लखनऊ (ब्यूरो)। पॉलीथिन बैन होने से हर किसी को समस्या तो जरूर हो रही है लेकिन इसका बैन होना भी जरूरी है। इसकी वजह यह है कि पॉलीथिन से पर्यावरण तो जहरीला होता ही है साथ ही आपकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। यह पहले ही स्पष्ट है कि पॉलीथिन के यूज से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लेकर बच्चों का विकास तक प्रभावित होता है। हैरानी की बात तो यह है कि करीब 60 फीसदी लोग इस सच से अंजान हैैं और धड़ल्ले से पॉलीथिन का यूज करते हैैं। जिम्मेदारों को भी अब लोगों को इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में जागरूक करना होगा, तभी पॉलीथिन पर लगी बैन प्रभावी तरीके से कारगर साबित होगी।

सिंगल यूज प्लास्टिक निस्तारित नहीं होती

मार्केट्स से लेकर घरों के अंदर तक सिंगल यूज प्लास्टिक से बने उत्पादों का धड़ल्ले से यूज किया जाता है। यूज करने के बाद उत्पादों को रोड पर या इधर-उधर फेंक दिया जाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक से बने उत्पादों को आसानी से री-साइकिल नहीं किया जा सकता, जिसकी वजह से इसका सीधा असर पर्यावरण और लोगों की सेहत पर पड़ता है। नगर निगम प्रशासन के पास भी प्लास्टिक निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक हो जाती है। बामुश्किल प्लास्टिक का निस्तारण कराया जाता है, जिसमें खासा वक्त लग जाता है।

पशुओं के लिए भी जानलेवा

रोड या नालियों पर पड़ी रहने वाली पॉलीथिन को पशु खा लेते हैैं, जिसकी वजह से उनकी जिंदगी भी खतरे में पड़ जाती है। कान्हा उपवन में जाकर इस सच को देखा भी जा सकता है। यहां लाए जाने वाले गोवंश के ऑपरेशन की भी व्यवस्था है। पिछले दो महीने की बात करें तो एक दर्जन के करीब गोवंश का ऑपरेशन किया गया है और उनके पेट से पॉलीथिन निकली है। जिससे साफ है कि गोवंश की जिंदगी के लिए भी पॉलीथिन कितनी खतरनाक है।

ये रसायन बेहद खतरनाक

बता दें कि पॉलीथिन के निर्माण में कई घातक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों में मुख्य रूप से सीसा, पारा और कैडमियम शामिल हैैं। चाय या अन्य खाद्य पदार्थ जब पॉलीथिन में लाए जाते हैैं तो उक्त रसायन खाद्य सामग्री में घुलकर सीधे मानव शरीर में चले जाते हैैं, जिसके बाद बीमारियां शरीर को धीरे-धीरे घेरने लगती हैैं। चिकित्सकों की माने तो इन जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से कैंसर, जन्मजात विकलांगता और बच्चों का विकास तक रुक सकता है। ऐसे में, साफ है कि स्वस्थ जीवन के लिए पॉलीथिन से दूरी बहुत जरूरी है। अगर लोग पॉलीथिन से दूरी बना लेने में सफल हो जाते हैैं तो निश्चित रूप से उनके शरीर में कम से कम बीमारियां आएंगी और वो लंबे समय तक फिट रहेंगे।

जागरूकता की है जरूरत

नगर निगम प्रशासन की ओर से वर्तमान समय में पॉलीथिन जब्तीकरण को लेकर निरंतर अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी जरूरत है कि निगम की ओर से वार्डों में पब्लिक को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए। जिसके माध्यम से पब्लिक को बताया जाए कि किस तरह से पॉलीथिन उनके जीवन के लिए खतरनाक है। इसके साथ ही यही कदम मार्केट्स एरिया में भी उठाए जाएं। जिससे मार्केट में खरीदारी करने आने वाले लोग पॉलीथिन के स्थान पर पेपर या जूट बैग का इस्तेमाल कर पर्यावरण और खुद को सेफ रख सकें।

ये है सिंगल यूज प्लास्टिक

सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों का हम एक बार ही इस्तेमाल करते हैैं और उन्हें फेंक देते हैैं। इन्हें आसानी से डिस्पोज और री-साइकिल नहीं किया जा सकता। इन आइटम्स में प्लास्टिक बोतल, प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स, गुब्बारों की प्लास्टिक स्टिक, कैंडी स्टिक, आइस्क्रीम स्टिक, प्लास्टिक कप एंड प्लेट्स, थर्माकॉल आदि शामिल हैं। ऐसे में, साफ है कि हम सभी को तत्काल प्रभाव से उक्त प्लास्टिक उत्पादों से दूरी बनाने की जरूरत है। भूतनाथ समेत कई मार्केट्स में फिलहाल पॉलीथिन के यूज पर रोक भी लगती नजर आ रही है, जिसे बेहतर संकेत माना जा सकता है।