- केजीएमयू की ओर से कराई जा रही एड्स पीडि़तों की शादियां

- 40-45 उम्र वाले सबसे ज्यादा पीडि़त

LUCKNOW: एड्स का नाम सुनते ही लोग ऐसे डर जाते हैं मानों उनकी जिंदगी खत्म हो चुकी है। वहीं डॉक्टर्स का मानना है कि लगातार दवाईयों के साथ जरूरी सावधानियां बरती जाएं तो मरीज बीमारी के बावजूद 15-20 वर्ष तक जिंदगी जी सकता है। शादी भी कर सकता है और बच्चे भी पैदा कर सकता है, वह भी एड्स मुक्त हो सकते हैं। इसके लिए केवल जागरूकता की जरूरत है। इसी का परिणाम है कि आज केजीएमयू में करीब 2800 मरीज दवाई ले रहे हैं, जिसमें 40-45 साल के पार के लोग ज्यादा पीडि़त हैं।

करा रहें शादियां

केजीएमयू का एआरटी सेंटर लोगों को जागरूक करने के बाद अब एचआईवी पीडि़तों का घर भी बसा रहा है। वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ। सौरभ पालीवाल ने बताया कि अब तक तीस जोड़े शादी के बंधन में बंध चुके हैं जबकि 156 पीडि़तों ने शादी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। साल 2010 से यह सिलसिल शुरू हुआ जो आज भी चल रहा है। इस वर्ष करीब आठ एचआईवी पीडि़त जोड़े शादी के बंधन में बंध चुके हैं। यह समाज में इनके प्रति सोच में बदलाव को दिखाता है।

सावधानियां बरतनी जरूरी

वहीं यूपी राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की पीपीटीसीटी की डिप्टी डायरेक्टर डॉ। माया बाजपेयी बताती हैं कि जो महिला प्रेग्नेंट हो उसकी एचआइवी की जांच होनी चाहिए। ऐसे में पीडि़त महिला अगर पहली तीमाही में प्रॉपर एआरटी ले लेती है तो मां से बच्चे में एचआईवी होने की संभावना महज 2-5 परसेंट ही रह जाती है। पूरे प्रदेश में 2018-19 में 1087 गर्भवती महिलाएं पीडि़त मिली थी, जिसमें प्रापर देखरेख और दवाई के चलते 40 बच्चों को छोड़कर अन्य किसी को एचआईवी नहीं हुआ था। वही 16 हजार आम लोग इससे पीडि़त पाये गये। अनप्रोटेक्टिव सेक्स, संक्रमित ब्लड और सीरिंज आज भी इसका सबसे बड़ा कारण है, लेकिन अब ट्रेंड डॉक्टर्स और स्टाफ हैं इसलिए प्राइवेट डॉक्टर या घर पर डिलीवरी कराने से बचना चाहिए। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में दवाईयां, जांच और एक्सपर्ट ओपिनियन सब फ्री है।

लोकपाल नियुक्त करने का प्रस्ताव

यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के अनुज दीक्षित ने बताया कि एड्स मरीजों की शिकायतों के निस्तारण के लिए प्रत्येक मंडल में लोकपाल नियुक्त करने को लेकर एक प्रपोजल तैयार करके शासन को भेजा जा रहा है। ताकि प्रदेश के प्रत्येक मंडल में लोकपाल नियुक्त हो सकें।

एचआईवी के लक्षण

- लगातार वजन कम होना

- लगातार बुखार आना

- लगातार खांसी आना

- गांठ का होना