कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर-सागर नेशनल हाइवे-34 फ्राइडे को एक बार फिर से खून से लाल हो गया। होली से पहले तीन परिवारों की खुशियां मातम में बदल गईं। कानपुर से हमीरपुर जा रही रोजवेज बस पतारा के पास अचानक से बेकाबू हो गई। साइकिल सवार तीन पॉलिटेक्निक छात्रों को रौंदते हुए सडक़ किनारे गड्ढे में पलट गई। हादसे में तीनों छात्रों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना से आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने शव रखकर हाईवे पर जाम लगा दिया। पुलिस कर्मियों से धक्का-मुक्की की और तोडफ़ोड भी की। करीब छह घंटे तक हंगामा चला। बाद में पुलिस प्रशासन ने समझा-बुझाकर किसी तरह से मामला शांत कराया। बताते चलें कि फोरलेन न बनने के कारण यह हाइवे आए दिन खून से लाल हो रहा है। पिछले तीन सालों में ही इस हाइवे में 450 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं हजारों लोग घायल भी हुए हैं। हादसे रोकने के लिए अब तक किए गए इंतजाम भी फेल हो गए हैं। लगातार सडक़ हादसे में बड़ी संख्या में लोगों के मरने के कारण अब खूनी हाइवे हो गया है।

पॉलिटेक्निक के छात्र थे तीनों
तीनों छात्रों की पहचान घाटमपुर थाना के कुंवरपुर निवासी दीपक तिवारी, अंकुश प्रजापति, मनीष कुमार सविता के रूप में हुई है। तीनों स्टूडेंट्स दो साइकिलों पर सवार थे। जिस पुलिया के पास हादसा हुआ, उसके किनारे पानी भरा था। तीनों स्टूडेंट भरूवा सुमेरपुर के पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ते थे। उनके घर से कॉलेज करीब 45 किलोमीटर दूर है। वे साइकिल से पतारा रेलवे स्टेशन जाते थे। वहां से ट्रेन पकड़ कर सुमेरपुर जाते थे। फ्राइडे सुबह साइकिल से सवार होकर तीनों कॉलेज के निकले थे। अभी स्टेशन रोड पहुंचे ही थे कि तेज रफ्तार बस ने उन्हें कुचल दिया। जानकारी मिलते ही पुलिस घटनास्थल पहुंची। छात्रों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। वहीं, पुलिस को जानकारी मिली कि हादसे के बाद कुछ छात्र उस गहरे पानी में भी गिरे हैं। पुलिस ने बंबी में उतरकर छात्रों की तलाश की। हालांकि, पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा। पुलिस को यहां पर सिर्फ एक स्टूडेंट का बैग मिला।

हाईवे पर किया हंगामा
हादसे के बाद पुलिस ने तीनों स्टूडेंट्स के शव को पतारा सीएचसी में रखवा दिए। तभी वहां स्थानीय लोग पहुंचे। उन्होंने तीनों छात्रों के शवों को उठाया और घटनास्थल पर ले आए। कटीली झाडिय़ां और ईंट हाईवे पर डालकर जाम कर दिया। मुआवजे की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। पुलिस-प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए। घाटमपुर एसीपी रंजीत कुमार सिंह ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। पुलिस से धक्का मुक्की हुई। हंगामा बढऩे पर घाटमपुर तहसीलदार लक्ष्मीनारायण बाजपेई मौके पर पहुंचे। उन्होंने फैमिली मेंबर्स को मदद का आश्वासन दिया। लेकिन लोग डीएम को बुलाने की मांग परअड़े रहे। कहा कि मुआवजा राशि तत्काल मौके पर दी जाए। जब तक यहां पर आकर कानपुर डीएम उन्हें आश्वासन और मुआवजे की राशि नहीं देते, तब तक वे लोग हाईवे पर जाम नहीं खोलेंगे।

20 किमी लंबा जाम
हंगामे के चलते हाइवे पर 20 किलो मीटर लम्बा जाम लग गया। एसीपी रंजीत कुमार ने कानपुर सागर हाइवे पर रमईपुर से वाहनों घाटमपुर की ओर आने वाले वाहनों को साढ़ की ओर डायवर्ट किया गया। वही घाटमपुर चौराहे से कानपुर की ओर आने वाले वाहनों को फतेहपुर की ओर रवाना किया गया है। इसी बची स्थानीय लोगों की मांग पर पीएनसी की एक गाड़ी घटनास्थल पर ब्रेकर बनाने पहुंची। गुस्साए ग्रामीणों ने पीएनसी की गाड़ी पर लाठी चलाना शुरू कर दिया। पीएनसी की गाड़ी के ड्राइवर ने भागकर अपनी जान बचाई। लोगों ने गाड़ी के ऊपर रखे ड्रम को फेंक दिया। लाठियों से ड्रम फाडऩे की कोशिश की। पुलिस ने लाठी पटकी तो लोग पीछे हटे।

एडीएम और एसडीएम लोगों को समझाने में लगे
घटनास्थल पर पहुंची कानपुर एडीएम एल-ए (लॉ एंड ऑर्डर) रिंकी जायसवाल और घाटमपुर एसडीएम यादुवेंद्र सिंह वैश्य ने मृत स्टूडेंट्स के फैमिली मेंबर्स को आवास योजना समेत अन्य योजनाओं का तहसील स्तर से लाभ दिलाने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद भी ग्रामीण मुआवजा तत्काल दिलाने की जिद पर अड़े रहे। एडीसीपी साउथ अंकिता शर्मा ने मृतक के परिजनों को बस चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। जिस पर फैमिली मेंबर्स मानें। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने तीनों छात्रों के शवों को पोस्टमार्टम हाउस भेजा।

इकलौते बेटे की गई हादसे में जान
मृत छात्र दीपक घर का इकलौता बेटा था। पिता रिंकू उर्फ मुन्ना ने बताया की वह सुबह घर से कॉलेज जाने को निकला था। उन्हें क्या पता था, कि हादसा हो जाएगा। नहीं तो वे बेटे को आज कॉलेज नहीं भेजते ? ये कहते हुए वह फूट-फूटकर रोने लगे। मृतक छात्र अंकुश प्रजापति के पिता रामबाबू ने बताया अंकुश तीनों में सबसे छोटा था। हादसे के बाद से सभी का रो रोकर बुरा हाल है। मृत छात्र मनीष सविता के पिता राकेश सविता खेती करते हैैं। उन्होंने बताया कि मनीष दो भाई थे। घटना के बाद बड़े भाई अर्पित और मां अंजू का रो रोकर बुरा हाल है। परिजनों का आरोप है कि वहां आए दिन तेज रफ्तार वाहनों की टक्कर से ऐसे हादसे होते हैं। हाइवे पर स्कूल और कॉलेज हैं। इसके बावजूद यहां न जेब्रा क्रॉसिंग है और न ही ब्रेकर।