लखनऊ (ब्यूरो)। हजरतगंज स्थित सिविल में डॉक्टर पर ऑपरेशन के नाम पर पैसे वसूलने के गंभीर आरोप लगे हैं। मरीज की शिकायत का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लिया। उन्होंने अस्पताल के निदेशक को घटना की जांच के निर्देश दिए हैं। जांच में दोषी मिलने पर डॉक्टर के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

पांच हजार मांगने का आरोप

पारा निवासी महिला को बच्चेदानी में गांठ थी। परिजन मरीज को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने देखा और जांच कराई। जांच में बच्चेदानी में गांठ की पुष्टि हुई। डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। परिजन ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए। मरीज को भर्ती कराया। ऑपरेशन के लिए सरकार द्वारा तय 400 रुपये फीस जमा की, जिसकी रसीद उन्हें मिली। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने ऑपरेशन के एवज में 5000 रुपये अतिरिक्त मांगे। परिजनों ने इतने पैसे देने में असमर्थता जाहिर की। इस पर महिला का ऑपरेशन टाल दिया गया। दुखी परिजनों ने किसी तरह पैसे जुटाये। पैसे डॉक्टर को दिए। उसके अगले दिन डॉक्टर ने महिला का ऑपरेशन कर दिया।

जांच के दिए आदेश

पीड़ित परिजनों ने मामले की शिकायत अस्पताल प्रशासन से की। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मामले को गंभीर बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी की छवि को धूमिल करने वाले डॉक्टर व कर्मचारियों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जायेगा। कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अस्पताल के निदेशक को जल्द से जल्द जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं।

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शताब्दी फेज-2 की लिफ्ट में 45 मिनट फंसे रहे लोग

केजीएमयू के शताब्दी फेज-2 में बुधवार को लिफ्ट 9वें फ्लोर पर फंस गई। लिफ्ट में मरीज और तीमारदार करीब 45 मिनट तक फंसे रहे। लिफ्ट बंद होने पर लोगों ने दरवाजा पीटा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जिसके बाद 112 नंबर मिलाकर पुलिस को सूचना दी गई। तब जाकर वहां मौके पर लोग पहुंचे और लिफ्ट से सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

पुलिस को किया फोन

लिफ्ट में फंसे धनंजय गुप्ता ने बताया कि वे बिहार से अपने रिश्तेदार प्रमोद कुमार रंजन को दिखाने आए थे। बुधवार सुबह आठ बजे के करीब उनको पांचवीं मंजिल पर इंडोस्कोपी के लिए जाना था, लेकिन लिफ्ट वहां रुकने के बजाय सीधे नौ नंबर पर पहुंच गई। लिफ्ट में इस दौरान दो-तीन और लोग भी थे। पहले तो सभी ने कुछ समय तक लिफ्ट खुलने का इंतजार किया। पर कोई राहत न मिलती देख उन्होंने आवाज दी। इस दौरान बेल बजाने की भी कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। करीब आधे घंटे तक फंसे रहने के बाद 112 नंबर पर डायल करके पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उनका फायर ब्रिगेड से संपर्क कराया। करीब 10 से 15 मिनट में पुलिस, फायर ब्रिगेड और केजीएमयू प्रशासन के लोग पहुंचे। जिसके बाद लिफ्ट खोलकर सभी को बाहर निकाला गया। इतनी देर तक लिफ्ट में फंसे रहने की वजह से मरीज की हालत खराब होने लगी। वहीं, सीएमएस डॉ। बीके ओझा ने बताया कि लिफ्ट में अलार्म लगा हुआ था, जो शायद अज्ञानवशता लोग उसे दबा नहीं सके। पुलिस के माध्यम से सूचना मिलने पर सभी को सकुशल निकाल लिया गया।