लखनऊ (ब्यूरो)। 19वीं रमजान का जुलूस गुरुवार तड़के कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकाला गया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल मौजूद रहा। वहीं, ड्रोन कैमरों से भी जुलूस की निगरानी की गई। कोविड संक्रमण के कारण दो साल से अमीर-उल-मोमेनीन हजरत अली को तलवार से मारे जाने की याद में अकीदत के साथ गिलीम में ताबूत का जुलूस नहीं निकाला गया था। दो साल बाद निकाले गए जुलूस में हजारों पुरुष, महिलाएं व बच्चे शामिल हुए। मस्जिदे कूफा काजमैन से ताबूत निकालकर इमामबाड़ा हकीम सैयद मोहम्मद तकी तक ले जाया गया।

नम हो गईं अजादारों की आखें

इससे पहले चार बजकर 17 मिनट पर कारी ताहिर जाफरी ने मस्जिद में फज्र की अजान दी। इसके बाद मौलाना जहीर अहमद इफतकारी ने नमाजे जमाअत पढ़ाई और मौलाना मुत्तकी जैदी ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि 19वीं रमजान को हजरत अली पर सुबह की नमाज के समय जहर से भरी तलवार से हमला किया गया था। यह सुनते ही अजादारों की आंखें नम हो गईं। काजमैन से ताबूत बाहर आया तो अजादारों ने उसका बोसा लिया। नम आंखों के साथ यह जुलूस मंसूर नगर, गिरधारी ङ्क्षसह इंटर कालेज, संजीवनी अस्पताल व बिल्लौचपुरा के रास्ते नक्खास पहुंचा। इसके बाद जुलूस अकबरी गेट होते हुए पाटानाला पहुंचा, जहां से महिलाएं वह ताबूत इमामबाड़ा हकीम सैयद मोहम्मद तकी में ले गईं।

मुस्तैद रहा सुरक्षा बल

इस दौरान डीसीपी पश्चिम सोमेन बर्मा व एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा जुलूस के साथ मार्च करते नजर आए। दिल्ली में धार्मिक रैली के दौरान हुई ङ्क्षहसा के बाद यूपी में भी अलर्ट है। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से पुराने लखनऊ में संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल मुस्तैद नजर आया। संदिग्धों पर नजर रखने के लिए सादे कपड़ों में भी पुलिस मुस्तैद रही। इंटरनेट मीडिया पर भी मानीटङ्क्षरग के लिए पुलिस लगाई गई थी। इस दौरान यातायात व्यवस्था भी परिवर्तित रही।