लखनऊ (ब्यूरो) । केजीएमयू वीसी डॉ बिपिन पुरी के निर्देशन में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी प्रो। तूलिका चंद्रा द्वारा संस्थान के 500 हेल्थ वर्कर पर स्टडी की गई। इसको लेकर तीन कैटेगरी बनाई गई थी। पहली कैटेगरी में 200 लोगों को शामिल किया गया, जिनको वैक्सीन लगे 5 माह से कम समय हुआ था। दूसरी कैटेगरी में 200 लोगों को शामिल किया गया, जिनको वैक्सीन लगे सात माह हो चुका था। आखिरी कैटेगरी में 100 लोग थे, जिनको वैक्सीन लगे 8 माह से अधिक हो चुका था।

इसे भी जानें
- 5 माह पहले वैक्सीन लगवाने वालों में 42 फीसद कम हो गई एंटीबॉडी
- 7 माह पहले वैक्सीन लगवाने वालों में 66 फीसद कम हो गई एंटीबॉडी
- 8 माह पहले वैक्सीन लगवाने वालों में 84 फीसद कम हो गई एंटीबॉउी

कम हो गई एंटीबॉडी
प्रो तूलिका चंद्रा के मुताबिक स्टडी के दौरान पाया गया कि पहली कैटेगरी में सभी में एंटीबॉडी जरूर पाई गई, लेकिन लेवल पहले के मुकाबले करीब 42 फीसदी तक कम हो गया था। वहीं दूसरी कैटेगरी में पाया गया कि करीब 66 फीसदी एंटीबॉडी लेवल में गिरावट देखी गई जबकि 25 लोगों में एंटीबॉडी लेवल बेहद ही कम या बिलकुल भी नहीं पाई गई। उसी तरह थर्ड कैटेगरी में देखा गया कि करीब 8 माह बाद 75 फीसदी में ही एंटीबॉडी पॉजिटिव मिली, लेकिन एंटीबॉडी का लेवल 84 फीसदी तक कम पाया गया जबकि 25 लोग एंटीबॉडी निगेटिव पाये गये यानि उनमें एंटीबॉडी पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी।

बूस्टर डोज की सख्त जरूरत
प्रो तूलिका चंद्रा के मुताबिक स्टडी में यह पाया गया कि वैक्सीनेशन से बनी एंटीबॉडी समय के साथ कम होती जाती है। ऐसे में हेल्थ केयर वर्कर्स जो कोरोना के खतरों में सबसे ज्यादा रहते हैं। उनमें बूस्टर डोज देने की सबसे ज्यादा जरूरत है। यह अच्छी बात है कि सरकार ने प्रिकॉशन डोज की अनुमति दे दी है। अब जल्द से जल्द सभी हेल्थ केयर वर्कर्स को बूस्टर डोज लगवा लेनी चाहिए। ताकि कोरोना से बचाव किया जा सके।


पांच सौ हेल्थ केयर वर्कर्स में हुई स्टडी में पाया गया कि समय के साथ एंटीबॉडी लेवल कम हो जाता है। ऐसे में बूस्टर डोज देने की सख्त जरूरत है।
- प्रो तूलिका चंद्रा, केजीएमयू