लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ अपनी कला और सांस्कृतिक के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। यहां एक ओर जहां कथक में घुंघरुओं की झनक सुनाई देती है, तो दूसरी ओर लाइट, कैमरा, एक्शन की आवाज हर किसी को रोमांचित करती है। कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह दशकों से ऐसी शानदार प्रस्तुतियों का गवाह रहा है। पर बीते करीब चार साल से रेनोवेशन के नाम पर यह प्रेक्षागृह बंद है। जिसके चलते कलाकारों में काफी गुस्सा है, क्योंकि सबसे कम दरों पर कार्यक्रम का आयोजन केवल यहीं होता है। वहीं, अधिकारी केवल आश्वासन ही दे रहे हैं कि जल्द ही इसे फिर खोल दिया जाएगा।

2020 से चल रहा बंद

कलाकारों के लिए सबसे सस्ता और सुलभ विकल्प होने के कारण राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह अकसर बुक्ड रहता था। यहां नाटक से लेकर कई अन्य आयोजन भी होते थे, जिसमें गवर्नर तक शिरकत कर चुके हैं। एक समय पर यहां दिन में 5-6 प्रोग्राम तक हो जाया करते थे, क्योंकि यहां का किराया महज तीन हजार रुपये था। साथ ही एसी की सुविधा होने के कारण यह कलाकारों की पहली पसंद बना हुआ था। पर देखरेख के अभाव के कारण यहां की कुर्सियां टूटने लगीं, पर्दे खराब हो गये, छत से पानी टपकता था, खराब लाइट-साउंड सिस्टम जैसी अनेक समस्याएं होने लगीं। इसके रेनोवेशन के लिए शासन द्वारा करीब 3.81 करोड़ रुपये का बजट मिला था, जिसके बाद मार्च 2020 से यह बंद चल रहा है।

संस्कृति मंत्री तक से मिल चुके हैं

वरिष्ठ कलाकार और सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी की संस्थापक सीमा मोदी ने बताया कि उनकी ओर से संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तक को प्रेक्षागृह जल्द से जल्द खोलने के लिए लेटर तक दिया जा चुका है। साथ ही प्रमुख सचिव को भी लेटर दिया था। करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने कहा था कि जल्द यह खुल जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। यह क्यों नहीं खुल रहा है, यह समझ से परे है। इससे कलाकारों का काफी नुकसान हो रहा है। वहीं, वरिष्ठ रंगकर्मी और नाटककार संगम बहुगुणा बताते हैं कि बली प्रेक्षागृह को बंद हुए करीब चार साल हो रहे हैं। इसको लेकर कई बार विरोध तक दर्ज कराया जा चुका है। वहीं, प्रमुख सचिव तक से मुलाकात कर चुके हैं, पर इसके बावजूद कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। जिसके कारण कलाकार भी निराश होकर ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं।

कलाकारों को हो रही परेशानी

दूसरी ओर वरिष्ठ रंगकर्मी ज्ञानेश्वर मिश्रा कहते हैं कि बली प्रेक्षागृह के बंद होने से उन कलाकारों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जो कम बजट में नाटक का आयोजन किया करते थे। एसएनए महंगा है और बजट के बाहर हो जाता है। वहीं, बीएनए में नीचे वाले में एसी की सुविधा न होने से गर्मी में नाटक करने में समस्या होती है। बली प्रेक्षागृह खुल जाये तो हजारों कलाकारों को राहत मिलेगी।

प्रेक्षागृह के लाइट एंड साउंड और कुर्सियों को फाइनल टच दिया जा रहा है। उम्मीद है कि एक-दो माह में प्रेक्षागृह खुल जाएगा।

-डॉ। सृष्टि धवन, कुलसचिव, भातखंडे