तो फिर शुरू होगा मौत का सिलसिला

शारदा नगर नाले का विषैला पानी जू एरिया में भर गया है। जलनिगम की ओर से बनाए गए चेक डैम में गड़बड़ी और मेंटीनेंस नहीं होने से रोज हजारों लीटर गंदा पानी जू के अंदर भर रहा है। इस जहरीले गंदे पानी ने कई दुर्लभ जानवरों के बाड़ों को घेर लिया है। जू डॉक्टर्स का कहना है कि इस विषैले पानी से जानवरों में भयानक संक्रमण और महामारी का खतरा हर पल मंडरा रहा है। खास बात ये है कि जू डायरेक्टर ने डीएम, नगर आयुक्त, यहां तक कमिश्नर तक से नाल को बंद करने के लिए लेटर लिखा है। लेकिन, जिला प्रशासन शायद जू में एक बार फिर जानवरों की मौत का सिलसिला शुरू होने का इंतजार कर रहा है।

किडनी हो सकती है फेल

कानपुर जू के डॉक्टर यूसी श्रीवास्तव ने बताया कि बाड़ों के आसपास भर रहे पानी की वजह से लैप्टोस्पाइरा वैक्टीरिया तेजी से एक्टिव होते हैं। जो हवा में फैलकर जानवरों की किडनी, लंग्स और लीवर को डैमेज कर देते हैैं। जू के डॉक्टर आरके सिंह ने बताया अगर नाला बंद न किया गया तो पूरे जू पर संकट आ सकता है। अभी तो सभी जानवरों को एंटीबॉयटिक दी जा रही है। लेकिन कैट फैमिली से रिलेटेड एनिमल्स का लैप्टोस्पाइरा का चेकअप कराया जाएगा। डॉ सिंह ने कहा कि वो खुद अपना चेकअप कराने के  लिए मेंट्ली प्रपेयर हो गए है। नेक्स्ट वीक वो अपनी लैप्टोस्पाइरा की जांच कराएंगे।

हवा के साथ फैलता है बैक्टीरिया

जू डॉक्टर्स के मुताबिक, लैप्टोस्पाइरा वैक्टीरिया या तो हाई टेम्प्रेचर में खत्म हो जाता है या फिर कड़ाके की ठंड में पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। लेकिन ज्यादा ह्यïूमिडिटी में यह वायरस तेजी से पनप जाता है। इसका करियर पिग, गिलहरी, चूहे व बिल्ली भी होते हैैं। पिग गंदगी में रहता है इसलिए उसकी यूरिन से वैक्टीरिया एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच जाता है। लैप्टोस्पाइरोसिस बीमारी घरो में रैट्स व रोड्स पर आवारा घूमने वाले सुअर से यह वैक्टीरिया ह्मïूमन में ट्रांसफर हो जाता है। आसानी से यह पकड़ में नहीं आता है। डॉ। हेमन्त मोहन ने बताया कि बैक्टीरिया से जब डिजीज में चेंज होता है तो इसे लैप्टोस्पाइरोसिस के नाम से जानी जाती है। अहम बात यह है कि यह वैक्टीरिया एयर बार्न भी होता है। अगर कोई दर्शक जू में बाड़े के पास खड़ा है और एनिमल इन्फेक्टेड है तो फिर ह्मïूमन में ट्रांसफर हो सकता है।

ये ऑर्गन डैमेज होते हैं  

लैप्टोस्पाइरोसिस बीमारी होने पर किडनी में इंफेक्शन की आशंका रहती है। इसके साथ लीवर व लंग्स पर भी असर पड़ता है। ब्रेन व यूट्रस

सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। आदमी और जानवर दोनों के सेम ऑर्गंस इस वैक्टीरिया की चपेट में आ जाते है।

सिम्पटम्स

फीवर आना

ज्वाइंडिस होना

सांस फूलना

भूख कम लगना

किडनी का साइज कम ज्यादा होना

चेहरे व पैर में स्वेलिंग होना

यूरिन कम होना

शरीर में पानी की मात्रा बढऩा

"नाले का सीवरेज जू में न गिरे इसके लिए कई बार प्रयास किए जा चुके हैैं। लेकिन कोई सॉलिड सॉल्यूशन नहीं निकला है। नाले के पानी में पनपे लैप्टोस्पाइरा वैक्टीरिया ने शेरनी पर हमला बोल दिया है। हवा में ये वैक्टीरिया तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाता है। अहम बात यह है कि बैक्टीरिया ह्यïूमन को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है। इसीलिए सभी एहतियात बरतने के साथ ही जू इम्प्लाइज का मेडिकल चेकअप कराने का डिसिजन लिया है। "

 के थॉमस, जू डायरेक्टर

"-ये बीमारी जानवरों से इंसानों में फैल सकती है। मैं खुद बहुत डरा हुआ हूं। मैं अपना चेकअप कराऊंगा."

डॉ। यूसी श्रीवास्तव, कानपुर जू