लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, नीपा रंगमंडली और कर्नाटक की शिवकुमार कला संघ की ओर से 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक कवि और धर्मगुरु बसवण्ण्सा के वचनों पर आधारित नृत्य नाटिका तुम्हारे सिवा और कोई नहीं का प्रभावी प्रदर्शन शुक्रवार को अकादमी के संत गाडगे ऑडिटोरियम में किया गया। इस हिन्दी प्रस्तुति का प्रभावी निर्देशन स्नेहा कप्पण्णा ने किया। इस प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि धर्म का मूल भय नहीं दया और करुणा है।

दस चरणों में हुई प्रस्तुति

इस संगीतमय प्रस्तुति को दस चरणों में बांटा गया था। पहले चरण में तेरी कृपा तो ठूंठ अंकुरित हो रब्बा, दुधारू बने बांझ गाय भी रब्बा पर प्रस्तुति हुई। इस क्रम में दूसरे चरण में उत्तम बन कर पांच दिवस जीना ही भला क्या, तीसरे चरण में स्वामी तुम निराकर जब हुए, चौथे चरण में पिता हो तुम्ही माता हो तुम्ही, पांचवें चरण में अपने भक्तों को शरणु नमन सिखा दो, छठे चरण में श्रद्धा विश्वास बिन तुम को पुकारे, सातवें चरण में कर्म कांड बेमन से अर्थहीन हैं, आठवें चरण में बोलो तो मोती की माला और अंतिम में तौल तुला तौल तुला पर जोशीली और संदेश परक प्रस्तुति देखने को मिली।

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रासलीला के प्रसंगों से कृष्णमय हुआ पंडाल

वैदिक मंत्रोच्चार और शंख की ध्वनियों के बीच श्री सप्तचंडी महायज्ञ में श्रद्धालुओं ने आहुतियां देकर जनकल्याण की कामना हुई। श्रद्धालुओं ने श्रीमद्भागवत कथा सुनी और मथुरा के कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रसंगों का प्रभावपूर्ण मंचन किया। डालीगंज के प्राचीन श्री बंदी माता मंदिर के 41वें वार्षिक अनुष्ठान के दूसरे दिन की शुरुआत सुबह श्री सप्तचण्डी महायज्ञ से हुई। दिन में श्रीमद भागवत कथा और शाम को रासलीला में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ रही। वहीं, शाम को श्रीमदभावगत कथा का वृंदावन धाम की श्रीमद्भगवद व्यास रोली शास्त्री ने बखान किया। उन्होंने शिवचरित्र, दक्ष का यज्ञ, सती जी का जलना व पुर्नजन्म लेना और शिव-सती विवाह के प्रसंग सुनाए। इसके बाद मथुरा के नित्यानंद और साथी कलाकारों ने पारंपरिक रासलीला का मंचन किया।