लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के घरों में लगे 2जी और 3जी बेस्ड स्मार्ट मीटरों को नहीं बदल पाई हैैं, वहीं अब 2.5 करोड़ नए स्मार्ट मीटर लगाने के लिए 25 हजार करोड़ के स्मार्ट मीटर का टेंडर निकाल दिया गया है। मामले को देखते हुए उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग अध्यक्ष के समक्ष मामला उठाया है।

97 हजार करोड़ के घाटे में कंपनियां

प्रदेश की बिजली कंपनियों ने 2.5 करोड 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदने का टेंडर जारी कर दिया है। प्रदेश की बिजली कंपनियां लगभग 97 हजार करोड़ के घाटे में चल रही हैं, ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं के घर में चलते हुए मीटर उतारकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का क्या औचित्य है।

यह है व्यवस्था

सभी उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना बना तो ली गई है लेकिन केंद्र सरकार के नीति विशेषज्ञ भूल गए कि आज भी बिजली अधिनियम 2003 की धारा 47 (5) में स्पष्ट रूप से यह व्यवस्था है कि कोई भी बिजली उपभोक्ता जब तक स्मार्ट प्रीपेड मोड की परमिशन नहीं देगा, उसके घर प्रीपेड मोड का मीटर नहीं लगाया जाएगा। वहीं दूसरी ओर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 में स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि किसी भी बिजली उपभोक्ता की सप्लाई बकाए पर काटने से पहले उसे 15 दिन का लिखित नोटिस देना होगा।

12 लाख मीटर्स की तकनीकी पर सवाल

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि ऊर्जा क्षेत्र में इस संवैधानिक संकट व इस गंभीर मामले पर विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात की और कई बिंदुओं पर चर्चा क। परिषद अध्यक्ष ने कहाकि यह बहुत ही गंभीर मामला है, इस मामले पर बिजली कंपनियों को सोचना होगा कि जब तक वह 4 जी स्मार्ट प्रीपेड खरीद की तैयार करेंगी, तब तक यह तकनीकी बंद होने की कगार पर आ जाएगी और फिर 5जी की बात चलने लगेगी। ऐसे में कोई भी व्यवस्था लागू करने के पहले तकनीकी पर भी विचार होना चाहिए। अभी 12 लाख स्मार्ट मीटर बिजली कंपनियां उच्च तकनीकी में कन्वर्ट कराने में नाकाम साबित हो रही हैं, ऐसे में वह किस आधार पर भविष्य में करोड़ों स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उच्च तकनीकी में कन्वर्ट कर पाएंगी।

बढ़ सकता है टैरिफ

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि 4जी बेस्ड स्मार्ट मीटर लगाने का खर्च सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, एक मीटर लगाने में करीब 8 से 9 हजार का खर्च आएगा। यह खर्च उपभोक्ताओं के टैरिफ पर पड़ेगा। जिससे साफ है कि उपभोक्ताओं का बिजली बिल भी बढ़ सकता है। परिषद अध्यक्ष ने मांग की है कि स्मार्ट मीटर चेंज करने से पहले उपभोक्ताओं से उनकी सहमति जरूर ली जाए। इसके साथ ही यह भी व्यवस्था की जाए की उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर का खर्च न आए। परिषद अध्यक्ष का कहना है कि अगर यह कदम वापस नहीं हुआ तो आवाज बुलंद की जाएगी।