लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद डॉक्टर मरीजों को बाहर की महंगी दवाएं लिख रहे हैं। इतना ही नहीं, ग्लब्ज से लेकर इंजेक्शन तक बाहर से मंगवा रहे हैं, जिसके चलते गरीब मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। इस समस्या को लेकर मरीज द्वारा सीएम के आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसके बाद केजीएमयू कुलसचिव ने ट्रामा समेत सभी विभागों को एचआरएफ समेत परिसर में खुली दवा स्टोर से ही दवा व उपकरण आदि लिखने का आदेश जारी कर दिया है।

एचआरएफ सेंटर भी खुले

केजीएमयू में 4500 बेड हैं। यहां रोजाना करीब 5 हजार से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं, जबकि ट्रामा में 300 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। वहीं, मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सरकार हर साल करीब 900 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट जारी करती है। इसके अलावा, सरकारी प्रोजेक्ट व जांच आदि फीस से अतिरिक्त आमदनी होती है। सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए एचआरएफ सेंटर भी खुले हैं, पर इसके बावजूद डॉक्टर मरीजों को बाजार की दवा व सर्जिकल सामान लिख रहे हैं।

कड़ाई से हो नियमों का पालन

वहीं, मामले को लेकर सीएम से शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया और कुलसचिव ने ट्रॉमा सेंटर समेत दूसरे विभागों को आदेश दिया है कि मरीजों को सिर्फ परिसर में खुले मेडिकल स्टोर की दवा उपलब्ध कराई जाए। बाहर की दवा मरीजों को न लिखी जाए। साथ ही, अगर बाहर से दवा लिखी भी जाये तो उसे एचआरएफ, अमृत फार्मेसी आदि स्टोर से ही खरीदी करने को अवगत कराया जाये। इसके अलावा विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ भी पहुंचाया जाये, ताकि मरीजों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। इन नियमों का कड़ाई से पालन किया जाये।

केजीएमयू में तदर्थ कर्मचारी जल्द होंगे नियमित

केजीएमयू में वर्षों से तदर्थ रूप से काम कर रहे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। अब इन कर्मचारियों को केजीएमयू नियमित किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कुलसचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर तदर्थ कर्मचारियों की सूची मांगी है। कुलसचिव रेखा एस चौहान का कहना है कि इसमें आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है। सिर्फ तदर्थ रूप से काम करने वाले कर्मचारियों को ही मौका दिया गया है। समय-समय पर जारी शासनादेश के अनुसार इन कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है।