कानपुर (ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट हॉस्पिटल के आई डिपार्टमेंट में अब फेको विधि से मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाएगा। जिससे हजारों पेशेंट को काफी राहत मिलेगी। फेको विधि के तहत अब मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान एक बहुत छोटा सा चीरा लगाया जाएगा। जिसके एक सप्ताह बाद ही पेशेंट अपनी नार्मल लाइफ में वापस जा सकता है। आई डिपार्टमेंट को कानपुराइट्स की समस्या को देखते हुए विधायक निधि से फेको मशीन उपलब्ध कराई गई है।

डेली 100 पेशेंट पहुंचते ओपीडी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के आई डिपार्टमेंट की ओपीडी में इन दिनों डेली लगभग 100 पेशेंट मोतियाबिंद से ग्रस्त पहुंच रहे हैं। जिसमें डेली लगभग 25 पेशेंट को ऑपरेशन के लिए चिन्हित किया जाता है। अभी तक मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद पेशेंट को सही होने में 15 दिन से अधिक का समय लग जाता था। अब आई डिपार्टमेंट में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद पेशेंट को उसी दिन हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा और वह एक सप्ताह के अंदर वह नार्मल हो जाएगा।

सुन्न करने की जरूरत नहीं
आई डिपार्टमेंट को अत्याधुनिक फेको &फेकोइमल्सीफिकेशन&य मशीन मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए कल्यानपुर की विधायक ने विधायक निधि से दिया है। आई डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। शालिनी मोहन ने बताया कि करीब दो माह पहले मशीन के संबंध में एक प्रोग्राम में विधायक को अवगत कराया गया था। जिस पर उन्होंने अपनी निधि से फेको मशीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। मशीन के संबंध में टेंडर आदि प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह मशीन अब आ गई है। मशीन की मदद से आंख के आसपास इंजेक्शन से सुन्न करने की बजाए फेको विधि में केवल 2.8 एमएम का छोटा छेद कर अत्याधुनिक मशीन से मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाएगा।

जागता रहता है पेशेंट
डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। शालिनी मोहन ने बताया कि फेको मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान आंख और आसपास के क्षेत्र को सुन्न करने के लिए आंख में आई ड्रॉप डाला जाता है। फेको विधि के दौरान पेशेंट जागते रहते हैं, उन्हें किसी प्रकार का दर्द भी महसूस नहीं होता है। फेको ऑपरेशन टांके रहित व दर्द रहित प्रक्रिया है। यह तकनीक एक सूक्ष्म चीरे से की जाती है। चीरा छोटा होता है तो उसे ठीक करने के लिए टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। वह कुछ ही दिनों में ही ठीक हो जाता है।