई गिरफ्तारी इसका ताजा प्रमाण है। यह अभियान चलता रहेगा."

यशस्वी यादव, एसएसपी