लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी से जुड़े हाइवे पर गलत तरीके से किनारे खड़े होने वाले ट्रकों की वजह से लगातार हादसे हो रहे हैं। जिसके कारण हाइवे पर होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। खासतौर पर रात 12 बजे से लेकर 3 बजे के बीच सर्वाधिक हादसे हाइवे किनारे खड़े ट्रकों के कारण हो रहे हैं। बीते छह माह में स्टेट हाइवे पर 103 हादसों में करीब 156 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 400 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। यह खुलासा हाइवे पर होने वाले हादसे को लेकर रोड सेफ्टी की रिपोर्ट में हुआ है।

लगातार बढ़ रहे हादसे

बीते साल बाराबंकी रूट पर हाइवे किनारे खड़े ट्रक के पीछे बस की टक्कर में 14 यात्रियों की मौत हो गई थी। जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाइवे किनारे खड़े वाहनों के ठहराव को सुनिश्चित करने के निर्देश एनएचएआई, यूपीडा और परिवहन विभाग के अफसरों को दिए थे। पर सीएम के आदेश के बावजूद अधिकारी इसपर रोक नहीं लगा पा रहे हैं। जिसकी वजह से इस साल जनवरी से जून के बीच हाईवे पर सौ से ज्यादा हादसे हुए, जिनमें करीब 156 मौतें हुईं और 400 से अधिक लोग घायल हुए। इन आंकड़ों ने अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।

बाराबंकी हाइवे सबसे ज्यादा खतरनाक

हाइवे पर लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए 24 घंटों को तीन-तीन घटों के आठ शिफ्टों में बांटकर टीमों को लगाया गया, जिनमें हादसों के मामले उजागर हुए। रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ से सटे छह हाइवे में बाराबंकी सबसे ज्यादा खतरनाक पाया गया है। जहां सड़क किनारे नो पार्किंग में खड़ी होने वाले ट्रकों और ट्रैक्टर से सबसे ज्यादा हादसे हुए हैं। इसके अलावा सीतापुर, कानपुर, रायबरेली, सुलतानपुर और अयोध्या हाईवे पर भी रात में ट्रकों से हादसे आम हो गए हैं। इतना ही नहीं, हाइवे किनारे खड़े हो रहे ट्रकों और ट्रैक्टर की वजह से लंबा जाम भी लगता है। जिसकी वजह से आम यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पर इसके आवजूद अधिकारी इसपर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं।

ये भी निभाएं अपनी जिम्मेदारी

संदीप कुमार पंकज, आरटीओ प्रवर्तन ने बताया कि हाइवे पर लगातार हादसे हो रहे हैं। खासतौर पर नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर ज्यादा हादसे होते हैं, पर इनको जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता। जबकि एनएचएआई और यूपीडा की जिम्मेदारी है कि हाइवे किनारे खड़े वाहनों और खराब वाहनों को क्रेन से हटाया जाए। पर इन नियमों का सख्ती से पालन नहीं होता है। अगर नियमों का सख्ती से पालन किया जाए तो इन हादसों पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है।

हाइवे पर सड़क किनारे खड़े वाहनों को पार्किंग देने की जिम्मेदारी एनएचएआई और यूपीडा की है। इनके लिए रास्तों में पार्किंग या यार्ड होना चाहिए, जिससे हाइवे पर होने वाले हादसों पर रोक लगाई जा सके।

-संदीप कुमार पंकज, आरटीओ प्रवर्तन लखनऊ