हालांकि विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि बर्मा पर प्रतिबंधों को लेकर व्यापक कानून बरकरार रहेंगे। अमरीका ने ये कदम बर्मा में हाल में हुए राजनीतिक सुधारों के मद्देनजर उठाया है।

बर्मा में दो साल पहले सैनिक समर्थित नागरिक सरकार का गठन हुआ था जिसके बाद हाल में ही वहां चुनाव हुए जिसमें प्रजातंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची के दल ने हिस्सा लिया और उसे भारी जीत हासिल हुई। हालांकि बर्मा की सरकार पर सैनिक नियंत्रण अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और देश में राजनीतिक दबाव और मानवधिकार हनन के मामलों को लेकर चिंता जारी है।

जिम्मेदारी से निवेश

बर्मा के विदेश मंत्री वूना मौंग लविन से मुलाकात के बाद क्लिंटन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ''हम अमरीकी उद्योग जगत से कहेंगे कि बर्मा में निवेश करें लेकिन ये काम जिम्मेदारी के साथ की जानी चाहिए.''

उन्होंने कहा, ''हम बीमा पालिसी के तौर पर जरूरी कानूनों को अभी कायम रखेंगे लेकिन हमारा उद्देश्य और प्रतिबद्धता यहां पर व्यापार और निवेश के अवसर को बढ़ाने की होगी.'' विदेश मंत्री ने कहा कि बर्मा की नीति के संयोजक डेरेक मिशेल को इस देश में अमरीकी राजदूत नियुक्त किया जाएगा।

उधर सतर्कता बरतने की जरूरत पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ओबामा ने अमरीकी कांग्रेस से कहा कि सरकार ''बाकी राजनीतिक कैदियों, जारी संघर्ष और गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर अभी भी चिंतित हैं.''

यूरोपीय संघ

यूरोपीय यूनियन ने पहले ही बर्मा पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया है जिसका लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची ने स्वागत किया था। हालांकि अमरीका और यूरोपीय संघ ने फिलहाल हथियारों की सप्लाई पर प्रतिबंध जारी रखे हैं।

पिछले दो दशकों से आंग सान सू ची को बर्मा में राजनीतिक बंदी के तौर पर नजरबंद रखा गया था और उन्हें हाल में रिहा किया गया था। उनके नेतृत्व में उनकी पार्टी नेश्नल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने पिछले महीने के संसदीय चुनावों में 43 सीटें जीती थीं।

इसके बावजूद संसद में विपक्षी नेताओं की संसद में तादाद अल्पमत में ही है। हालांकि पर्यवेक्षकों का कहना है कि संसद में इनकी उपस्थिति बर्मा के लोकतंत्र के लक्ष्य की ओर लिया गया एक अहम कदम है।

International News inextlive from World News Desk