एक प्रचलित कहावत है कि भले ही मार बीवी की खाना, मगर मेरे दोस्त कचहरी नहीं आना। इस कहावत में काफी हद तक दम भी है। आम आदमी कोर्ट कचहरी का नाम सुनते ही घबरा जाता है। बात कितनी भी छोटी हो, गलती हो या नहीं लेकिन वो कचहरी के चक्कर नहीं काटना चाहता। आम आदमी कि इस सोच का फायदा कुछ वकील भी उठाते हैं और उनका शोषण करते हैं। जो काम वो खुद कर सकते हैं उसके लिए भी वकीलों को मोटी फीस चुकाते हैं। इस सब की वजह है कानून की जानकारी न होना। आम आदमी की इसी समस्या को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक जिला विधिक प्राधिकरण ने पैरालीगल वॉलेन्टीयर्स नियुक्त किए हैं और कोर्ट कंपाउंड में ही ‘मे आई हेल्प यू’ का काउन्टर खोला है। जहां पर वकील नि:शुल्क कानूनी सलाह और परामर्श देकर आपकी हेल्प करेंगे। साथ ही जरूरतमंद को केस में पैरवी करने के लिए नि:शुल्क वकील भी उपलब्ध कराएंगे। इसलिए अगर अगली बार कचहरी जाएं तो बिना किसी फिक्र पैरालीगल वॉलेन्टीयर्स की हेल्प लें।

जिलाजज होते हैं प्राधिकरण के अध्यक्ष

जिला विधिक प्राधिकरण के निर्देश पर आम पब्लिक की सहायता करने के उद्देश्य से 13 जुलाई 2011 को कोर्ट बिल्ंिडग में ‘मे आई हेल्प यू’ का काउंटर बनाया गया और पैरालीगल वॉलेन्टीयर्स नियुक्त किए गए। जिला जज ही जिला विधिक प्राधिकरण के अध्यक्ष होते हैं। इस समय जिलाजज रंजना पांड्या प्राधिकरण की अध्यक्ष हैं। उनकी निगरानी में नियमानुसार वादकारियों को सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

 

500 से ज्यादा लोगों को फायदा

जिला विधिक प्राधिकरण के तहत नियुक्त पैरालीगल वॉलेन्टीयर एक साल में 500 से ज्यादा लोगों को नि:शुल्क परामर्श देकर उनकी हेल्प कर चुके हैं। साथ ही 100 से ज्यादा मुवक्किलों और बंदियों को पैरवी के लिए नि:शुल्क वकील उपलब्ध करा चुके हैं। इसका प्रमाण एडवोकेट रामेंद्र मिश्रा हत्याकांड के आरोपी हैं जिनको जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से ही पैरवी के लिए वकील मिला है। दिव्या रेप एंड मर्डर केस में पुलिस ने निर्दोष मजूदर मुन्ना पर पूरा मामला खोल दिया था। मुन्ना को भी पैरालीगल वॉलेन्टीयर के जरिए ही वकील उपलब्ध कराया गया था।

कौन-कौन वॉलेन्टीयर्स

कोर्ट में मुवक्किल समेत आम वादकारी की हेल्प करने के लिए जिला विधिक प्राधिकरण के तहत 220 पैरालीगल वॉलेन्टीयर्स नियुक्त किए गए है। इसमें 18 एलएलबी के स्टूडेंट्स, 20 समाजसेवी और 182 वकील हैं। ये कोर्ट कैम्पस में आने वाले व्यक्तियों की हेल्प करते हैं। ये उनको कानूनी सलाह और परामर्श देते हैं। साथ ही बताते हैं कि किस तरह से समस्या का निस्तारण हो सकता है। कोर्ट बिल्ंिडग के ग्राउंड फ्लोर में पांच पैरालीगल वॉलेन्टीयर बैठते हैं। इसमें एक एलएलबी का स्टूडेंट, एक समाज सेवी और तीन वकील होते है। इनको 250 रुपए प्रतिदिन देने का नियम है।

ये हैं जिम्मेदारियां

-कोर्ट, प्राधिकरण, आयोग के समक्ष पेंडिंग केस में कानूनी सेवाएं उपलब्ध करना

-आम व्यक्तियों के लिए न्याय, वकील की फीस समेत अन्य व्यवस्था करना

-किसी भी मुवक्किल को पैरवी के लिए नि:शुल्क वकील उपलब्ध करना

-विधिक अधिकारों और सेवाओं की जागरूकता के लिए कैम्प का आयोजन करना

-मोटर दुर्घटना प्रतिकर केस में पीडि़त को जल्द मुआवजा दिलाने का प्रयास करना

-अन्य केस में सुलह-समझौता के जरिए जल्द न्याय दिलाना

-आम आदमी को कानूनी सलाह देकर उसकी समस्या का निस्तारण करना

-आम आदमी को जिला विधिक प्राधिकरण से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताना

किन्हें मिल सकती है नि:शुल्क विधिक सहायता

-अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य

-अनैतिक अत्याचार के पीडि़त

-महिलाएं व बच्चे

-मानसिक रोगी व विकलांग

-जातीय हिंसा, औद्योगिक विनाश, सूखा आदि से पीडि़त

-शहीद सैनिक के आश्रित

-जेल में बन्द बंदी और कैदी

-अस्पताल में अभिरक्षा में रखे व्यक्ति

खुद गाड़ी के पेपर छुड़ा लिए

हेलमेट न लगाने पर ट्रैफिक पुलिस ने स्वरूपनगर में रहने वाले बीए स्टूडेंट सनी खन्ना की बाइक का चालान काट दिया था। पुलिस ने उनकी गाड़ी के पेपर जमा कर उनको चालान रसीद पकड़ा दी। वह एक महीने बाद गाड़ी के पेपर छुड़ाने कचहरी पहुंचे। वह पहली बार कचहरी गए थे। वहां पर कोर्ट बिल्ंिडग को देखकर ही वह वापस लौटने लगे। तभी उनकी नजर ‘मे आई हेल्प यू’ का काउंटर देख वह वहां पहुंच गए। उन्होंने पैरालीगल वॉलेन्टीयर को अपनी समस्या बताई, तो वालेन्टीयर ने सनी को तुरन्त संबंधित कोर्ट और चालान छुड़ाने की प्रक्रिया के बारे में बताया। जिसके बाद उसने खुद ही जुर्माना अदा कर गाड़ी के पेपर छुड़ा लिए।

समझौता कराकर केस भी खत्म करवा दिया

हरबंश मोहाल में रहने वाले जितेंद्र सिंह का किसी बात को लेकर पड़ोसी से झगड़ा हो गया था। जिस पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर अगले दिन रिमांड के लिए कोर्ट भेज दिया। जितेंद्र का 15 वर्षीय बेटा अनुज उनकी जमानत कराने के लिए कचहरी पहुंचा, तो वह वकीलों ने मौका देखकर मोटी रकम मांग ली। सिकी ने अनुज को ‘मे आई हेल्प यू’ के बारे में बताया। सनी ने पैरालीगल वालेन्टीयर्स को समस्या बताई तो उन्होंने नि:शुल्क वकील उपलब्ध कराकर जितेंद्र की जमानत कराई। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच समझौता कराकर केस भी खत्म करवा दिया।