लखनऊ (ब्यूरो)। दीक्षांत समारोह में 45 स्टूडेंट्स को मेडल और 3 स्टूडेंट्स को शोध उपाधि दी गई। 27 गोल्ड, 10 सिल्वर और 8 ब्रांज मेडल दिए गए। कथक में एमपीए करने वाली मनीषा को सर्वाधिक छह मेडल तथा कुंवर सत्य प्रताप सिंह को चार मेडल प्रदान किए गए।


चलाई जाए ऑनलाइन क्लास
कार्यक्रम में बोलते हुए गवर्नर ने अपील की कि विद्यार्थी अपने क्षेत्र में तो कार्य करें ही, साथ ही सामाजिक कार्यों में भी सहभाग करें। शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक जरूरत है। समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी बनती है कि कन्या भू्रण हत्या रोकें। इस दौरान उन्होंने कुलपति रंजन कुमार को निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय में शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर संगीत की ऑनलाइन क्लास चलाई जाए, ताकि इसका लाभ अन्य विद्यालयों को भी मिल सके।


इनको मिली पीएचडी की उपाधि
- सरिता त्रिपाठी को जयपुर अतरौली घराने के श्रेष्ठ गायक पं। वामनराव सडोलीकर के भारतीय संगीत में योगदान विषय पर।
- आर्का टी। चक्रवर्ती को स्वातंत्रयोत्तर काल में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में नारियों का योगदान विषय पर।
- अभिनव शर्मा को ब्रज के प्रमुख भक्ति संप्रदायों पुष्टिमार्गीय एवं हरिदासी की संगीत परम्पराओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन पर।


इन्हें मिले मेडल
नाम मेडल संख्या
मनीषा 6 मेडल
कुंवर सत्य प्रताप सिंह 4 मेडल
तनुजा बोरा 2 मेडल
टीएचएम ओशांदी निर्मानी 3 मेडल
कनक कुलश्रेष्ठ 2 मेडल
मालिथी नुवांद्रा वानीगसेखरा 3 मेडल
नेहा माथुर 3 मेडल
सोनाद्रा डब्लू दिनुशा 2 मेडल
सूरज मिश्र 2 मेडल
कविंदु अभिषेक कोरी 3 मेडल
मलिका नवीन गुप्ता 2 मेडल



इन्होंने भी बढ़ाया मान
- सूर्य प्रकाश को पं भातखंडे सिल्वर मेडल
- ओमिषा सिंह को पं भातखंडे सिल्वर मेडल
- दीपक शिवहरे को पं भातखंडे सिल्वर मेडल
- मोनकोटा कनकनमलागे हाशिनी को पं भातखंडे सिल्वर मेडल
- आशीष मिश्र को पं भातखंडे सिल्वर मेडल
- राज किशोर वर्मा को पं भातखंडे सिल्वर मेडल
- निकिता सिंह को पं भातखंडे ब्रांज मेडल
- रीता सिन्हा को पं भातखंडे ब्रांज मेडल
- नादिम्पल्ली वकपति राजू को पं भातखंडे ब्रांज मेडल
- राजरानी गौतम को पं भातखंडे ब्रांज मेडल
- ज्योति भट्ट को पं भातखंडे ब्रांज मेडल सहित तीन मेडल


सांस्कृतिक संध्या ने बांधा समां
दीक्षांत में शास्त्रीय गायन, वादन व नृत्य ने शाम को सराबोर कर दिया। ज्ञानेंद्र दत्त बाजपेयी के निर्देशन में भरतनाट्य नृत्यशैली वर्णम की प्रस्तुति दी गई। इसी क्रम में डॉ सृष्टि माथुर के निर्देशन में विभिन्न रागों पर आधारित कृति शीर्षक गायन की प्रस्तुति हुई। नृत्य विभाग के हिमांशु, वर्तिका, कनक, दिव्यांशी ने डॉ रुचि खरे के निर्देशन में चतुरंग प्रस्तुति में कथक व राग ताल का समन्वय प्रस्तुत किया। डॉ मनोज मिश्र के निर्देशन में तालवाद्य संगम में तुषार सहाय, शुभम भारती, अनंत प्रजापति आदि ने तबला वादन की शानदार प्रस्तुति दी।

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बचपन से ही कथक बेहद पसंद है। इसके लिए घरवालों का पूरा सपोर्ट मिला। मेरी प्रेरणा मेरे कथक गुरु ही हैं। भविष्य को लेकर काफी प्लान किया है। मैं कथक को काफी आगे ले जाना चाहती हूं। मैंने आज तक जो सीखा है, अब वह दूसरों को सिखाना है। टॉप किया है, इसलिए काफी खुशी हो रही है।
मनीषा

मुझे आगे चलकर कथक में ही काम करना है। इसके लिए प्रोफेसर बनने की आकांक्षा है। मैं वैसे हल्द्वानी से हूं। कुछ समय जॉब की और उसी दौरान मुझे लगा कि कथक में कुछ करना चाहिए। जिसके बाद यहां आकर कथक सीखना शुरूकिया। कथक में ही मुझे अपना भविष्य बनाना है।
तनुजा बोरा

मेरे बाबा सितार वादक के साथ वोकलिस्ट भी थे। उनसे मैंने वोकल की ट्रेनिंग ली थी। जबकि यहां आकर सितार वादन सीखा है। आगे चलकर पीएचडी करनी है। आज मेडल पाकर बेहद खुशी हो रही है। जब आपकी मेहनत का फल मिलता है, तो अच्छा लगता है।
कुंवर सत्य प्रताप सिंह

मैं श्रीलंका की रहने वाली हूं। इससे पहले कोलकाता में भी रही हूं। कथक पसंद है इसलिए यहां आकर सीखना शुरू किया। परिवार का पूरा सपोर्ट मिला। उनको भी कथक बेहद पसंद है। मुझे आज मेहनत का फल मिला है।
टीएचएम ओशांडी निरमाणी

सितार वादन करना पसंद है। यहां सीखने के लिए आई हूं। इसके लिए घरवालों का सपोर्ट मिला है। आगे सितार वादन के क्षेत्र में ही नाम कमाना चाहती हूं। आज मेडल मिलने पर बहुत खुशी हो रही है।
- मलिथि न्यूवांडरा वानीगासकारा