लखनऊ (ब्यूरो)। यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं की परीक्षा अपने अजब-गजब आदेशों के चलते भी चर्चा में है। हालिया आदेश डीआईओएस का है, जिन्होंने बोर्ड परीक्षा केंद्रों में शिक्षकों के रात्रि प्रवास का फरमान जारी कर दिया है। डीआईओएस के फरमान से शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा में केंद्र व्यवस्थापक, बाह्य केंद्र व्यवस्थापक, कक्ष निरीक्षक के साथ-साथ 'चौकीदारों' की भूमिका भी निभानी पड़ रही है।

केंद्र व्यवस्थापक या शिक्षक के रुकने का आदेश

जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार ने बोर्ड परीक्षा शुरू होने के बाद केंद्र बने स्कूलों में खुद केंद्र व्यवस्थापकों या शिक्षकों के रात में रुकने की व्यवस्था का आदेश जारी किया था। आदेश के अनुसार, औचक निरीक्षण के दौरान परीक्षा केंद्र का मुख्य गेट व स्ट्रॉन्ग रूम खुलवाने में टीम को समस्या आ रही थी। ऐेसे में केंद्र पर केंद्र व्यवस्थापक या उनकी जगह किसी शिक्षक को रात में केंद्र पर रुकवा दिया जाए, जिससे निरीक्षण के दौरान कोई समस्या न आए।

अदल-बदल कर हो रही ड्यूटी

बोर्ड परीक्षा में हो रही सख्ती को देखते हुए आदेश के बाद स्कूलों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने की व्यवस्था भी कर ली गई थी। मेहंदीगंज स्थित एक स्कूल के शिक्षक ने बताया कि आदेश जारी होने के अगले दिन से ही रात में रुकवाने की ड्यूटी लगा दी गई थी। स्कूल में कोई व्यवस्था न होने के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा। वहीं, कुछ शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में रोजाना बदल-बदल कर ड्यूटी लग रही है। शिक्षक स्कूल में रात बिता रहे हैं।

पहली बार जारी हुआ ऐसा आदेश

कुछ शिक्षकों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं में ज्यादातर शिक्षक किसी न किसी ड्यूटी पर हैं। कहीं वे कक्ष निरीक्षक हैं, तो कहीं निरीक्षण टीम का हिस्सा। यही नहीं, बाह्य केंद्र व्यवस्थापक और सचल दल, कंट्रोल रूम में भी उनकी ड्यूटी लगी है। ऐसे में शिक्षकों को रात में रोक कर उनको एक्स्ट्रा जिम्मेदारी दी जा रही है। इससे पहले कभी इस तरह का आदेश जारी नहीं किया गया।

शिक्षक नेताओं ने दर्ज कराया विरोध

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ। आरपी सिंह ने बताया कि डीआईओएस का यह आदेश तर्कसंगत नहीं है। स्कूलों में पहले से ही फोर्थ क्लास कर्मचारी और चौकीदार मौजूद रहते हैं। उसपर शिक्षकों को रात में रुकवाना बिल्कुल उचित नहीं है। अगर केंद्र व्यवस्थापक रात में ड्यूटी करेगा तो सुबह परीक्षा कैसे कराएगा। यही बात शिक्षक पर भी लागू होती है। आदेश जारी होने के बाद शिक्षक संगठन ने विरोध जताते हुए डीआईओएस से मुलाकात कर आदेश को संशोधित करने की अपील भी की थी।