लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ में जाम की समस्या आम हो गई है और इसका सबसे बड़ा कारण यहां हर रोड पर चल रहे ई-रिक्शा ही हैं। लगभग सभी चौराहों पर आपको पूरे दिन ई-रिक्शा के चलते जाम लगा दिखाई दे जाएगा। राजधानी में करीब 75 हजार से अधिक ई-रिक्शा चल रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से सिर्फ 25 हजार के करीब ई-रिक्शा का ही आरटीओ में रजिस्ट्रेशन है। यानि बाकी करीब 50 हजार ई-रिक्शा यहां अवैध रूप से चल रहे हैं।

सटीक जानकार भी नहीं

आरटीओ ऑफिस के पास अवैध रूप से चल रहे ई-रिक्शा की कोई जानकारी ही नहीं है। उन्हें इसकी सटीक संख्या का भी अंदाजा नहीं है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि यहां कभी बड़े पैमाने पर ई-रिक्शा की चेकिंग के लिए कोई अभियान ही नहीं चलाया गया है।

2016 में शुरू हुए थे ई-रिक्शा

राजधानी में 2016 में ई-रिक्शा की शुरुआत की गई थी। उस समय किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि छह साल के अंदर यहां की हर गली में दो-तीन ई-रिक्शा हो जाएंगे और यह राजधानी में जाम का सबसे बड़ा कारण बन जाएंगे। आज इन ई-रिक्शों का कामर्शियल यूज भी किया जा रहा है। हालत यह है कि हर दिन यहां 8 से 10 नए ई-रिक्शा रोड पर उतारे जा रहे हैं और ये मुख्य मार्गों पर भी ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त कर रहे हैं।

ई-रिक्शा चलाने का लाइसेंस

नियमानुसार ई-रिक्शा का पंजीकरण उन्हीं के नाम पर होता है, जिनके पास ई-रिक्शा चलाने का लाइसेंस हो। राजधानी में ई-रिक्शा की कुल संख्या 75 हजार के आसपास बताई जा रही हैं। इनमें भी करीब 11 हजार के आसपास ई-रिक्शा वाले ऐसे है जिन्होंने इन्हें चलाने का लाइसेंस बनवा रखा हैं। शेष ई-रिक्शा किसी और के नाम पर रजिस्ट्रड या फिर वह बिना किसी पंजीकरण के अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं।

नाबालिगों के हाथ में कमान

राजधानी के आउटर एरिया और छोटे मार्गों पर बड़ी संख्या में नाबालिग भी ई-रिक्शा चला रहे हैं। कई बार इस कारण हादसे भी हो चुके हैं, इसके बाद भी ई-रिक्शा पर नकेल लगाने की दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है।

ई-रिक्शा का पूरा रिकार्ड तैयार किया जा रहा हैं। सड़कों पर बिना पंजीकरण और निर्धारित लाइसेंस के ई-रिक्शा का संचालन पर जल्द ही अभियान चलाकर रोक लगाई जाएगी।

-संदीप पंकज, आरटीओ, प्रवर्तन