- अपर इंडिया अस्पताल में लगी भीषण आग में बाल-बाल बचे 60 बच्चे, आग का भयावह मंजर देखकर सहमे बच्चे, मां से हॉस्पिटल छोड़कर चलने की जिद कर रहे बच्चे

-बुधवार को सुबह अस्पताल पहुंची आई नेक्स्ट टीम ने आग से बचाव के इंतजामों का किया रियेलिटी चेक, हॉस्पिटल में नहीं हैं कोई इंतजाम, अंदर जाने से डर रही प्रसूताएं

KANPUR : मां, मुझे बहुत डर लग रहा है, यहां से अभी चलो। पांच साल की मासूम उर्वशी की आंखों में दहशत का वो मंजर साफ दिखाई दे रहा था, जिसे उसने कुछ घंटे पहले हैलट स्थित अपर इंडिया हॉस्पिटल में देखा था। चाह कर भी खौफ भरी रात उर्वशी के दिल और दिमाग से हटने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार सुबह जब आई नेक्स्ट की टीम हॉस्पिटल पहुंची तो रिपोर्टर ने उर्वशी से बात कर उसका मन बहलाने का प्रयास किया, लेकिन दहशत के आगे रिपोर्टर की पाक कोशिश भी नाकाम साबित हुई। उर्वशी की मां साधना ने बताया कि सात दिन पहले उसने अपर इंडिया में बेटे को जन्म दिया था। बेटा एनआईसीयू में है और वो वार्ड में। जब हॉस्पिटल में आग लगी तो साधना वार्ड में थी और उर्वशी अपनी दादी के साथ कैंपस में बैठी थी। आग के बाद अस्पताल में मची भगदड़ और भयावह मंजर देखकर उर्वशी के दिल और दिमाग पर गहरा सदमा लगा है।

तो खाक हो जाता हॉस्पिटल

बुधवार को जब आई नेक्स्ट टीम हॉस्पिटल पहुंची तो वहां मौजूद हर किसी शख्स के चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। अपर इंडिया जच्चा बच्चा अस्पताल में मंगलवार रात को लगी आग पर अगर समय रहते काबू न पाया जाता तो वहां मौत का तांडव होता, क्योंकि यह आग अस्पताल के आक्सीजन प्लांट के बाहर लगी थी, जहां दर्जनों भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर रखे थे। अगर इन तक चिंगारी पहुंच जाती तो पूरा अस्पताल खाक हो जाता। इसके अलावा इसके एक तरफ एसएनसीयू था, जिसमें 60 बच्चों का इलाज चल रहा था और दूसरी तरफ फीडिंग रूम था, जहां प्रसूताएं बच्चों को फीड कराती हैं। बरामदा भी एक तरह से इन दोनों का वेटिंग एरिया था जहां दर्जनों तीमारदार हर वक्त मौजूद रहते थे।

बचाव का नहीं काेई इंतजाम

घटना के 12 घंटे बाद बुधवार सुबह जब आई नेक्स्ट ने जच्चा बच्चा अस्पताल का रियेलिटी चेक किया तो पूरे अस्पताल में कहीं कोई अग्निरोधी यंत्र या कोई दूसरा उपाय नहीं दिखा। जोकि आग लगने की सूरत में बचाव कर सके। हादसे के बाद गैलरी में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर जरूर बाहर निकाल कर रख दिए गए थे। गाइनी विभाग की एचओडी प्रो। किरन पांडेय ने बताया कि अस्पताल में अग्निरोधी यंत्र नहीं है।

बॉक्स में लगाएं

सुरक्षा की ये हैं गाइडलाइंस

नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया 2005 के सबडिविजन -सी-1,ग्रुप-सी में इंस्टीटयूशनल बिल्डिंग जिसमें हॉस्पिटल भी शामिल हैं, के लिए सुरक्षा इंतजामों की गाइडलाइंस साफ दी गई हैं। इसमें 15 मीटर से कम ऊंचाई की हॉस्पिटल बिल्डिंग के लिए भी गाइडलाइंस हैं जोकि इस प्रकार है।

- अग्निरोधी यंत्र

- होज रील

- ऑटोमेटिक स्पि्रंकलर सिस्टम

- मैन्युअल फायर अलार्म सिस्टम

- छत पर कम से कम 5 हजार लीटर पानी का टैंक

- वार्डो से बाहर निकलने के लिए दरवाजों की चौड़ाई कम से कम 2 मीटर

- 500 स्वाक्यर मीटर एरिया से ज्यादा होने पर वार्डो को कंपार्टमेंट में विभाजित कर बनाए और अग्निरोधी दीवार का निर्माण हो।

वर्जन-

मैं इस बात को मानती हूं कि अगर बालरोग विभाग से मदद अग्निरोधी यंत्र न मिलते तो आग से बड़ा हादसा हो सकता था। मैंने खुद ही एसआईसी, प्रिंसिपल को पत्र लिख कर पूरे गलियारे में अग्निरोधी यंत्र लगाने की मांग की है। इसके अलावा बाकी अन्य जरूरी उपाय भी किए जाएंगे।

- प्रो। किरन पांडेय, एचओडी, स्त्रीरोग विभाग