कानपुर (ब्यूरो)। रविवार को घाटमपुर में हुआ हादसा कोई नया नहीं है। इन डंपरों की अनियंत्रित चाल और अप्रशिक्षित ड्राइवरों ने शहर के कई परिवारों में अंधेरा कर दिया है, लेकिन हादसे के बाद इन डंपरों के मालिक न तो डंपर को सीज होने देते है और न ही अप्रशिक्षित ड्राइवर के खिलाफ कोई कार्रवाई होने देते है। थानेदारों की मदद से हादसे के बाद अप्रशिक्षित ड्राइवर की जगह प्रशिक्षित ड्राइवर आ जाता है और कार्रवाई रुक जाती है।

पुलिस नहीं करती है कार्रवाई
बीते पांच महीनों में अगर डंपरों से सड़क हादसे का आंकड़ा देखा जाए तो कुल 172 हादसों में 53 हादसे डंपर से ही हुए हैैं। ज्यादातर हादसे हाईवे पर हुए और मोरंग या गिट्टी लदे डंपरों से हुए। पुलिस सूत्रों की मानें तो मोरंग के घाट पर लोड गाड़ी बाहर निकलने का निर्धारित समय होता है और वहां नंबर लगता है। नंबर जल्दी लगे और ज्यादा चक्कर लगाए जा सकें। इसलिए ये डंपर चालक अनियंत्रित गति से गाड़ी चलाते है। ज्यादातर डंपर इलाके के दबंग नेताओं के ही हैं। यही वजह है कि पुलिस इन पर सख्ती नहीं कर पाती है।

कमजोर एमवी एक्ट का उठाते फायदा
हादसे को अंजाम देने वालों को कमजोर मोटर व्हीकल एक्ट बचाता है। हादसे के बाद पुलिस की मिलीभगत से डंपर का वह ड्राइवर बताया जाता है जिसके पास हैवी व्हीकल का लाइसेंस होता है। जबकि ओरिजिनल ड्राइवर को मालिक छुपा ले जाता है। लाइसेंस और सारी फार्मेलिटी पूरी होने के बाद गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया जाता है, जिसमें चंद दिनों में जमानत मिल जाती है।