लखनऊ (ब्यूरो)। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद उपभोक्ता परिषद की ओर से बड़ा खुलासा किया गया है। परिषद अध्यक्ष का आरोप है कि एक तरफ जहां 5जी तकनीक का विस्तार हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ ऊंची दरों पर 4जी स्मार्ट मीटर खरीदे जा रहे हैैं।

स्मार्ट मीटर पूरी तरह से फेल
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार की टीम ने प्रदेश में लगे लगभग 12 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उद्देश्य पर सवाल उठा दिया है। यह आरोप लगाया है कि प्रदेश में लगे स्मार्ट मीटर अपने उद्देश्य से भटक गए हैं और फेल साबित हुए हैं। ऐसे में अब प्रदेश में करीब 25000 करोड़ की लागत वाले 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर जिनके खरीदने के आदेश जारी किए जा चुके हैं और मध्यांचल व पूर्वांचल में कुछ आदेश बाकी हैं, शायद पावर कारपोरेशन को यह पता ही होगा कि जब तक यह स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगना शुरू होंगे तब तक 4जी तकनीक देश से जाने के अंतिम चरण में होगी और 5जी तकनीक का विस्तार हो चुका होगा। उपभोक्ता परिषद ने 12 लाख स्मार्ट मीटर के मामले में जितने भी सवाल उठाए थे, वह सभी केंद्र सरकार की रिपोर्ट में सही पाए गए हैैं।

सीबीआई जांच कराई जाए
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि 12 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर सहित वर्तमान में 25000 करोड़ की लागत वाली टेंडर प्रक्रिया की सीबीआई जांच हो। चौंकाने वाला मामला यह है कि प्रदेश में अलग-अलग कंपनियों में 7308 से लेकर 8415 और अब पूर्वांचल में रुपया 9000 प्रति मीटर खरीद की तैयारी है। एक ही मीटर की कीमत प्रदेश में अलग-अलग है जो जांच का विषय है।

उपभोक्ता उठा रहे खामियाजा
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि। का खामियाजा प्रदेश के 12 लाख उपभोक्ता भुगत रहे हैं। सभी को पता है कि एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ही इसकी पैतृक कंपनी है उसको टेंडर क्यों दिया गया।