देश के प्रतिष्ठित टेक्निकल इंस्टीट्यूट में से एक आईआईटी कानपुर के कैंपस की रोड पर बैठे दर्जनों स्टूडेंट्स की आंखों में कुछ बनने का सपना नहीं बल्कि अपनी सेहत को लेकर डर दिखा। ये डर उनके दिल में तब आया जब उनको मालूम चला कि कंधे के पास हुए दर्द से निजात पाने के लिए उनके साथी पीएचडी स्कॉलर आलोक पांडेय को लगाए गए इंजेक्शन के बाद उसकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद स्टूडेंट इतना डरे हुए हैं कि ट्यूजडे को सुबह न तो वो पढ़ने के लिए क्लास में गए और न ही कोई और काम किया। दिनभर धूप में तपती जमीन पर बैठकर स्टूडेंट्स यही कहते दिखे कि हम पढ़ने आए हैं मरने नहीं।

गाजीपुर के रहने वाले आलोक पांडेय की मौत से स्टूडेंट्स सदमे में हैं। वो आईआईटी कानपुर में मिलनी वाली स्वास्थ्य सेवाओं से नाराज हैं और कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। ट्यूजडे को आईआईटी कैंपस से लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस फिर डीएम ऑफिस तक स्टूडेंट्स ने अपना विरोध जताया। स्टूडेंट्स के आक्रोश को देखते हुए फैकल्टी मेंबर्स भी उनके साथ खड़े हो गए। दिनभर स्टूडेंट्स के साथ-साथ आई नेक्स्ट टीम ने हर पहलू पर पैनी नजर रखी। इस दौरान स्टूडेंट्स ने आई नेक्स्ट से अपना वो 'दर्द' शेयर किया जिसको वो आईआईटी प्रशासन के दबाव के आगे शेयर नहीं कर पाते थे।

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आईआईटी कानपुर के करीब 50 स्टूडेंट्स से आई नेक्स्ट ने उनकी हेल्थ को लेकर कुछ सवाल किए। जिसके उत्तर जानने के बाद उनकी हेल्थ के बारे में आपको और कुछ बताने की जरूरत शायद नहीं पड़ेगी। जवाब बता रहे हैं कि ब्रेन फैक्ट्री के नाम से मशहूर आईआईटी कानपुर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

1. आईआईटी हेल्थ सेंटर में इलाज के प्रॉपर इंतजाम हैं?

हां-5, नहीं-90, कुछ नहीं पता-5

2. क्या स्टूडेंट्स का समय-समय पर प्रॉपर हेल्थ चेकअप होता है?

हां-2, नहीं-95, कुछ नहीं पता-3

3. पढ़ाई का प्रेशर नॉर्मल है लेकिन क्या इसको कम करने के लिए आईआईटी प्रशासन उनकी हेल्प करता है?

हां-10, नहीं-80 कुछ नहीं पता-10