-पुलिस समेत खुफिया एजेंसी के लिए खतरे की घंटी है

-आतंकी और माओवादी एंगल पर भी हो रही है जांच

KANPUR : इसे कानपुराइट्स के साथ ही पुलिस की अच्छी किस्मत ही कहेंगे कि दहशतगर्द दूसरी बार अपने खूनी मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए। इससे पहले उन्होंने पिछले साल ईद में शहर को दहलाने की साजिश रची थी, लेकिन वे अपनी चूक से बारूद नष्ट हो जाने से अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए थे। इस बार ईद में दोबारा एक और साजिश विफल होने से ये साफ हो गया है कि शहर में दहशतगर्दों ने घुसपैठ बना ली है और वे माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है। जिससे पुलिस के साथ ही एटीएस समेत अन्य खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए है। वे गुपचुप तरीके से स्लीपर सेल से लेकर आतंकी और माआवोदियों का कनेक्शन खोजने में जुट गए है। जिसमें उनको शुरुआती जांच में अहम सबूत भी मिल गए है लेकिन वे अभी इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे है।

जहां डम्प था बारूद, वहीं हो गया था ब्लास्ट

पिछले साल रमजान शुरु होने के पहले 17 जून को कुली बाजार के फीते वाली गली जबरदस्त ब्लास्ट हुआ था। यह एरिया शहर के अतिसंवेदनशील इलाकों में एक है। ब्लास्ट में तीन मकान ढहने के साथ ही दो लोगों की मौत हो गई थी। इसमें एटीएस समेत अन्य जांच एजेंसियों को घटनास्थल में बारूद मिला था। इसकी जांच में यह तो पता चल गया था कि मकान में बारूद डंप था, लेकिन यह बारूद किसने और क्यों डंप किया था? यह पता नहीं चला था। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया और फिर पुलिस ने नाटकीय ढंग से यह खुलासा किया था कि इसमें कम क्षमता वाला बारूद था।

ये इत्तिफाक नहीं हो सकता

ईद की पूर्व संध्या में लावारिश कार से डेटोनेटर बरामद होने और पिछले साल रमजान के पहले हुआ ब्लास्ट इत्तेफाक नहीं हो सकता है। दोनों में विस्फोटक सामग्री बरामद हुई है। जांच एजेंसी के एक अफसर के मुताबिक डेटोनेटर का यूज बम के ट्रिगर में होता है और कुली बाजार में पिछले साल बारूद से विस्फोट में कोई कड़ी जरूर हो सकती है। दोनों में दशहतगर्दो का हाथ प्रतीत हो रहा है। दोनों घटनाओं से प्रतीत हो रहा है कि दहशतगर्द कोई बड़ी साजिश में लगे है, लेकिन वे पुलिस समेत जांच एजेंसी के कड़ी चौकसी से नाकाम हो रहा है। दोनों घटनाओं पुलिस समेत जांच एजेंसियों के लिए खतरे की घंटी है।

शहर से निकली थी कार, तीन लोग बैठे थे

पुलिस भले डेटोनेटर केस में मुंह बन्द किए है, लेकिन सोर्सेज की माने तो पुलिसिया जांच में कार का सिटी कनेक्शन निकल रहा है। कार सर्किट हाउस के रास्ते जाजमऊ पहुंची थी। वहीं, कार में तीन लोगों के बैठे होने की भी बात सामने आ रही है।

इन दहशतगर्दो का है शहर से कनेक्शन

शहर में पहली बार दशहतगर्दो की घुसपैठ की बात सामने नहीं आई है। इससे पहले भी यहां पर स्लीपर सेल से लेकर आतंकी और माओवादियों का कनेक्शन उजागर हो चुका है। इसकी पुष्टि यहां पर पकड़े गए आतंकी और माओवादियों से हो सकती है। आइए आपको बताते है कि यहां पर कौन-कौन से दहशतगर्द का कनेक्शन सामने आ चुका है।

दाउद इब्राहिम

इंडिया के मोस्ट वांटेड टेरेरिस्ट दाउद इब्राहिम का शहर के डी-2 गैंग से कनेक्शन रहा है। इसकी पुष्टि पुलिस रिकॉर्ड से हो सकती है। डी-2 गैंग के सरगना अतीक, शफीक, रफीक उसके टच में रहते थे। वे उसकी मदद से यहां पर नशे का कारोबार करते थे। सोर्सेज के मुताबिक अब डी-2 गैंग की कमान टायसन के हाथ में है।

आतंकी टुण्डा

लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकी और बम एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा का शहर से कनेक्शन रहा है। यहां के शातिरों ने उससे बम बमाने की ट्रेनिंग ली है। शहर में पठान और आतिफ उसकी कमान संभालते हैं। उसकी नेपाल बार्डर पर हुई गिरफ्तारी के समय तत्कालीन डीआईजी आरके चतुर्वेदी ने उसका शहर से कनेक्शन की बात स्वीकार की थी।

दिलशाद मिर्जा

नेपाल का दशहतगर्द दिलशाद मिर्जा का भी यहां से कनेक्शन है। वो पठान और आतिफ के टच में रहता था। सोर्सेज की माने तो वो कई बार शहर में आकर रुक भी चुका है। यहां के शातिर दिलशाद की मदद से लग्जरी कार चुराकर नेपाल में बेचते थे। साथ ही वे दिलशाद की मदद से स्मैक और चरस यहां पर लाते है। दिलशाद की तो हत्या हो चुकी है, लेकिन उसके गुर्गे भी शहर के शातिरों के टच में है।

अबू सलेम

आतंकी अबू सलेम और उसके परिवार का भी कानपुर में नेटवर्क फैला है। अबू सलेम जब बैंकाक में फरारी काट रहा था तो यहां से कुछ लोग उससे मिलने बैंकाक जाते थे। उसका भाई अबू जैश तो अक्सर शहर आकर रुकता है। जब मुंबई में ताज होटल में आतंकी हमला हुआ था। उस समय जांच एजेंसी सभी शातिरों पर शिकंजा कर रही थी। तब अबू जैश घंटाघर के एक होटल में ही रुका था।

माओवादी कनेक्शन भी है

शहर में आतंकियों के साथ ही माओवादी भी कनेक्शन है। यहीं पर एसटीएफ ने माओवादी बंशीधर उर्फ चिंतक को साथियों समेत पकड़ा था। एसटीएफ को उनके कब्जे से माओवादी साहित्य समेत कई प्रतिबंधित सामग्री बरामद हुई थी। इसमें एक माओवादी अभी भी जेल में बंद है।

आतंकी और माओवादी को लेकर भ्रम

कार में डेटोनेटर बरामद होने में पुलिस समेत खुफिया एजेंसी ने जांच शुरु कर दी। जिसमें वे आतंकी और माओवादी को लेकर भ्रमित हो गई है। परिस्थिति आतंकी कनेक्शन की ओर इशारा कर रहे, जबकि सबूतों से माओवादी कनेक्शन प्रतीत हो रहा है।

ये बिन्दु भ्रमित कर रहे है

ईद में दहशत फैलना आतंकी कनेक्शन की ओर इशारा हो रहा है, जबकि कार में बिहार का नम्बर होने से माओवादी कनेक्शन का इशारा हो रहा है। ज्यादातर नक्सली डेटोनेटर की मदद से ब्लास्ट करते है। इससे माओवादी कनेक्शन की और पुष्टि हो रही है।