-इंडिया-इंग्लैंड मैच के कांप्लीमेंट्री टिकट को लेकर आचार संहिता का फंसा पेंच

-हर मैच से पहले लखनऊ से कानपुर तक विधायक, मंत्री समर्थकों को बांटते हैं पास

KANPUR (16 Jan): इंडिया और इंग्लैंड के बीच ग्रीनपार्क में होने वाला टी-20 इंटरनेशनल मैच सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर के नेताओं के लिए सिरदर्द बन सकता है। दरअसल, कानपुर में जब भी कोई इंटरनेशनल मैच होता है तो अन्य लोगों की तरह नेताओं के बीच भी पास की मारामारी होती है। नेता खुद तो मैच देखते ही हैं, साथ ही अपने रिलेटिव्स, दोस्तों और समर्थकों के लिए भी पास मांगते हैं। हालांकि इस बार उन्हें ये कोशिश भारी पड़ सकती है, क्योंकि आचार संहिता लागू होने से उन पर कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है।

की जाती है भारी भरकम डिमांड

ग्रीनपार्क में होने वाले इंटरनेशनल मैचों में पास को लेकर यूपीसीए पर हमेशा ही काफी दबाव रहता है। खासतौर पर लखनऊ में सत्तासीन पार्टियों के मंत्रियों और नेताओं का। सभी को एक या दो नहीं बल्कि गड्डी के रूप में पास की दरकार होती है, ताकि अपने करीबियों को मैच दिखाकर उनका भरोसा हासिल किया जा सके। यूपीसीए के अधिकारी भी दबी जुबान में इस दबाव को बयां करते हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, लखनऊ और कानपुर समेत प्रदेश भर से मैच के दौरान विधायकों और मंत्रियों के फोन आते हैं और वो अपनी डिमांड बताते हैं कि उन्हें कितने पास चाहिए। हालांकि यूपी में चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद लागू आचार संहिता इस बार उनके आड़े आ सकती है।

चुनावों में बिजी रहेंगे नेताजी

ग्रीनपार्क प्रभारी डीडी वर्मा के मुताबिक, पिछले मैचों में कांप्लीमेंट्री टिकटों को लेकर काफी मारामारी रही थी। विधायकों और मंत्रियों का भी दबाव था, लेकिन इस बार पास को लेकर सभी लोग रिलैक्स हैं क्योंकि सभी विधायक, मंत्री चुनावों में व्यस्त हैं। 24 से शहर में नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि चुनावों में व्यस्तता के चलते पॉलिटिक्स से जुड़े कम लोग ही कांप्लीमेंट्री टिकट के लिए दबाव बनाएंगे। वैसे भी, ये दबाव प्रशासन से ज्यादा यूपीसीए पर होता है।

क्या है नियम?

जानकारों की मानें तो कांप्लीमेंट्री टिकट देने का अधिकार यूपीसीए को है, जो पत्रकारों, प्रशासनिक अधिकारियों व अन्य को उपलब्ध कराता है। अगर कोई विधायक, मंत्री या नेता अपने समर्थकों या बड़े जनसमूह को पास का वितरण करता है तो ये सीधे तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन हो न हो, लेकिन इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जा सकती है। इसके बाद चुनाव आयोग तय करेगा कि इसे आचार संहिता के दायरे में लाया जाए या नहीं। अगर इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है तो उम्मीदवारी कैंसिल होने का भी प्रावधान है।