-दिल्ली हावड़ा रूट पर क्षमता से डेढ़ गुना अधिक दौड़ रही हैं ट्रेनें

-रूट में ट्रैफिक अधिक होने की वजह से नहीं हो पाता ट्रैक का पूरी तरह से मेंटीनेंस

-रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने माना रूट पर ट्रैफिक बढ़ने के बाद भी मेंटिनेंस बजट नहीं बढ़ाया

-डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने के बाद ही मिलेगी राहत, हादसों में मौसम परिवर्तन भी बड़ी वजह

KANPUR। लगातार हो रहे ट्रेन हादसों का सिलसिला रुकने वाला नहीं है। यह पढ़कर आप जरूर डर गए होंगे लेकिन कानपुर से गुजरने वाले दिल्ली-हावड़ा रूट की सच्चाई यही है। जी हां, दिल्ली-हावड़ा रूट में क्षमता से डेढ़ गुना अधिक ट्रेनें दौड़ रही हैं। जिसकी वजह से ट्रैक मेंटीनेंस का काम पूरी तरह से नहीं हो पाता है। ट्रैक मेंटीनेंस के दौरान छूट जाने वाले पांच प्रतिशत मेजर फॉल्ट ही दुर्घटना का कारण बनते हैं। यह बात सैटरडे को शहर आए चेयरमैन रेलवे बोर्ड एके मित्तल ने कांफ्रेंस के दौरान मानी । उन्होंने बताया कि अगले कुछ सालों में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार होने के बाद ही यह समस्या कम होंगी। डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर तैयार होने के बाद गुड्स ट्रेनों का ट्राफिक दिल्ली- हावड़ा रूट से कम हो जाएगा। जिसके बाद ट्रैकों की मेंटीनेंस की समस्या खत्म हो जाएगी।

ट्रैफिक बढ़ा, इंवेस्टमेंट नहीं

कांफ्रेंस के दौरान रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया कि बीते कई सालों में दिल्ली-हावड़ा रूट समेत कई रूटों में ट्रेनों का ट्रैफिक बढ़ा है। इसके बावजूद ट्रैक मेंटीनेंस में इंवेस्टमेंट नहीं बढ़ाया गया है। इसके लिए रेलवे ने तैयारी कर ली है। आने वाले बजट में रेलवे बोर्ड ट्रैक मेंटीनेंस में 20 हजार करोड़ रुपये और इंवेस्टमेंट करने का प्रस्ताव पेश करेगा।

इंप्रूवमेंट करने की जरूरत

कानपुर में दो माह में हुए तीन ट्रेन हादसों को देखते घटनाओं का कारण जानने को आए चेयरमैन रेलवे बोर्ड एके मित्तल ने कहा कि सैटरडे अधिकारियों से बैठक कर मेंटीनेंस प्रैक्टिस में इंप्रूवमेंट करने को लेकर चर्चा हुई है। फिर चाहे वो रेलवे ट्रैक का मेंटीनेंस हो या फिर कोचों का। इसको लेकर रेलवे ने कई रणनीति तैयार की है। जो कि जल्द ही फॉलो होने लगेंगी।

मंधना हादसे पर साधी चुप्पी

कांफ्रेंस के दौरान मंधना में रेलवे ट्रैक काटने के हुए हादसे पर सवाल पूछने पर उन्होंने यह कह कर चुप्पी साध ली कि मामले की जांच सीबीआई के हाथों में है। उसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

मौसम परिवर्तन भी ट्रैकों के लिए खतरा

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने कांफ्रेंस के दौरान बताया कि साउथ की अपेक्षा पूर्वी क्षेत्रों में रेलवे ट्रैक चटकने की घटनाएं अधिक होती हैं। वर्तमान में कानपुर के आस पास हुई सभी घटनाएं में मौसम का भी काफी प्रभाव रहा है। सभी हादसे टेम्परेचर चेंज होने के दौरान ही हुए है। दुर्घटना से बचने के लिए रेलवे ने ठंड के मौसम में ट्रैकों की पेट्रोलिंग बढ़ाने का फैसला लिया है।