लखनऊ (ब्यूरो)। जिस तरह से आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे, उससे साफ था कि शासन की ओर से बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। शनिवार सुबह से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि वीसी और मंडलायुक्त को हटाया जा सकता है और शाम को आदेश आने पर उसकी पुष्टि भी हो गई। एलडीए वीसी को प्रबंध निदेशक, उप्र इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन लिमिटेड बनाया गया है, जबकि मंडलायुक्त रंजन कुमार नगर विकास विभाग का सचिव बनाया गया है।

एलडीए की साख पर बट्टा!

एलडीए का माहौल बदला बदला सा नजर आ रहा है। मंडलायुक्त रंजन कुमार और तत्कालीन एलडीए चीफ इंजीनियर इंदु शेखर के बीच तनातनी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कोई मंडलायुक्त के पक्ष में खड़ा दिख रहा है तो कोई तत्कालीन चीफ इंजीनियर के।

कोई खुलकर बोल नहीं रहा

सभी दोनों अधिकारियों के बीच चल रहे विवाद से वाकिफ हैं। इसके बावजूद कोई खुलकर इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है। इतनी जानकारी सामने आई है कि तत्कालीन वीसी पीएन सिंह के कार्यकाल के बाद से ही एलडीए में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। एक तरफ जहां मुख्य अभियंता इंदु शेखर पर आरोपों की झड़ी लगी, वहीं दूसरी तरफ मंडलायुक्त ने उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भी लिखा। इसके बाद से ही दोनों अधिकारियों के बीच रिश्ते खराब हो गए।

ठेकेदारों की लॉबी भी सक्रिय

दोनों अधिकारियों के बीच विवाद सामने आने के बाद ठेकेदारों की लॉबी भी सक्रिय हो गई है। बताया जाता है कि तत्कालीन चीफ इंजीनियर ने एक कंपनी को ठेका नहीं दिया था, जबकि एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से इस पर सहमति दे दी गई थी। इसको लेकर ही विवाद गर्माया था, जो अभी तक चल रहा था। अब ठेकेदार नए चीफ इंजीनियर के आने का इंतजार कर रहे हैैं, जिससे रुके हुए टेंडर्स को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।

विवाद का दिख रहा असर

जब से विवाद सामने आया है, भले ही अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई जारी हो लेकिन विभागीय कामकाज की रफ्तार मंद सी पड़ गई है। शुक्रवार और शनिवार को अलग-अलग विषयों पर बैठकें भी होनी थी, जिन्हें फिलहाल अब सोमवार को किया जाएगा।

यह था मामला

हाल में ही एलडीए के तत्कालीन चीफ इंजीनियर इंदु शेखर को आवास बंधु से संबंद्ध कर दिया गया था। यह आदेश शासन की ओर से जारी किया गया था। वह 30 जून को रिटायर होने वाले हैैं। एक तरफ तो इस कार्रवाई को चीफ इंजीनियर पर पूर्व में लगे आरोपों से जोड़कर देखा जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ बटलर पैलेस में बन रहे मंडलायुक्त आवास से जुड़ी फाइल को रोक देना भी कार्रवाई की एक वजह मानी जा रही थी।